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पौधों में नाइट्रोजन की कमी के लक्षण | Nitrogen deficiency in plants
जिस प्रकार हमारे शरीर को पोषक ततावों की आवश्यकता होती है. उसी प्रकार पौधों को भी उनके विकास के लिए पौषक तत्वों की जरुरत होती है. अगर पौधों में पोषक तत्वों की कमी हो जाती है. तो यह कमी उनकी शाखाओं, पत्तियों, पुष्प, फल आदि पर प्रभाव डालती है. जिससे उपज को हानि पहुंचती है. और किसान भाइयों को नुकसान उठाना पड़ता है. आज के इस लेख में एक महत्वपूर्ण पोषक तत्व नाइट्रोजन (Nitrogen) के बारे में जानेगें, कि इसकी (nitrogen deficiency in plants) कमी से पौधे पर क्या-क्या प्रभाव पड़ेगें.
नाइट्रोजन का पौधे पर प्रभाव (Effect of Nitrogen on Plants)
कार्बन और जल तत्वों (हाइड्रोजन व आक्सीजन) के बाद पौधे में पर्याप्त मात्रा में पाया जाने वाला तत्व नाइट्रोजन ही है. पादप-प्रोटीन में लगभग 14 प्रतिशत नाइट्रोजन होता है. यह एमिनो-अम्ल, न्युक्लियोंटाइड और कोएन्जाइम का संघटक है. वैसे तो यह नाइट्रेट रूप में पौधों द्वारा ग्रहण किया जाता है. परन्तु अवकरण के बाद यह तमाम जैविक-यौगिक का अवयव बन जाता है.
नाइट्रेट-रिडक्टेस एंजाइम का संश्लेषण, नाइट्रेट की उपस्थिति में होता है. पोटेशियम की भांति अमोनियम आयन कुछ एंजाइम की क्रियाशील को बढ़ा देते है.
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नाइट्रोजन क्लोरोफिल के संश्लेषण में भाग लेता है. यही कारण है कि नाइट्रोजन के आभाव में पत्तियां पीली पड़ जाती है. प्रोटीन, प्यूरिन, पाइरीमिडिनस के अलावा तमाम कोएन्जाइम का अवयव होने के कारण, इस तत्व के अभाव में प्रोटीन-संश्लेषण और पादप-वृध्दि पर कुप्रभाव पड़ता है. नाइट्रोजन के अभाव में प्रकाश संश्लेषण में कमी आ जाती है. पौधे में न केवल आवश्यक एमिनो-अम्लों की ही कमी हो जाती है. वरन आवश्यक कार्बोहाइड्रेट संश्लेषण के सम्बंधित प्रक्रम शिथिल पड़ जाती है. अमोनिया-आयन की विषालुता की स्थिति में क्लोरोप्लास्ट की संरचना भी प्रभावित होती है. प्लास्टिड की आतंरिक रचना में अत्यधिक परिवर्तन हो जाता है.
नाइट्रोजन के आभाव के लक्षण (Nitrogen deficiency in plants)
पौधे में नाइट्रोजन की कमी के लक्षण बड़े ही नाटकीय ढंग से प्रकट होते है.पत्तियों का पीला पड़ना, पौधों की वृध्दि में कमी, पौधों का तकुआकार होना, ये प्रमुख लक्षण है. लेकिन फलों का रंग इस तत्व इस तत्व की कमी के बावजूद भी सामान्य रहता है.
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नाइट्रोजन की कमी के लक्षण सर्वप्रथम पुरानी पत्तियों पर प्रकट होते है. क्योकिं एक गतिशील तत्व होने के करण यह पुरानी पत्तियों से नई पत्तियों को स्थानांतरित हो जाता है. पत्तियों में पीलापन आमतौर पर मध्य शिरा से प्रारंभ होकर पत्तियों के निचले भाग की ओर क्रमागत बढ़ता जाता है. अत्यधिक कमी की स्थित में पीली पत्तियां भूरे रंग की हो जाती है. और अंत में सूखकर गिर जाती है.