गर्मी के इस सीजन में कद्दूवर्गीय सब्जियों कौन-कौन से प्रमुख कीट नुकसान पहुचाते है किसान भाई इसका नियंत्रण कैसे करे ?

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कद्दूवर्गीय सब्जियों के प्रमुख कीट एवं नियंत्रण 

कद्दूवर्गीय सब्जियों के प्रमुख कीट एवं नियंत्रण 

देश में गर्मी के मौसम की शुरुवात हो चुकी है. इसके साथ ही इस मौसम में कद्दूवर्गीय सब्जियों की खेती मुख्य रूप से की जाती है. इन कद्दूवर्गीय सब्जियों में प्रमुख रूप से लौकी, कद्दू, खीरा, ककड़ी, करेला, तरबूज, खरबूज, तोरई, टिंडा आदि सब्जी फसलें है. 

लोग अन्य सब्जियों की अपेक्षा कद्दूवर्गीय सब्जियों को खाना अधिक पसंद करते है. क्योकि अन्य सब्जियों के मुकाबले कद्दूवर्गीय सब्जियों में नमी तथा पोषक तत्व अधिक पाए जाते है. इसी कारण से इन सब्जियों में कीट पतंगों का अधिक प्रकोप पाया जाता है. 

इन कीटों के प्रकोप के कारण इस सब्जियों के उत्पादन में कमी आ जाती है. इसके अलावा प्रकोप के कारण इन कद्दूवर्गीय सब्जियों की गुणवत्ता में भी कमी आ जाती है. जिससे किसान भाइयों को इन फसलों का उचित मूल्य भी नही मिल पाता है. जिससे उन्हें नुकसान उठना पड़ता है. तो आइये जाने है कद्दूवर्गीय सब्जियों में लगने वाले प्रमुख कीट एवं उनका नियंत्रण कैसे करे – 

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प्रमुख कीट एवं नियंत्रण 

कद्दूवर्गीय सब्जियों में कई प्रकार के कीट फसल को नुकसान पहुंचाते है जो इस प्रकार है –

कद्दू का लाल भृंग

कीट की पहचान – सब्जियों का यह कीट चमकीला गहरा नारंगी एवं हल्का लाल रंग का तथा काले रंग का होता है. इस कीट का आकार लगभग 6 से 10 मिली मीटर लंबा एवं 4 मिली मीटर चौड़ा होता है. 

फसल को नुकसान – इस कीट की इल्ली एवं वयस्क दोनों ही सब्जी फसलों को नुकसान पहुंचाते है. इसकी इल्ली जमीन से लगे फलों एवं जड़ों को कुतर कर नुकसान पहुंचती है. जिससे फल की गुणवत्ता ख़राब होने के साथ-साथ फसल का पौधा भी सूख जाता है. इसके अलावा इसका वयस्क भृंग फूलों और पत्तियों को नुकसान पहुंचता है.  

फल मक्खी कीट 

कीट की पहचान – फल मक्खी की की वयस्क मक्खी गहरे भूरे रंग की होती है. इसके अलावा इसके पीठ पर तीन पीली पट्टियां बनी होती है. इसके पंख पारदर्शी झिल्ली नुमा होते है. इसके आगे के पंख पूर्ण विक्सित होते है तथा पीछे के पंख छोटे तथा अल्प विक्सित होते है, जिसे हॉल्टर भी कहा जाता है.

इस फल मक्खी का आकार 8 से 10 मिली मीटर लम्बी तथा 4 से 5 मिली मीटर चौड़ी होती है. इसकी इल्ली पैर-रहित क्रीमी-सफ़ेद रंग की लगभग 10-12 मिली मीटर की होती है.

फसल को नुकसान – इस फल मक्खी की मादा फलों के त्वचा में छेद करके इसमें अंडे देती है. जिससे फलों पर छोटे-छोटे धब्बे बन जाते है. जो फलों की गुणवत्ता को खराब कर देते है. 

इस कीट की इल्ली फलों से निकलते ही फलों को खाना शुरू कर देती है. जिससे कारण फलों में सड़न पैदा हो जाती है. जिससे यह गिरने भी लगते है. 

ककड़ी भृंग कीट 

कीट की पहचान – सब्जियों का यह कीट दो प्रकार का पाया जाता है. एक धब्बेदार कीट और दूसरा धारीदार कीट. इन दोनों कीटों का आकार लगभग 10 से 15 मिली मीटर होता है. दोनों भृंग का शरीर गहरे पीले रंग के साथ सिर काले रंग का होता है. धब्बेदार भृंग के पीठ पर 12 काले धब्बे तथा धारीदार भृंग पर 3 काले रंग की धारियां होती है. इल्ली क्रीमी-सफ़ेद रंग की लगभग 12-14 मिली मीटर होती है. 

फसल का नुकसान – सब्जियों का यह कीट पौधों को अंकुरण से लेकर फल के पकने तक नुकसान पहुंचता है. इस कीट की इल्लियाँ भूमिगत तने तथा जड़ों को क्षति पहुंचती है. जिससे पौधा सूख कर मर जाता है. इसका वयस्क भृंग पौधे की मुलायम पत्तियों, फूलों तथा फलों को खुरच कर इसके हरे भाग के रस को खाता है. जिसके कारण पौधा सूख जाता है. 

हड्डा भृंग कीट 

कीट की पहचान – इस कीट का भृंग का कवच पीले रंग के होते है. इसके अलावा इसके पीले रंग पर छोटे-छोटे काले रंग के 28 धब्बे भी पाए जाते है. तथा इसकी इल्ली पीले रंग की होती है. इसके साथ ही इसके पूरे शरीर पर काटेनुमा संरचना उभरी हुई होती है. 

फसल का नुकसान – इस कीट के इल्ली तथा भृंग दोनों ही फसलों को नुकसान पहुंचाते है. यह कीट पौधों के पत्तों का नुकसान पहुंचाते है. यह पत्तों के हरे भाग को खाती है. जिससे पत्ती शिराविन्याश ही शेष बचती है. जिसके कारण पत्ते विल्कुल कागज की तरह दिखाई पड़ने लगते है.   

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कीट नियंत्रण के उपाय 

किसान भाई अपनी कद्दूवर्गीय सब्जी फसलों को निम्न तरीके अपनाकर इन कीटों का नियंत्रण कर सकते है – 

  • किसान भाई अपनी फसलों की कटाई के बाद खेत की मिट्टी पलटने वाले हल से गहरी जुताई करके छोड़ दे. जिससे धूप लगने से खेत की भूमि में उपलब्ध अंडे और प्यूपा नष्ट हो जाए.
  • इसके उपरांत खेत में बचे हुए अवशेषों को भी साफ़ कर लेना चाहिए. इसके अलावा समय-समय पर खेत की फसलों की निराई-गुड़ाई करते रहना चाहिए. 
  • किसान भाई खेत में फसल लगाते समय इस बात का ध्यान रखे. कि खेतों में कीट प्रतिरोधी किस्मों की ही बुवाई करनी चाहिए.
  • इसके अलावा इस बात का ध्यान रखे फसलों की समय पर बुवाई और कटाई करनी चाहिए. 
  • किसान भाई फल मक्खी के नियंत्रण के लिए फल मक्खी से ग्रसित फलों को गड्ढे में दबा कर नष्ट कर देना चाहिए. जिससे इसके संक्रमण को कम किया जा सकता है. 
  • इस फल मक्खी को किसान भाई नियंत्रण के लिए मिथाइल यूजेनाल तथा ककड़ी भृंग के नियंत्रण के लिए क्यू-ल्यूर का 20-25 ट्रैप प्रति हेक्टेयर लगा सकते है. 
  • बचाव के अन्य उपयोगों में किसान भाई नीम आधारित कीटनाशकों जैसे नीम बिनौला, नीम तेल आदि का उपयोग अपनी फसलों पर कर सकते है. 
  • जैविक कीटनाशक जैसे बबेरिया बैसियाना, मेटाराइजीयम एनीसोपिली, बसिलस थूरेंजेनेसिस आदि उपयोगी कीटनाशको का उपयोग किया जा सकता है.
  • इसके अलावा किसान भाई बुवाई के समय भूमि में कार्बोप्यूरान 3 जी 7 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर या कार्बारिल 50 डब्लू० पी० 375 ग्राम प्रति हेक्टेयर के हिसाब से 250-300 लीटर पानी में मिलाकर छिडकाव कर सकते है. 
  • अगर रासायनिक कीटनाशकों उपयोग करना है तो किसान भाई साइपरमेथ्रिन 10 ई०सी० 250-300 एम०एल० प्रति एकड़ के हिसाब से 10-12 दिन के अंतराल पर छिड़काव करना चाहिए.    
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