Tree farming in India | किसान भाई इन तीनों पेड़ों की खेती कर बन सकते है करोड़पती

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Tree farming in India
ज्यादा मुनाफा देने वाले तीन पेड़ों की खेती 

Tree farming Tips In India | ज्यादा मुनाफा देने वाले तीन पेड़ों की खेती 

देश में लगातार हो रहे जलवायु परिवर्तन एवं खेती के गलत पारम्परिक तरीकों से किसानों को खेती में काफी हानि हो रही है. जिससे उनकी आय में भी गिरावट आ रही है. इसलिए किसान भाई अब पारम्परिक खेती को छोड़कर मुनाफा देनी वाली फसलों की खेती की तरफ रुख कर रहे है.

इसी कड़ी में किसान भाई अब पेड़ों की खेती (Tree cultivation) करनी शुरू कर रहे है. इन पेड़ों में किसानों ने सफेदा, सागवान, गम्हार, महोगनी जैसे पेड़ों की खेती कर रहे है. जिनसे किसानों को करोड़ों का मुनाफा हो रहा है. जिससे उनकी आय में भी बढ़ोत्तरी हुई है.

सफेदा पेड़ की खेती

सफेदा के पेड़ से फर्नीचर, ईंधन तथा कागज का लुगदी आदि बनाने के काम में आता है. इसलिए बाजार में भी इसकी मांग अत्यधिक रहती है. इसका पेड़ पांच साल में तेयार हो जाता है. उसके बाद किसान भाई इसे काट सकते है. अत्यधिक कमाई के लिए कृषि विशेषज्ञ के अनुसार किसान भाई इसे 10 से 12 साल पर इससे काटे तो इससे अधिक मुनाफा प्राप्त होगा. एक हेक्टेयर में इसके तीन हजार तक इसके पेड़ लगाए जा सकते है. एक तैयार पेड़ से लगभग 4 कुंटल तक लकड़ी प्राप्त हो जाती है. बाजार में इसकी कीमत 6 से 9 रूपये प्रति किलों तक रहती है. इस एक हेक्टेयर में तीन हजार पेड़ लगाने से किसान भाई एक करोड़ तक रूपये आसानी से कमा लेगे.

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महोगनी पेड़ की खेती 

महोगनी के पेड़ का उपयोग जहाज, गहने, फर्नीचर, प्लाईवुड, सजावट और मूर्तियां बनाने में किया जाता है. इसके अलावा इसकी पत्तियां और खाल का उपयोग कई तरह की गंभीर बीमारियों में भी होता है. इसकी पत्तियों और बीजों के तेल का इस्तेमाल मच्छर भगाने वाले प्रोडक्ट्स और कीटनाशक बनाने में किया जाता है. इसके तेल का इस्तेमाल साबुन, पेंट, वार्निश और और कई तरह की दवाइयां बनाने में होता है. इसलिए बाजार में इसकी लकड़ी की कीमत अच्छी मिल जाती है. इसके पेड़ों को पूरी तरह तैयार होने में 12 साल लगते है. इसके साथ ही इसके बीज भी बाजार में एक हजार रूपये प्रति किलो तक में बिक जाते है. किसान भाई इसकी लकड़ी की उपज 12 साल में काट कर बाजार में बेच कर अच्छा मुनाफा कमा सकते है.

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सागवान पेड़ की खेती

सागवान पेड़ की लकड़ी का ज्यादातर उपयोग फर्नीचर और भवन निर्माण में किया जाता है. इसलिए बाजार में इसकी मांग हर समय बनी रहती है. लेकिन इसकी मांग अधिक होने के कारण किसान भाई इसकी पूर्ती नही कर पाते है. इसलिए सरकार द्वारा इसके पेड़ लगाने के लिए किसानों को प्रोत्साहित करना पड़ता है. जिसके लिए राज्य सरकारों द्वारा इन पेड़ों को लगाने के लिए समय-समय पर अनुदान योजना लाती रहती है. इसका पेड़ भी तैयार होने में 12 साल का समय लगता है. 12 वर्षों में इसका पेड़ काफी मोटा और काटने लायक हो जाता है. इसके पेड़ से काटने के बाद दूसरी उपज भी ली जा सकती है. इसकी बाजार मूल्य काफी अच्छा रहता है. एक एकड़ में इसके 500 वृक्ष आराम से लगाए जा सकते है. जो 12 साल बाद करोड़ों रूपये का मुनाफा देगें.

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