Eucalyptus in Hindi | सफेदा की खेती कैसे करे ?, जिससे किसान भाई हो मालामाल

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Eucalyptus in Hindi
सफेदा की खेती कैसे करे ?

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Eucalyptus in Hindi | सफेदा की खेती कैसे करे ?

देश में सफेदा की खेती (Eucalyptus farming) लकड़ी का उत्पादन प्राप्त करने के लिए की जाती है. यह मूल रूप से ऑस्ट्रेलिया का पौधा है. इसको अंग्रेजी में (safeda tree in english) युकेलिप्टस (Eucalyptus) कहा जाता है, जो कम समय में अधिक तेजी से और सीधा फैलता है. और इसके पेड़ की कई बार कटाई की जा सकती है.. जिससे किसानों को इसकी खेती से अच्छा मुनाफा प्राप्त होता है. इसलिए गाँव किसान आज अपने इस लेख में सफेदा की खेती (Eucalyptus farming in hindi) की पूरी हिंदी में जानकारी देगा. जिससे किसान भाई इसकी खेती अच्छी प्रकार कर लाखों का मुनाफा कमा सके. तो आइये जानते है सफेदा की खेती (Eucalyptus in Hindi) की पूरी जानकारी –

सफेदा के फायदे एवं उपयोग (Benefits and uses of Eucalyptus)

सफेदा के पेड़ से प्राप्त लकड़ी से लकड़ी की पेटियां, ईंधन, हार्ड बोर्ड वगैरह, लुगदी, फर्नीचर, पार्टिकल बोर्ड, इमारतो तथा जहाज बनाने में करते है. इसके अलावा इसकी पत्तियों से एक शीघ्र उडऩे वाला तेल (nilgiri oil) यूकेलिप्टस तेल, निकाला जाता है, जो गले, नाक तथा पेट की बीमारियों तथा सर्दी जुकाम में औषधी के रूप में प्रयोग किया जाता है. इसके पेड़ की छाल से कागज भी बनाया जाता है.

भारत में सफेदा की खेती एवं क्षेत्र (Eucalyptus cultivation and area in India)

युकेलिप्टस को (eucalyptus meaning in hindi) गम, सफेदा और नीलगिरि (Nilgiri tree) आदि नामों से जाना जाता है. विश्व में यूकेलिप्टस (safeda ki kheti) अब अमरीका, यूरोप, अफ्रीका एवं भारत में बहुतायत से उगाया जाता है. भारत में मुख्य रूप से आंध्र प्रदेश, बिहार, गोआ, गुजरात ,पंजाब, हरियाणा, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, तमिलनाडु, केरल, पश्चिमी बंगाल और कर्नाटक में इसकी खेती (safeda tree) होती है.

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सफेदा की खेती के लिए जलवायु (Climate for Eucalyptus Cultivation)

सफेदा अथवा नीलगिरी की खेती के लिए किसी खास तरह की जलवायु की जरुरत नहीं पड़ती है. इसके पौधे को किसी भी जलवायु में आसानी से उगाया जा सकता है. इसके पौधों को साल में 20 से 125 सेंटीमीटर बारिश की आवश्यकता होती है. नीलगिरी के पौधे अधिकतम 47 डिग्री और न्यूनतम 0 डिग्री तापमान पर भी आसानी से विकास करते है.

सफेदा की खेती के लिए भूमि (Land for farming of Eucalyptus)

नीलगिरी की खेती की अच्छी पैदावार के लिए उचित जल निकास और जैविक तत्वों से भरपूर मिट्टी की आवश्यकता होती हैं. इसके पौधे गहरी परत एवं 6.5 से 7.5 के मध्य पी० एच० मान वाली भूमि में अच्छा विकास करते है. इसके अलावा जल भराव वाली भूमि में भी पेड़ो को लगाया जा सकता है.

सफेदा की उन्नत किस्में (Improved varieties of Eucalyptus)

सफेदा की खेती के लिए की कई उन्नत किस्में उपलब्ध है, जिसके पेड़ो की लम्बाई 30 से 90 मीटर तक हो जाती है. युकेलिप्टस की सेंचुरियन और कोस्ट रेडवुड दो ऐसी किस्में है, जिसके पौधे सबसे अधिक उंचाई सबसे अधिक होती है.लेकिन भारत में यह किस्में नहीं पायी जाती है.

भारत में सफेदा की कुल 6 किस्मों को उगाया जाता है, जिनकी उंचाई अधिकताम 80 मीटर तक हो जाती है.ये उन्नत किस्में इस प्रकार है- युकेलिप्टस निटेंस, युकेलिप्टस ऑब्लिक्वा, युकेलिप्टस विमिनैलिस, युकेलिप्टस डेलीगेटेंसिस, युकेलिप्टस ग्लोब्युल्स और युकेलिप्टस डायवर्सीकलर आदि.

सफेदा की खेती के लिए भूमि तैयारी (Land preparation for the cultivation of Eucalyptus)

खेत में सफेदा के पौधों को लगाने से पहले खेत में मौजूद पुरानी के अवशेषों को हटाकर अच्छी प्रकार सफाई कर लेनी चाहिए. इसके उपरांत खेत में सिंचाई कर, खेत की गहरी जुताई कर देनी चाहिए. इसके बाद कल्टीवेटर से दो से तीन तिरछी जुताई करनई चाहिए तथा बाद में पाटा लगाकर खेत को समतल कर दे.

समतल खेत में पौध रोपाई के लिए गड्डो की खुदाई करनी चाहिए. इसके लिए खेत में 5 फ़ीट की दूरी रखते हुए एक फ़ीट चौड़ा और इतना ही गहरा गड्डा बना लिया जाता है.

इन गड्डो को पंक्तियों में तैयार करना चाहिए तथा प्रत्येक पंक्ति के मध्य 5 से 6 फ़ीट की दूरी रखणी चाहिए. सफेदा की पौध को खेत में लगाने से पहले गड्डों में उचित मात्रा में गोबर की खाद डालकर उसे मिट्टी में मिला देना चाहिए. इसके अलावा इन गड्डों में 200 ग्राम एन.पी.के. की मात्रा डालकर उसे भी मिट्टी में मिला देना चाहिए और इसके उपरांत गड्डों की सिंचाई कर देना चाहिए. इन गड्डों को पौध लगाने से लगभग 20 दिन पहले तैयार कर लेना चाहिए.

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सफेदा के पौधों को लगाने का उचित समय एवं तरीका (Proper time and method of planting Safeda plants)

सफेदा के पौधों की रोपाई करने के लिए पौध तैयार की जाती है, इसके लिए बीजो को नर्सरी में लगाकर पौध तैयार की जा सकती है. इसके अलावा इसके पौधों को किसी रजिस्टर्ड नर्सरी से भी ख़रीद सकते है. सफेदा के पौधों की रोपाई के लिए वर्षा का मौसम सबसे उपयुक्त होता है, इस दौरान इसके पौधों को प्रारंभिक सिंचाई की जरुरत नहीं पड़ती है, तथा पौधों का विकास भी अच्छी प्रकार से हो जाता है. असिंचित क्षेत्रों में इसके पौध की रोपाई फ़रवरी के महीने में की जाती है.

सफेदा के पौधों को गड्डो में लगाने से पहले गोमूत्र से उपचारित कर लेना चाहिए. उपचारित पौधों को तैयार गड्डो में एक छोटा सा गड्डा बनाकर लगान चाहिए. छोटे गड्डो को भी क्लोरोपाइरीफास 20 ईसी की उचित मात्रा से उपचारित कर लेना चाहिए , इससे पौधों को आरम्भ में जड़ गलन जैसे रोग नहीं लगते है, पौध रोपाई के पश्चात उन्हें चारो तरफ मिट्टी से अच्छे से ढक देना चाहिए.

सफेदा के पौधों की सिंचाई (Irrigation of Eucalyptus Plants)

बरसात के मौसम में की गयी पौध रोपाई में प्रारम्भिक सिंचाई की आवश्यकता नहीं पड़ती है. यदि पौध की रोपाई वर्षा के मौसम से पहले की गई है, तो पहली सिंचाई को पौध रोपाई के तुरंत बाद कर देना उचित होता है. यूकेलिप्टस के पौधों को बारिश के मौसम में 40 से 50 दिन के अंतराल पर सिंचाई की आवश्यकता पानी होती है, तथा सामान्य मौसम में 50 दिन के अंतराल पर सिंचाई करनी चाहिए. सफेदा के पौधों के लिए एक वर्ष में 5 से 6 सिंचाई की जरुरत होती है. ऐसे क्षेत्रों में जहा सिंचाई के साधन नही उपलब्ध है, वहां पर एक वर्ष में 12 सिंचाई की जरुरत होती है जिससे पौधा समुचित विकास कर सके.

सफेदा की खेती में खरपतवार नियंत्रण (Weed control in Safeda cultivation)

प्रारम्भ में युकेलिप्टस के पौधों को खरपतवार से बचाना चाहिए. इसके लिए खेत की समय-समय पर निराई -गुड़ाई की जानी चाहिए. इससे पौधों को उचित मात्रा में पोषक तत्व प्राप्त हो जाते है, और पौधा का विकास भी अच्छी प्रकार हो जाता है. पहले वर्ष में इसके पौधों को तीन से चार गुड़ाई की आवश्यकता पड़ती है, तथा वर्षा के मौसम में जन्म लेने वाली खरपतवार को उखाड़कर नष्ट कर देना चाहिए.

सफेदा की खेती में अतरिक्त कमाई (Extra income in nilgiri plant)

SAFEDA KI KHETI में पौधे को तैयार होने में 8 से 10 वर्ष का समय लग जाता हैं. और सफेदा के पौधों को खेत में 5 फिट की दूरी पर लगाया जाता हैं. इसलिए दो पंक्तियों के बीच काफी शेष बची जमीन बच जाती है. इस बची जमीन में किसान भाई औषधीय या मसाला फसल उगाकर आर्थिक परेशानियों से बच सकते है. इससे किसान भाईयों की अतिरिक्त कमाई भी हो जाएगी.

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सफेदा के पौधों में लगने वाले रोग व कीट एवं नियंत्रण (Diseases and pests and control of Eucalyptus plants)

सफेदा के पौधों मे रोग लगने की सम्भावना बहुत ही कम होती है, किन्तु कुछ रोग ऐसे है, जो पौधों में लगकर उपज को नुकसान पहुंचा देते है, जिससे पेड़ के विकास पर भी प्रभाव पड़ता है.

झुलसा रोग 

झुलसा रोग सफेदा के पौधों पर गर्मियों के मौसम में दिखलाइ पड़ता हैं. इस रोग के लगने पर पौधों की पत्तियां झुलसकर नीचे गिरने लगती हैं. जिससे पौधे का विकास रुक जाता है.

इस रोग के नियंत्रण के लिए पौधे पर बाविस्टीन या इंडोफिल एम 45 का छिडकाव पौधे पर करना चाहिए.

दीमक कीट 

सफेदा के पौधे पर दीमक का प्रकोप किसी भी अवस्था में दिखाई दे सकता है. इस कीट के लगने पर पौधे की शाखाएं और पत्तियां मुरझा जाती हैं. और इसका प्रभाव ज्यादा बढ़ने पर पौधा सूख जाता हैं.

इस दीमक कीट के लगाने पर पौधे की जड़ों में क्लोरोपायरीफॉस का छिडकाव अवश्य करना चाहिए.

पिंक रोग

सफेदा के पौधे पर यह रोग ज्यादातर गर्मियों के मौसम की शुरुआत में दिखाई पड़ता हैं. इस रोग से पौधे की पत्तियों पर पीले रंग के चित्ते बनना प्रारंभ हो जाते हैं, और पूरी पत्ती पर फैल जाते है जिससे पत्तियां खराब होकर गिर जाती हैं. और शाखाएं भी नष्ट हो जाती हैं.

इस रोग के नियंत्रण के लिए पौधों पर गर्मियों के मौसम से पहले दो बार बोर्डो मिश्रण का छिडकाव करना उचित होता है.

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सफेदा के पेड़ों की कटाई का उचित समय (Appropriate time for harvesting of Safeda trees)

सफेदा के पौधों को तैयार होने में 8 से 10 वर्ष का समय लगता है. तैयार पेड़ों को नवम्बर से फरवरी के मध्य में कटाई के लिए उचित होता है. इसके अलावा बारिश के मौसम में भी कटाई की जा सकती है.

सफेदा की उपज और कीमत (Eucalyptus yield and price)

सफेदा का पौधा पूर्ण रूप से विकसित होने में 10 से 12 वर्ष का समय लगता है. इसकी लकड़ी का बाज़ारी भाव थोक के रूप में लगभग 200 रूपए से लेकर 600 रूपए प्रति क्विंटल रहता है. इसके एक पेड़ का वजन लगभग 400 किलोग्राम के होता है, तथा एक हेक्टेयर के खेत में तक़रीबन एक से डेढ़ हज़ार पेड़ो को आसानी से उगाये जा सकते है. किसान भाई सफेदा की एक बार की पैदावार से 16 से 20 लाख तक की कमाई ले सकते है और अधिक लाभ कमा सकते है.

अन्य पूछे जाने वाले प्रश्न (Other FAQ)

प्रश्न : सफेदा का पेड़ कितने दिन में तैयार होता है?

उत्तर :  सफेदे के पेड़ों की कटाई आठ से 10 वर्ष बाद करके 10 से 12 लाख रुपये कमाए जा सकते हैं.

प्रश्न : सफेदा की लकड़ी का क्या रेट है?

उत्तर : बाजार में इस समय गीले सफेदा की कीमत 700 रुपए प्रति क्विंटल तक है.

प्रश्न : सफेदा का वैज्ञानिक नाम क्या है?

उत्तर : सफेदा का वैज्ञानिक नाम Buds, capsules and foliage of E. terticornis सपुष्पक (Angiosperms) है.

प्रश्न : सफेदा 1 दिन में कितना पानी पीता है?

उत्तर : सफेदा का पेड़ एक दिन में 12 लिटर पानी अवसोसित करता है .

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