गेहूं की खेती में आल्टर्नेरिया पर्ण अंगमारी रोग से अपनी फसलों को कैसे बचाएं? आइये जाने पूरी जानकारी 

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Alternaria leaf blight
आल्टर्नेरिया पर्ण अंगमारी रोग

Alternaria leaf blight | आल्टर्नेरिया पर्ण अंगमारी रोग से गेहूं की फसल में बचाव 

देश में गेहूं की खेती बड़े पैमाने पर की जाती है. किसान भाई गेहूं की फसल में अधिक उत्पादन के लिए के लिए जी तोड़ मेहनत भी करते है.लेकिन गेहूं की फसल में लगने रोगों की जानकारी न होने के चलते उन्हें खेती की फसल में नुकसान उठाना पड़ता है. 

इसलिए गाँव किसान के गेहूं की फसल में लगने वाले रोगों की जानकारी अपने लेखों के जरिये किसानों तक पहुचाने की एक छोटा सा प्रयास कर रहा है. इसी कड़ी में आज के इस लेख में गेहूं की फसल में लगने वाला आल्टर्नेरिया पर्ण अंगमारी रोग की जानकारी किसान भाइयों को दी जाए गई. जिससे किसान भाई इस रोग से अपने गेहूं की फसल का बचाव कर सके. तो आइये जानते है. गेहूं की फसल का आल्टर्नेरिया पर्ण अंगमारी रोग (Alternaria leaf blight) की पूरी जानकारी – 

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आल्टर्नेरिया पर्ण अंगमारी रोग के मुख्य लक्षण 

इस रोग के लगने से गेहूं के पौधों में पत्तियों पर छोटे-छोटे अंडाकार, अनिश्चित आकार के, पीले-भूरे से काले-भूरे धब्बे बन जाते है. ये धब्बे आपस में मिलकर पत्तियों को झुलसा देते है. रोग का प्रकोप अधिक होने के लक्षण पौधे के अन्य भागों पर भी पाए जाते है. 

रोग के प्रकोप क्षेत्र | Alternaria leaf blight

इस रोग का प्रकोप देश के उन सभी राज्यों में गेहूं की फसल में पाया जाता है. जहाँ भी गेहूं की खेती की जाती है. 

रोग के प्रकोप का समय एवं रोग की शुरुवात 

इस रोग का प्रकोप गेहूं की फसल में फरवरी से अप्रैल तक होता है. यह फसल में दो तरह से होता है अन्तःबीजोड़ और मृदोढ. द्वितीयक संक्रमण कोनिडियम द्वारा होता है. 

रोग की अनुकूल परिस्थियाँ 

यह उन स्थान में अधिक फैलता है. जहाँ अधिक नमी पायी जाती है. इस रोग के लिए औसत तापमान 25 डिग्री सेल्सियस रोग में सहायक होता है. 

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रोग का नियंत्रण कैसे करे ? 

किसान भाई इस रोग का नियंत्रण के लिए निम्न उपाय कर सकते है-

  • फसल कटाई के बाद पौध अवशेषों को जला देना चाहिए. 
  • किसी बढ़िया कवकनाशी से गेहूं के बीजों को बीजोपचार करना चाहिए. 
  • नाइट्रोजन अधिक देने से पौधे तेज बढ़ते है. और रोग कम लगता है. 
  • रोग रोधी किस्मों का चुनाव करना चाहिए. 
  • इसके अलावा जिनेब या डाईथेन एम-45 का 3 से 4 छिड़काव 10-15 दिनों के अंतर पर 2.5 किग्रा० प्रति हेक्टेयर प्रति 1000 लीटर पानी के हिसाब से रोग दिखाई पड़ने पर शुरू करे. 
  • इस दवा में 3 प्रतिशत यूरिया मिलाने से रोग रोकने में सहायता मिलती है. 
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