Black Turmeric Cultivation | काली हल्दी की खेती से कमायें बम्पर मुनाफा

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Black Turmeric Cultivation
काली हल्दी की खेती से कमायें बम्पर मुनाफा

काली हल्दी की खेती से कमायें बम्पर मुनाफा

देश के किसान पारम्परिक खेती में कम मुनाफे की वजह से अब ऐसी खेती की तरफ रुख कर रहे है जिसमें उनका बम्पर फायदे हो. वह खेती के जरिये अधिक लाभ कमा सके. इसी कड़ी में किसान भाई काली हल्दी की खेती (Black Turmeric Cultivation) कर रहे है. औषधीय गुणों के कारण काली हल्दी की बाजार में काफी अच्छी कीमत मिलती है. जिसकी वजह से वह अच्छा मुनाफा कमा (profit in Black Turmeric Farming) सकते है. तो आइये जानते है काली हल्दी की खेती के बारे में पूरी जानकारी –

काली हल्दी के फायदे (benefits of black turmeric)

काली हल्दी (black turmeric) एक दुर्लभ जड़ी-बूटी है. इसमें एंटी-बैक्टीरियल, एंटी-फंगल गुण पाए जाते है.  कोविड के बाद काली हल्दी की मांग काफी ज्यादा बढ़ गयी है. क्योकि यह एक इम्यूनिटी बूस्टर औषधि है. इसके अलावा यह निमोनिया, खांसी, बुखार, अस्थमा जैसी बीमारियों में इसका सेवन फायदेमंद होता है. साथ ही कैंसर जैसी बड़ी बीमारियों में उपयोग होने वाली दवाओं को बनाने में इसका इस्तेमाल किया जाता है. इसके अलावा इसका उपयोग कॉस्मेटिक प्रोडक्ट बनाने और धार्मिक अनुष्ठान में भी में किया जाता है.

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उत्पत्ति एवं क्षेत्र (Origin and area of black turmeric)

काली हल्दी आयुर्वेद का एक महत्वपूर्ण पौधा है. इसका सामान्य नाम काली हल्दी है. इसका वानस्पतिक नाम कुरकुमा केसिया है. यह जिजीबेरेसी कुल का पौधा है. इसका मूलतः एक भारतीय पौधा (black turmeric farming in india) है. देश के मध्य व दक्षिण के क्षेत्र एवं असम इसके उत्पादन का मुख्य भाग है.

जलवायु एवं भूमि (Black Turmeric Climate and Land)

काली हल्दी की अच्छी उपज के लिए गर्म एवं आर्द्र जल्वाऊ की आवश्यकता पड़ती है. इसका पौधा प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से सूर्य की रौशनी पसंद करता है. इसलिए इसके पौधों को धूप वाली जगहों पर उगाना चाहए. जब वायुमंडल का तापमान 10 डिग्री सेंटीग्रेड से कम हो जाता है. तो हल्दी के पौधे के विकास पर प्रभाव पड़ता है.

काली हल्दी की खेती के लिए उपजाऊ भूमि का जरुरत होती है. इसलिए इसे हलके काले, राख लोम और लाल मिट्टी, दोमट मिट्टी, काली मिट्टी या बलुई दोमट मिट्टी में अच्छी प्रकार की जा सकती है. खेत से पानी निकास की अच्छी व्यवस्था होनी चाहिए. थोड़ी अम्लीय भूमि में भी कलि हल्दी की खेती सफलता पूर्वक की जा सकती है.

काली हल्दी लगाने का उचित समय (Best time to apply black turmeric)

काली हल्दी लगाने का उचित समय जून की शुरुवात से अगस्त के आखिर तक होता है. लेकिन अगर जमींन अच्छी उपजाऊ है. और पानी की उचित व्यवस्था है. तो इसकी खेती साल के किसी भी महीने में की जा सकती है.

खेत की तैयारी (Field preparation for planting black turmeric)

काली हल्दी की खेती के लिए भूमि की बहुत अच्छी प्रकार तैयारी करनी चाहिए. क्योकि यह भूमि के अन्दर होती है. जिसके लिए खेत की मिट्टी को अच्छी प्रकार भुरभुरी बना लेना चाहिए. इसलिए खेत की भूमि को 1.5 फीट गहरी जुताई करनी चाहिए.

इसके अलावा जुताई करते समय जैविक खाद को सामान मात्रा में फैलाकर उसके बाद मिट्टी और खाद को मिला लेना चाहिए. और जुताई कर मिट्टी बारीक और भुरभुरा बना लेना चाहिए.

इसके उपरांत खेत की मिट्टी में 2 फुट चौड़े बेड या मेड को बना लेना चाहिए. इसकी उंचाई एक फुट रखते है. काली हल्दी की खेती में बेड के ऊपर ढकने के लिए प्लास्टिक की मल्चिंग शीट का उपयोग करना चाहिए, जिससे कम हो. जिससे किसान भाई इस खर्चे से बच सके.

इसके अलावा इसी समय सिंचाई के लिए बूँद-बूँद सिंचाई यानी इर्गेशन सिस्टम भी लगवा लेना चाहिए. इसके इस्तेमाल से पानी की बचत के साथ उत्पादन में भी 15 से 25 प्रतिशत तक की बढ़ोत्तरी हो जाती है.

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बीज की मात्रा और लगाने की विधि (Planting Black Turmeric Seed Quantity and Method of Application)

काली हल्दी की बुवाई के लिए प्रति एकड़ लगभग 10000 गांठो की आवश्यकता पड़ती है. एक पौधे से दूसरे पौधे की दूरी 2 फुट और दो लाइन के बीच 2 फुट का अंतर रखना चाहिए.

गांठों को लगाने से पहले एक सिंचाई करनी चाहिए. जिसमें देसी गाय का गोमूत्र प्रति एकड़ 10 लीटर, 100 लीटर पानी में मिलाकर और ट्राईकोडर्मा फफूंदीनाशक पाउडर प्रति एकड़ 1000 ग्राम, 100 लीटर पानी में मिलाकर ड्रिप सिस्टम की सहायता से देना चाहिए. जिससे भूमि में मौजूद हानिकारक तत्व नष्ट हो जाय.

बीजोपचार (black turmeric seed treatment)

काली हल्दी के गाठों को जमीन में बुवाई से पहले उपचारित कर लेना चाहिये. इसके लिए एक बर्तन में 10 लीटर पानी लेना चाहिए. उसमें 2 लीटर गो मूत्र और 10 ग्राम ट्रायकोडर्मा पाउडर मिला लेना चाहिए. इस तैयार घोल में काली हल्दी की गांठो को 5 से 10 मिनट तक डूबा कर रखना चाहिए. इसके उपरांत गांठो को निकल कर भूमि में बुवाई कर देनी चाहिए. गांठो की बुवाई 2 से 3 इंच की गहराई में करनी चाहिए. बुवाई के तुरंत बाद खेत की सिंचाई जरुर करे.

खाद एवं उर्वरक (Black Turmeric Manure and Fertilizer)

कलि हल्दी की खेती में जैविक खादों का इस्तेमाल करना सबसे उचित होता है. जैविक खड़े जिनका उपयोग करना चाहिए.वह इस प्रकार है –

  • केचुवे की खाद/वर्मीकम्पोस्ट – यह खाद पौधों को पोषक तत्व प्रदान करती है.
  • नीम की खली – यह खाद भूमि में उपस्थिति कीटों को मार देती है.
  • जिप्सम पाउडर – यह भूमि को भुरभुरा बनाये रखने में मदद करता है.
  • ट्रायकोडर्मा फफूंद नाशक पाउडर – यह भूमि में उपस्थिति हानिकारक फफूंद को मारता है.

सिंचाई (black turmeric irrigation)

काली हल्दी की सिंचाई करते समय इस बात का ध्यान रखे कि सिंचाई के उपरांत खेत में जल भराव न हो. बारिश के पानी को भी खेत से जल्द से जल्द बाहर निकालने का उचित प्रबंध करना चाहिए. लेकिन यह भी ध्यान रखे पौधे के जड़ों के पास हर समय नमी होनी चाहिये. इसके अलावा फसल में आवश्यकतानुसार समय-समय पर सिंचाई करते रहना चाहिए.

निराई एवं गुड़ाई (Black turmeric weeding and hoeing)

काली हल्दी की अच्छी निराई-गुड़ाई के लिए 2 से 3 निराई गुड़ाई अवश्य करनी चाहिए. जिसमें पहली निराई गुड़ाई बुवाई के 60 से 80 दिन बाद और दूसरी निराई-गुड़ाई उसके एक महीने बाद करनी चाहिए.

इसके अलावा फसल में पहले ही ज्यादा खरपतवार दिखाई पड़े तो निराई-गुड़ाई पहले भी कर सकते है. साथ ही आवश्यकतानुसार भी निराई-गुड़ाई की कर सकते है इससे वायुसंचार अच्छा होता है. जिससे फसल का उत्पादन बढ़िया होता है.

रोग एवं कीट (Black Turmeric Diseases and Pests)

काली हल्दी की खेती ज्यादा रोग नही होते है. लेकिन कुछ कीट लगने की आशंका रहती है. जिससे पौधों को हानि पहुंचती है. इसलिए किसान भाई बॉरडाक्स या जैविक कीटनाशकों का छिडकाव कर इन कीटों की रोकथाम कर सकते है.

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खुदाई, उपज एवं कीमत (Black Turmeric Digging, Yield and Price)

काली हल्दी की फसल 8 से 9 महीने में तैयार हो जाती है. जब भी तैयार फसल की खुदाई करे तो उस समय यह ध्यान रखना चाहिए कि प्रकन्द न तो कटे, न छिले और न ही भूमि में रहे.

अगर काली हल्दी की पैदावार की बात की जाय तो 70 से 75 कुंतल प्रति एकड़ तक हो जाती है. लेकिन इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि कच्ची हल्दी को सूखने के बाद यह 20 से 25 प्रतिशत तक रह जाती है. बाजार में काली हल्दी की कीमत लगभग 150 रूपये प्रति किलों तक रहती है.

बीज के लिए प्रकंदों का भंडारण (storage of rhizomes for seeds)

काली हल्दी की खेती में बीज सामग्री के लिए रखी गई कंदों को हल्दी के पत्तों से ढककर अच्छे हवादार कमरों में रखना चाहिए.

अन्य पूछे जाने वाले प्रश्न (FQA)

प्रश्न : काली हल्दी की कीमत क्या है?

उत्तर : किसानों की सामान्य पीली हल्दी 60 से 100 रुपए प्रति किलो के भाव में बिकती है। वहीं काली हल्दी की कीमत 800 से एक हजार रुपए होती है। सबसे बड़ी बात ये कि वर्तमान में काली हल्दी बड़ी मुश्किल से मिल पाएगी

प्रश्न : हल्दी का बीज कहाँ मिलता है?

उत्तर : Organic Kisan हल्दी के बीज (हल्दी की जड़ें) रोपण के लिए – 1 Kg : Amazon.in: बाग-बगीचा और आउटडोर स्टॉक में है. K C ENTERPRISES . द्वारा बेचा जाने वाला और Amazon द्वारा डिलीवर किया गया.

प्रश्न : काली हल्दी कौन से काम में आती है?

उत्तर : इंफ्लेमेटरी गुणों की बात करें, तो काली हल्दी में पीली हल्दी से कहीं ज्यादा घाव, चोट, र्दद, बीमारी को ठीक करने के गुण होते हैं. इसमें करक्यूमिन की मात्रा पीली हल्दी की तुलना में ज्यादा होती है

प्रश्न : काली हल्दी का दूसरा नाम क्या है?

उत्तर : इसे मध्य भारत और दक्षिण भारत में उगाया जाता है. इसका वानस्पतिक नाम कुरकुमा, केसिया है. इसे ब्लेक अंग्रेजी में जे डोरी कहते हैं. भारत में काली हल्दी को इसके लाभकारी गुणों के कारण नरकचूर नाम से भी जाना जाता है

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