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गन्ने नई किस्म से एक एकड़ में 55 टन तक की उपज
देश में किसानों की स्थिति बेहतर हो सके. इसके लिए कृषि वैज्ञानिक के द्वारा नई नई खोजें की जा रही हैं. जिससे किसानों को उनकी फसलों से अच्छी उपज प्राप्त हो सके. इसी कड़ी में गन्ने की एक नई वैरायटी का केरल में सफल परीक्षण किया गया है. जिसमें किसानों को कम पानी, उर्वरक का प्रयोग और साधन रखरखाव कर बढ़िया उपज ले सकेंगे. यह नई वैराइटी गन्ना उत्पादक किसानों के लिए एक नई उम्मीद की तरह है.
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सूखे और कीटों से हमलों के प्रति है अधिक प्रतिरोधक क्षमता
गन्ने की नई किस्म का संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (यूएनडीपी) राज्य की केरल हरित मिशन परियोजना ने सफल परीक्षण किया है.गन्ने की इस किस्म का नाम है सीओ-86032. गन्ने की यह नई किस्म में सूखे और कीटों से हमलों के प्रति अधिक प्रतिरोधक क्षमता पाई गई है.परीक्षण से जुड़े अधिकारियों के मुताबिक, गन्ने की नई किस्म पर सस्टेन सुगरकेन इनीशिएटिव (एसएसआई) के लिए 2021 में पायलट प्रोजेक्ट लागू किया गया था.
गन्ने की खेती के लिए एसएसआई विधि
एसएसआई गन्ने की खेती के लिए एक ऐसी विधि है. जिसमें कम गुलियों, कम पानी, उर्वरकों का कम प्रयोग कर फसल में अधिक पैदावार प्राप्त की जा सकती है.
प्रोजेक्ट के कृषि सलाहकार श्रीराम परमशिवम ने कहा कि केरल के मरयूर में पारंपरिक रूप से गन्ने की गुलियों का उपयोग करके सीओ-86032 किस्म की खेती की जाती रही है. लेकिन इस परीक्षण में पहली बार गन्ने की पौध-बीज का इस्तेमाल खेती के लिए किया गया है. तमिलनाडु, कर्नाटक और आंध्र प्रदेश राज्यों ने गन्ने की खेती के लिए एसएसआई विधि पहले ही लागू कर दी है. खेती की नई विधि का उद्देश्य कम लागत पर उपज बढ़ाना है.
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55 टन गन्ना 1 एकड़ में, लागत सिर्फ इतनी
सामान्य तौर या पारंपरिक खेती से ये उपज महज 40 टन होती है और इसके लिए किसानों को 30 हजार गन्ना की ठूंठों की आवश्यकता होती है. हालांकि, इस विधि में हमने केवल 5 हजार पौध से ही 55 टन गन्ना प्राप्त किया है. प्रति एकड़ गन्ने की उपज के लिए किसानों को 18 हजार रुपये के गन्ने के गुलियां लने पड़ती हैं जबकि पौधे की लागत आधी लगभग 7.5 हजार रुपये से भी कम है. मरयूर के एक गन्ना किसान पीएन विजयन का कहना है कि परीक्षण में एकड़ भूमि से 55 टन गन्ना की पैदावार की गई है.