मार्च के महीने में किसान भाई अपने खेतों में करे ये कार्य

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march ke krashi karya
March ke krashi karya

मार्च के महीने में खेती बाड़ी में किये जाने वाले कार्य 

नमस्कार किसान भाईयों हमारे देश के किसान पूरे साल खेती के कार्यों को करते है लेकिन अच्छी फसल पाने के लिए खेती में हर काम समय पर होना चाहिए है. ऐसे में किसान भाइयों को पहले ही पता होना चाहिए कि किस कौन सा कार्य किया जाय जिससे फसल की उपज अच्छी हो. इसलिए गाँव किसान आज अपने इस लेख के जरिये किसान भाइयों को मार्च में किये जाने वाले कृषि कार्यों की जानकारी देगा. जिससे किसान भाई अपनी फसल में अच्छा मुनाफा कमा सके.

मार्च में गेहूं की खेती में कार्य

गेहूं की खेती में बुवाई के समय के अनुसार गेहूँ की दुग्ध अवस्था में 5वीं सिंचाई बुवाई के 100-105 दिन बाद में करें.  साथ ही छठी और आखिरी सिंचाई बुवाई के 115-120 दिन बाद खिलाते समय करे। इस समय गेहूँ में हल्की सिंचाई (5 सेमी) करें। तेज हवा चलने पर पानी न दें। वरना फसल गिरने का खतरा है।

मार्च में जौ की खेती में कार्य 

जौ की बुवाई देर से होने पर बुवाई के 95-100 दिनों के चरण में दूधिया अवस्था में तीसरी और आखिरी बार पानी देना चाहिए।

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चने की खेती के कृषि कार्य 

चने के पौधे में दाने बनने की अवस्था में छेदक कीट लगने की काफी समस्या होती है। इसलिए बेधक कीट की रोकथाम के लिए जैविक नियंत्रण हेतु एन.पी. वी. (एच.) 25 प्रतिशत एल. 250-300 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें।

गन्ना की खेती के कृषि कार्य 

गन्ने की कुल बुवाई 15-20 मार्च तक करें। मध्य और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के लिए को०शा० 7918, को० शा० 802, को० शा० 767, को०शा० 8118, को० शा० 90269 और पूर्वी उत्तर प्रदेश के लिए को०शा० 7918, को०शा० 767, को०शा० 8407, यू.पी. 15, यू.पी. 12 मध्य और देर से पकने वाली प्रजातीय भी हैं। प्रारंभिक परिपक्व श्रेणियों में, मध्य और पश्चिमी क्षेत्र के लिए को०शा० 684, को० शा० 8436, को०शा० 92254, का० पंत 84211 और पूर्वी उत्तर प्रदेश के लिए को०शा० 687, को०शा० 8436 उपयुक्त प्रजातियां हैं। गन्ने की दो पंक्तियों के बीच उड़द या मूंग की 2 पंक्ति या भिंडी की एक पंक्ति सह फसल के रूप में लगाई जा सकती है। यदि गन्ने से सह-फसल करना है तो उसके बाद गन्ने की दो पंक्तियों के बीच की दूरी 90 सेंटीमीटर रखनी चाहिए।

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सूरजमुखी की खेती के कृषि कार्य 

सूरजमुखी की बुवाई 15 मार्च तक पूर्ण कर लें। इसकी सूरजमुखी की फसल में अतिरिक्त पौधे बुवाई के 15-20 दिन बाद हटा दें। पौधे से पौधे की सीमा 20 सेंटीमीटर और उसके बाद पानी लगाए.

उड़द / मूंग की खेती के कृषि कार्य 

वसंत ऋतु में मूंग और उड़द की बुवाई के लिए यह महीना उत्तम है। इन पौधों को राई, आलू और गन्ने की कटाई के बाद भी बोया जा सकता है। उरद की टा-9, पंत अंडर 19, पंत अंडर 30, आजाद-1, पंत अंडर 35 और मुक्की पंत मूंग-1 पंत मूंग-2, नरेंद्र मूंग-1, टा। 44, पी.डी.एम. 54, पी.डी.एम. 11, मालवीय जागृति मालवीय जनप्रिय एक अच्छी प्रजाति है।

चारे की फसल की खेती 

गर्मियों में पुआल चढ़ाने के लिए यह समय लोबिया, मक्का और चारी की विशेष किस्मों की बुवाई का अच्छा समय है।

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सब्जी की खेती

बैंगन के साथ-साथ टमाटर में फल छेदक परजीवियों के नियंत्रण के लिए 500-600 लीटर पानी में घोलकर कुणालफास 25% 1.0 लीटर प्रति हेक्टेयर का छिड़काव करें। बरसात के मौसम में बैगन के लिए नर्सरी में बीज रोपें। गर्मियों की सब्जियों-लोबिया, भिंडी, अमरैंथ, लौकी, खीरा, खरबूजा, तरबूज, चिकनी तोरी, करेला, तोरी, क्विन, छप्पन, टिंडा और ककड़ी कद्दू की बुवाई नहीं हुई है तो इसे करें। ग्रीष्म ऋतु की सब्जियाँ, जो फरवरी में बोई जाती हैं। उनकी 7 दिनों के अन्तराल पर सिंचाई करते रहें तथा आवश्यकतानुसार निराई-गुड़ाई भी करें। पत्ती खाने वाले कीड़ों से बचाव के लिए डाइक्लोरोवास को एक मिली प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें।लहसुन की फसल में निराई व सिंचाई करनी चाहिए।

मार्च में फलों की खेती के कार्य 

मोनोक्रोटोफॉस 1.5 मिली प्रति लीटर पानी में घुलनशील सल्फर 80 प्रतिशत 2.0 ग्राम या डिनोकैप 48 प्रतिशत ईसी आम में बीटल कीट से बचाव के लिए। 1.0 मिली पानी में घोलकर छिड़काव करें। काला सड़ांध या भीतरी सड़ांध को नियंत्रित करने के लिए बोरेक्स 10 ग्राम को 1 लीटर पानी में मिलाकर स्प्रे करें। उपरोक्त तीनों रोगों को एक साथ मिलाकर उपयुक्त रसायनों का छिड़काव किया जा सकता है।

फूल और सुगंधित पौधे की खेती के कार्य

यदि आप गलैडियोलस से जड़ें लेना चाहते हैं, तो पौधे को जमीन से 15-20 सेंटीमीटर ऊपर रखें और सिंचाई के लिए छोड़ दें। जब पत्तियां पीली पड़ने लगे तो पानी देना बंद कर दें। पोर्चुलाका, झिननिया, सूरजमुखी, कोचिया, नारंगी केसमस, ग्रोम्फ्रीना, सेलोसिया और बलसम जैसे गर्मियों के मौसमी फूलों के बीज को एक मीटर चौड़ा और आवश्यकतानुसार आकार के बेड बनाकर रोपें। मेंथा की 10-12 दिनों की अवधि में सिंचाई करें और 40-50 किलोग्राम नाइट्रोजन प्रति हेक्टेयर की पहली शीर्ष ड्रेसिंग करें।

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पालतू पशुपालन/डेयरी विकास के कार्य 

पालतू जानवर के बाड़े को साफ करवाएं और फिर से रंग भी दें। गर्भवती गाय के भोजन में अनाज की मात्रा बढ़ा दें। पशुओं के पेट में कीड़े की रोकथाम के लिए कृमिनाशक दवा उपलब्ध कराने का सबसे प्रभावी समय।

मुर्गी पालन में किये जाने वाले कार्य 

बहुत कम अंडे देने वाले कुक्कुटों को छाँटें। मुर्गियों के पेट पर लगने वाले कृमियों की रोकथाम (डीवार्मिंग) के लिए दवा दें। जूँ जैसे परजीवियों से बचने के लिए मैलाथियान कीटनाशक और आधी राख भी मिलाकर मुर्गियों के पंखों पर मलें।

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