कीड़ा जड़ी मशरूम की खेती कैसे करे किसान ?
देश के ज्यादातर किसान परम्परागत खेती कर अपनी आजीविका चलते है. जिससे उनकी आय में बचत काफी कम होती है. ऐसे में वह नए तरह की खेती कर अपनी आय को बढ़ा सकते है. इसी कड़ी में किसान भाई यारशागुंबा यानि कीड़ा मशरूम की खेती कर अच्छा लाभ कम सकते है. मार्केट में इस मशरूम का रेट 2 लाख रुपए प्रति किलोग्राम है. गौरतलब है कि आजकल किसान डिमांड वाली खेती की ओर बढ़ रहे हैं. ज्यादातर किसान औषधीय और नकदी फसल काे अपना रहे हैं. इससे किसानों की आय में जबरदस्त बढ़ोतरी हो रही है. कई किसान इस दिशा में बागवानी और उद्यानिकी फसलों की खेती भी कर रहे हैं.
यारशागुंबा मशरूम को कीड़ा-जड़ी भी कहा जाता है. इसमें कई औषधीय गुण पाए जाते हैं. अपने जबरदस्त औषधीय गुणों की वजह से यह मशरूम कैंसर, गुर्दा रोग और सांस की गंभीर बीमारियों में भी काम आता है. कॉर्डिसेप्स साइनेसिस या यारशागुंबा मशरूम को हिमालय के दुर्गम इलाकों और जंगलों से खोजकर निकालते हैं. 3500 मीटर की ऊंचाई वाले पहाड़ी इलाकों में रहने वाले लोग इन प्रजातियों से वाकिफ होते हैं. खासकर उत्तराखंड, लद्दाख और चीन, नेपाल और भूटान से सटे हिमालयी इलाकों में मई-जुलाई के बीच बर्फ पिघलते समय इनकी पैदावार शुरु होती है.
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सोने से भी महँगी है यह कीड़ा जड़ी मशरूम
कॉर्डिसेप्स साइनेसिस यानि कीड़ा मशरूम एक लखपति बनाने वाली सब्जी है, इसकी कीमत इतनी ज्यादा है कि इसे सोने से भी महंगा बताया गया है. इसकी कीमत बाजार में 2 लाख रुपए किलो से भी ज्यादा है. मशरूम की कीमत ऐसे ही इतनी नहीं है, इसके पीछे कई कारण है जिसकी वजह से कीमतें इतनी ज्यादा है.
आखिर इतना महंगा क्यों है कीड़ा जड़ी मशरूम
हिमालय की वादियों में पैदा होने वाला ये मशरूम कैटरपिलर या इल्ली जैसे कीड़ों के अवशेषों से पनपता है, जिसके कारण इसे कीड़े जड़ी या आधा कीड़ा मशरूम कहते हैं. चीन और तिब्बत में इसे यारशागुंबा मशरूम के नाम से जानते हैं. वैसे तो ये जंगली मशरूम है, लेकिन इसमें औषधीय गुणों के साथ-साथ शक्तिवर्धक गुण भी पाये जाते हैं, जो कैंसर, गुर्दा रोग और सांस जैसी बीमारियों में संजीवनी की तरह काम करते हैं. दुनियाभर के कई खिलाडी और पहलवान कीड़ा जड़ी मशरूम को खाकर सेहत बनाते हैं. इसका सेवन करने पर अंग्रेजी दवा और रसायनों का गलत असर नहीं होता.
कहाँ के किसान करते है इसकी खेती
कीड़ा जड़ी मशरूम की खेती चीन और तिब्बत के ठंडे इलाकों में ही की जाती है. यह विश्व की सबसे महंगी सब्जी के तौर पर जाना जाता है. मशरूम की इस किस्म को कीड़ा के माध्यम से उगाया जाता है, यही वजह है कि इसे कीड़ा जड़ी मशरूम भी कहा जाता है. हालांकि इसकी खेती लोग छोटे से कमरे में लैब की तरह करके लाखों रुपए की कमाई कर रहे हैं. इसके लिए किसान को वैसा वातावरण बनाना होता है, जैसे इस मशरूम के लिए उपयुक्त है.
इस तरीके से की जाती है कीड़ा जड़ी मशरूम की खेती
सबसे पहले आपको इसकी खेती के लिए एक कमरे की आवश्यकता होगी जिसे आपको लैब बनाना है. इसके लिए आपको 7 से 8 लाख रूपये का निवेश करना पड़ सकता है. क्योकि लैब में आपको विभिन्न बेसिक इक्विपमेंट की आवश्यकता होती हैं जिसके लिए आपको खर्च करना पड़ता है. इसके बाद 3 महीने में एक बार यानि कि 1 साल में 4 बार आपको इसकी फसल लगानी होती है. लैब के अंदर 3 महीने में इसकी 5 किलो फसल उगाई जा सकती है.
कीड़ा जड़ी मशरूम की पैदावार एवं कमाई
किसान भाई साल में 4 बार इस मशरूम फसल की पैदावार ले सकते हैं. 10 x 10 के एक कमरे से हर तीन महीने में 5 किलो फसल उगाई जाती है. इस तरह कुल 20 किलो सालाना इस मशरूम की पैदावार लिया जा सकता है.इस खेती में लैब के अंदर 3 महीने में 5 किलो से ज्यादा मशरूम की पैदावार की जा सकती है. इस तरह सिर्फ तीन महीने 10 लाख रुपए की कमाई हो जाती है. बता दें कि साल में इस मशरूम की 4 बार पैदावार ले सकते हैं। इस तरह कुल 40 लाख रुपए की कमाई हो जाएगी.