दूध गंगा परियोजना के तहत डेयरी फार्मिंग
देश के बहुत सारे किसान भाई कृषि कार्य करते हैं. जिस वह अच्छी कमाई करते हैं. लेकिन वह कृषि कार्यों के साथ-साथ पशुपालन भी करते हैं. जिससे कि वह अपनी आय को अधिक कर सकें. सरकार भी इन किसानों की आय बढ़ाने के लिए समय-समय पर कई तरह की योजनाएं लांच करती है. जिससे पशुपालक किसान अधिक दूध उत्पादन कर सकें. इसी लिए पशुपालन को बढ़ावा दिया जा रहा है. साथ ही सरकार किसानों को प्रोत्साहित भी कर रही हैं. इसी लिए सरकार द्वारा किसानों को कम ब्याज दर लोन पर अनुदान के साथ ऋण उपलब्ध कराया जा रहा है.
इसी कड़ी में हिमाचल प्रदेश की राज्य सरकार ने अपने यहां के किसानों का दूध उत्पादन बढ़ाने के लिए दूध गंगा योजना की शुरुआत की गई है इस योजना के तहत किसानों को पशुपालन के लिए 30 रु० तक का ऋण देती है साथ ही इस ऋण पर सरकार की तरफ से अनुदान भी दिया जाता है.
सरकार की तरफ से कितना मिलता है अनुदान
हिमाचल प्रदेश की राज्य सरकार ने इस योजना के लिए कृषि और ग्रामीण विकास बैंक नाबार्ड के द्वारा साल 2010 में इस योजना की शुरुआत की गई थी. जिसके तहत दिए गए ऋण में एस०सी०, एस०टी० वर्ग के किसानों को 33 फ़ीसदी और सामान्य वर्ग के किसानों को 25% का अनुदान दिया जा रहा है. वही इस योजना के माध्यम से किसानों को अतिरिक्त अनुदान देने की सुविधा भी की जाती है. राज्य की सरकार ने देसी गाय और भैंस खरीदने पर 20% और जर्सी गाय खरीदने पर 10% का अनुदान दिया जाता है.
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क्या है दूध गंगा परियोजना
दूध गंगा परियोजना 2010 में शुरू की गई थी. इस परियोजना के तहत किसान भाइयों की आर्थिक सहायता के उपादान की व्यवस्था है-
- परियोजना में 2 से 10 दुधारू पशुओं के लिए 5 लाख रुपये तक के ऋण की व्यवस्था है.
- वही 5 से 20 के बछ्डियो के पालन हेतु 4.80 लाख रुपए ऋण की व्यवस्था है.
- वही वर्मी कंपोस्ट (दुधारू गायों के इकाई के साथ जुडा होगा) के लिए 0.20 लाख रुपए तक की परियोजना खर्च की व्यवस्था है.
- दूध धोने की मशीन/मिल्कोटैस्टर/बड़े दूध कूलर इकाई (2000 लीटर तक) 18 लाख रुपए की परियोजना पर खर्च करने की व्यवस्था है.
- दूध से देसी उत्पाद बनाने की इकाइयों की स्थापना के लिए ₹12 लाख तक के खर्च करने की परियोजना है.
- दूध उत्पादों की दुलाई तथा कोल्ड चैन सुविधा हेतु ऋण के लिए 24 लाख रु० तक परियोजना खर्च है.
- दुध व उत्पादों के शीत भंडारण के लिए 30 लाख रूपए परियोजना खर्च है.
- निजी पशु चिकित्सा इकाइयों के लिए ऋण में मोबाइल इकाई के लिए 2.40 लाख एवं स्थाई इकाई के लिए 1.80 लाख परियोजना खर्च है
- दूध उत्पाद बेचने खेत बूथ स्थापना के लिए 0.56 लाख की परियोजना खर्च है
इन व्यक्तियों को मिलेगा इस योजना का लाभ
लाभार्थी किसान हिमाचल प्रदेश राज्य का रहने वाला होना चाहिए. इसके अलावा स्वय सहायता समूह गैर सरकारी संगठन दुग्ध संगठन दुग्ध सहकारी सभाएं तथा कंपनियों को इस लाभ का योजना लाभ ले सकती हैं. साथ ही एक ही परिवार के 1 सदस्य से अधिक सदस्य अलग-अलग स्थानों पर अलग-अलग यूनिट की स्थापना कर सकते हैं, शर्त यह है कि दोनों डेयरी यूनिट के बीच कम से कम 500 मीटर की दूरी होनी चाहिए.
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कहां करें आवेदन
इस योजना का लाभ लेने के लिए आप हिमाचल प्रदेश की आधिकारिक पशुपालन वेबसाइट hpagrisnet.gov.in/hpagris/AnimalHusbandry पर जा सकते हैं. इस पर योजना को लेकर अन्य जानकारियां भी मिल पायेगी. अधिक जानकरी के लिए अपने जिले के पशुपालन विभाग से संपर्क कर जानकारी ले सकते है.