Cabbage Farming – पत्ता गोभी की खेती की पूरी जानकारी (हिंदी में)

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Cabbage Farming
पत्ता गोभी की खेती (Cabbage Farming) की पूरी जानकारी

पत्ता गोभी की खेती (Cabbage Farming) की पूरी जानकारी

नमस्कार किसान भाईयों, पत्ता गोभी रबी के मौसम की एक महत्वपूर्ण सब्जी है.देश में इसकी खेती ज्यादातर भागों में की जाती है.पत्ता गोभी की खेती (Cabbage Farming) कर किसान भाई अच्छा लाभ ले सकते है.आज गाँव किसान अपने लेख के जरिये पत्ता गोभी की खेती (Cabbage Farming) की पूरी जानकारी देगा वह भी देश की भाषा हिंदी में.तो आइये जानते है पत्ता गोभी की खेती (Cabbage Farming) की पूरी जानकारी-

पत्ता गोभी के फायदे

पत्ता गोभी का उपयोग सब्जी और सलाद के रूप में किया जाता है. इसमें प्रचुर मात्रा में विटामिन ए और सी तथा कैल्सियम, फास्फोरस आदि खनिज भरपूर मात्रा में पाए जाते है.पत्ता गोभी में विशेष सुगंध सिनीग्रीन ग्लूकोसाइड के कारण होती है.पत्ता गोभी पेट सम्बन्धी समस्यायों और शुगर आदि रोगों में काफी फायदेमंद होती है.

पत्ता गोभी की उत्पत्ति एवं क्षेत्र 

पत्ता गोभी का वैज्ञानिक नाम ब्रासिका ओलिरे सियावर कैपिटाटा है जो कि ब्रासिकैसि परिवार सदस्य है.इसका उत्पत्ति स्थल भूमध्य सागरीय क्षेत्र और साइप्रस में माना जाता है.पुर्तगालियों द्वारा भारत लाया गया.जिसकी खेती देश के सभी राज्यों में की जाती है.

पत्ता गोभी के लिए जलवायु 

पत्ता गोभी के अच्छे विकास के लिए ठंडी आर्द्र जलवायु की जरुरत होती है.इसमें पाला को सहने का विशेष गुण होता है.पत्ता गोभी के बीजो के अंकुरण के लिए 27 से 30 डिग्री सेल्सियस तापमान पर अच्छा होता है.पत्ता गोभी में एक विशेष गुण पाया जाता है.यदि फसल खेत में उगी हो तो थोडा पाला पड़ जाय तो उसका स्वाद अच्छा होता है.

पत्ता गोभी के लिए भूमि 

पत्ता गोभी की खेती (Cabbage Farming) लगभग सभी प्रकार की मिट्टी में की जा सकती है.किन्तु रेतीली दोमट भूमि सबसे उपयुक्त होती है.मिट्टी का पी० एच० मान 5.5 से 7.5 हो वह भूमि इसकी खेती के लिए उपयुक्त रहती है.

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पत्ता गोभी की किस्में 

अगेती किस्में 

पत्ता गोभी की अगेती किस्मों में प्राइड ऑफ इंडिया, गोल्डन एकर, अर्लिड्रमहेड, कोपेनहेगन मार्केट, पूसा सिंथेटिक, मीनाक्षी आदि प्रमुख है.

मध्य वर्गीय किस्में 

पत्ता गोभी की मध्य वर्गीय किस्मों में ऑलग्रीण, अर्लिसेप्टेम्बर, पूसा मुक्ता आदि प्रमुख है.

पिछेती किस्में 

पत्ता गोभी की पछेती किस्मों में लेटलार्जड्रमहेड, पूसा ड्रमहेड, डेनिशबॉल हेड, लेट के-1, फ्लटडच आदि प्रमुख है.

बीज बोने का समय एवं मात्रा 

पत्ता गोभी की अगेती फसलों के लिए बीज की बुवाई अगस्त से सितम्बर तक कर सकते है.वही पछेती किस्मों की बुवाई के लिए सितम्बर से अक्टूबर तक बुवाई कर सकते है.

पत्ता गोभी की बीज की मात्रा उसकी बुवाई के समय पर निर्भर करती है.अगेती 500 ग्राम और पछेती के किस्मों के लिए 375 ग्राम बीज एक हेक्टेयर के लिए पर्याप्त है.

खेत की तैयारी 

पत्ता गोभी की खेती (Cabbage Farming) के लिए खेत को एक बार मिट्टी पलटने वाले हल से तथा 3 से 4 बार कल्टीवेटर या देशी हल से जुताई करके तैयार कर लेना चाहिए.हर जुताई के बाद पाटा जरुर लगाए जिससे खेत समतल व मिट्टी भुरभरी बन जाए.खेत से पानी निकास के निकास का उचित प्रबंध कर ले.

खाद एवं उर्वरक 

पत्ता गोभी को अधिक मात्रा में पोषक तत्वों की आवश्यकता होती है.इसके लिए प्रति हेक्टेयर भूमि में 250 से 300 कुंटल गोबर की सड़ी हुई खाद, रसायनिक खाद की दशा में 150 किलोग्राम नत्रजन, 125 किलोग्राम फास्फोरस और 100 किलोग्राम पोटाश की जरुरत होती है.निर्धारित मात्रा की आधी नाइट्रोजन तथा पूरी मात्रा में फास्फोरस व पोटाश देनी चाहिए. शेष बची हुई नत्रजन रोपाई के एक महीने बाद देनी चाहिए.

पत्ता गोभी (Cabbage) की रोपाई 

पत्ता गोभी के बीज को उपचारित करके क्यारियों या गमलो में बुवाई कर सकते है.नियमित अंतराल पर इन क्यारियों की सिंचाई करते रहे, जिससे पौधे अच्छी तरह निकल आये.लगभग 20 से 25 दिन बाद यानि 3 से 4 सप्ताह बाद जब पत्ता गोभी के पौधों में 3 से 4 पत्तियां आ जाय और उनकी लम्बीई 10 से 12 सेमी० के आस-पास हो जाय.तो उनको आप तैयार खेत में लगा सकते है.

सिंचाई एवं खरपतवार नियंत्रण 

पत्ता गोभी की फसल को लगातार नमी की आवश्यकता होती है.इसलिए रोपाई के तुरंत बाद सिंचाई करना चाहिए. इसके बाद 8 से 10 दिन के अंतर पर सिचाई करते रहना चाहिए. फसल जब तैयार हो जाय तब अधिक गहरी सिंचाई करने से गोभी फटने का भय रहता है.बंद गोभी के साथ उगे खरपतवारों को नष्ट करने के लिए दो सिंचाइयों के मध्य हल्की निराई – गुड़ाई की आवश्यकता होती है.गहरी निराई – गुड़ाई करने से पौधों की जड़ काटने का भय रहता है.5 से 6 सप्ताह बाद मिट्टी चढ़ा देना चाहिए.

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पौध सुरक्षा 

पत्ता गोभी की पौध को हानि से दो प्रकार से बचाया जा सकती है.एक रोग नियंत्रण और दूसरा कीट नियंत्रण. डैपिंग ऑफ अगेती किस्मों की पत्ता गोभी की पौधशाला की यह आम समस्या है.इसके उपचार के लिए पौधशाला का शोधन फॉर्मल डिहाइड से करना चाहिए.बुवाई से पहले 2 से 3 ग्राम कैप्टान या बैविस्टीन प्रति किलोग्राम बीज की दर से शोधित कर लेना चाहिए. काला  गलन (ब्लैक रॉट) भी एक जीवाणु जनित बीमारी है.जिसमें पत्तियां पीली पड़ जाती है.और शिराएँ काली होने लगती है. इस रोग की रोकथाम स्ट्रेटोक्यक्लीन (0.010) के घोल का छिड़काव करना चाहिए. डाईमंड बैंकमोथ पत्ता गोभी में लगाने वाला मुख्य कीट है. इसके रोकथाम के लिए सुरक्षित कीटनाशक जैसे कि इंडोक्साकार्ब 14.5 एस० सी० या स्पाइनोसेड 45 एस० सी० का छिड़काव करना चाहिए.लाही कीट यानि एफिड जो पत्तों के रस चूसकर फसल को नष्ट कर देते है.उनको रोकने के लिए इमिडाक्लोरोपिड 17.8 एस० एल० को पानी में घोलकर छिड़काव करना चाहिए.

पत्ता गोभी की कटाई

जब पत्ता गोभी के शीर्ष पूरे आकार के हो जाय और ठोस लगाने लगे तब उन की कटाई कर लेनी चाहिए. मैदानी क्षेत्रों में पत्ता गोभी कटाई मध्य दिसम्बर से अप्रैल तक हो जाती है.

पत्ता गोभी की उपज 

पत्ता गोभी की अच्छी उपज फसल की देखभाल और उसकी किस्म पर निर्भर करती है. पत्ता गोभी की अगेती फसलों की उपज 200 से 250 कुंटल प्रति हेक्टेयर और  पछेती फसलों की उपज 300 से 325 कुंटल प्रति हेक्टेयर तक प्राप्त हो जाती है.

निष्कर्ष 

किसान भाईयों उम्मीद है गाँव किसान (Gaon Kisan) का यह पत्ता गोभी की खेती (Cabbage Farming) की जानकारीं सम्बन्धी लेख से आपको गोभी सम्बन्धी सभी जानकारियां मिल पायी होगी.गाँव किसान (Gaon Kisan) द्वारा पत्ता गोभी के फायदे से लेकर गोभी की उपज तक सभी जानकारी दी गयी है.फिर भी पत्ता गोभी की खेती (Cabbage Farming) सम्बन्धित कोई जानकारी आपको चाहिए तो कमेन्ट बॉक्स में कमेन्ट कर पूछ सकते है.इसके अलावा यह लेख आप सभी को कैसा लगा कमेन्ट कर जरुर बताये.महान कृपा होगी.

आप सभी लोगो का बहुत-बहुत धन्यवाद. जय हिंद.

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