Dapog Method : धान की खेती में डैपोग विधि क्या है ? यह किसानों के लिए कैसे है फायदेमंद

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Dapog Method
धान की खेती में डैपोग विधि

धान की खेती में डैपोग विधि (Dapog Method)

देश के किसान वर्षा का इंतज़ार करते-करते धान की खेती काफी पिछड़ गई है. ऐसे में किसान भाई धान की नर्सरी भी नही डाल पाए है. तो उन्हें परेशान होने की जरुरत नही है. क्योकि वह डैपोग विधि (Dapog Method) से धान की खेती के लिए नर्सरी तैयार हो सकती है.

डैपोग विधि एक प्रकार की धान की नर्सरी तैयार करने की विधि होती है. इस विधि को फिलिपीन्स (Dapog method Origin -Phillipines) में विकसित किया गया था. किसान भाई इस विधि में कम बीज, कम क्षेत्रफल, कम सिंचाई व कम मेहनत ने आसानी से धान की नर्सरी तैयार कर सकते है. इस विधि में लागत कम होने के साथ-साथ कम दिनों में यानि केवल 14 दिनों में ही यह नर्सरी रोपाई के लिए तैयार हो जाती है. इसके अलावा इस विधि में तैयार पौधों को खेतों में रोपाई के लिए ले जाने ने विल्कुल आसानी होती है.

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डैपोग विधि क्या है ? (Dapog Nursery Method in Rice Cultivation)

डैपोग विधि एक सुलभ एवं आसानी से अपनाई जाने वाली नर्सरी विधि होती है. इस विधि से एक हेक्टेयर खेत में रोपाई के लिए नर्सरी तैयार करने के लिए 70 प्रतिशत खेत की मिट्टी, 20 प्रतिशत अच्छे से सड़ी गोबर की खाद, 10 प्रतिशत धान की भूसी एवं 1.50 किलोग्राम डी० ए० पी० खाद का मिश्रण बनाये. इस के उपरांत खेत में एक किनारे 10 से 20 मीटर लंबा, 1 मीटर चौड़ा तथा थोडा ऊँचा एक प्लेटफार्म बना लेना चाहिए. फिर इस पर इसी साइज की एक प्लास्टिक सीट को बिछा देना चाहिए. इस बिछी हुई सीट के चारों ओर 4 सेमी० ऊँची मेड़ बना ले. अब इस शीट पर मिट्टी और खाद को अच्छी प्रकार मिलाकर 1 सेंटीमीटर मोटी परत के रूप में बिछा लेना चाहिए. इसके उपरांत किसान भाई पहले से चुने हुए 9 से 12 किलोग्राम स्वस्थ बीजों को 5 ग्राम स्ट्रेप्टोमाइसीन के घोल में डुबाकर फिर जैव उर्वरको जैसे साइनोबैक्टीरिया से उपचारित कर पूरी शीट पर बराबर मात्रा में छिडक देना चाहिए. छिडके गए बीज पर मिश्रित मिट्टी की 1 सेमी मोटी एक और परत चढ़ा देनी चाहिए. ताकि बीज अच्छी तरह से उस परत से ढक जाय. इसके बाद कम बहाव वाली जल की धारा इस नर्सरी प्लेटफार्म के एक किनारे से छोड़ना चाहिए. जिससे डाली गई मिट्टी और बीज बहे नही. अब इस प्लेटफार्म पर 1 सेमी० उंचाई तक जल भरकर 7 दिन तक रखते है. फिर पानी निकाल देते है . इसके 2 से 3 दिन बाद यदि नर्सरी सूखने लगे तो फिर हल्का सा पानी देकर उसकी नमी बनाएं रखनी चाहिए. 14 दिन बाद नर्सरी में पौध लगाए जाने के लिए तैयार हो जाती है.

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इस विधि में किसान भाई रखे इन बातों का ध्यान 

  • किसान भाई इस बात का ध्यान रखे यदि पौध छोटी लगे या पौध की पत्तियां पिली पड़ने लगे तो नर्सरी डालने के नौ दिन बाद 0.5 प्रतिशत यूरिया का घोल बनाकर छिड़काव करें, पौध फिर हरी-भरी हो जायेगी.
  • यदि नर्सरी में जलभराव की स्थिति हो तो पौध उखाड़ने से 2 दिन पहले पानी निकाल दें। इससे उसे निकालने में आसानी हो जाती है.
  • पौध को छोटी-छोटी चौकोर प्लेटों के रूप में काटकर ले जाने की सुविधा इस विधि में मिलती है, इससे खेतों तक इसकी ढुलाई भी आसान हो जाती है तथा मजदूर भी कम लगते हैं.
  • स्वस्थ बीज चुनने के लिए बीज के लिए लाये गये पूरे धान को 10 प्रतिशत नमक के घोल में डुबा दें, खराब व हल्के बीज इस पानी के ऊपर तैरने लगेंगे। नीचे बैठ गये भारी बीजों को ही उपचारित कर नर्सरी हेतु प्रयोग में लायें.
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