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बाग़ सुरक्षा कैसे करे ? – विपरीत मौसम, तेज धूप व पर्यावरण प्रदूषण से

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बाग़ सुरक्षा कैसे करे ? - विपरीत मौसम, तेज धूप व पर्यावरण प्रदूषण से

बाग़ सुरक्षा कैसे करे ? – विपरीत मौसम, तेज धूप व पर्यावरण प्रदूषण से

नमस्कार किसान भाईयों, बागों को कीट एवं रोगों के अलावा विपरीत मौसम, तेज धूप एवं पर्यावरण प्रदूषण से भी नुकसान पहुंचता है. इससे उपज कम होती है इसलिए गाँव किसान (Gaon Kisan) आज अपने इस लेख में इन सभी से अपने बाग़ की सुरक्षा कैसे करे ? की पूरी जानकारी देगा. जिससे किसान भाई अपने बागों में अच्छी उपज प्राप्त कर सके. तो आइये जानते है बाग़ से अच्छी उपज प्राप्त करने के लिए बाग़ की सुरक्षा कैसे करे ?

विपरीत मौसम से बाग़ की सुरक्षा 

पाले से बचाव के तरीके – पाले सफल वृक्षों की रक्षा हेतु निम्न लिखित तरीके अपनाने चाहिए.

ढालों पर बाग़ लगाना – बागों को पहाड़ों के ढालों पर लगाना चाहिए. क्योकि पहाड़ियों की तलहटी और घाटी में पाले का प्रकोप अधिक रहता है. पहाड़ी क्षेत्रों में पाला अधिक पड़ता है. इसलिए पहाड़ी बागों में ऐसी सावधानी बरतनी चाहिए.

पछेती किस्में लगाना – शीतोष्ण फलों की ऐसी किस्मों का चुनाव करना चाहिए. जो बसंत ऋतु में देर से फूलती-फलती हो.

वायुरोधी पौधे लगाना – बाग़ में पश्चिम-उत्तर तरफ हवा रोकने वाले पेड़ों की घनी कतारें लगाने से ठंडी हवाओं से बाग़ को कम हानि पहुंचाती है.

पलवार का उपयोग – इस विधि में सूखी घास, धान की भूसी, लकड़ी का बुरादा अथवा सूखी पत्तियों को पौधों के थालों में 15 से 20 सेमी० की मोटाई में बिछा देते है, जिससे भूमि में नमी व तापमान अधिक बना रहता है.

टट्टियाँ बाँधना – छोटे पौधे में यह विधि अधिक सफल है. इस विधि में पौधों को तीन तरफ से टट्टियाँ से ढक देते है. केवल दक्षिण पूर्व का भाग सूर्य के प्रकाश व हवा के लिये खुला छोड़ देते है.

धुआं करना – बाग़ के अन्दर कई स्थानों पर धुआं करने से बाग़ के ऊपर के वायुमंडल का तापमान अधिक हो जाता है. जिससे पाला पड़ने की संभावना नही रहती है.

सिंचाई करना – सर्दियों में यदि बाग़ की सिंचाई थोड़ा जल्दी-जल्दी की जाय तो फल वृक्षों को पाले से कम हानि होती है.

बाग़ में हीटर लगाना – विकसित देशों में बागों को पाले से बचाने के लिए बाग़ में जगह-जगह हीटरों की व्यवस्था रहती है. तापमान अचानक उतार के साथ ये हीटर चला दिए जाते है. जिससे कि बाग़ के आस-पास का वातावरण गर्म हो जाता है.

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तेज धूप से बाग़ की सुरक्षा 

कभी-कभी दिन में सूर्य के तेज धूप से तने की छाल और फलों के छिलकों को हानि पहुंचती है. इस प्रकार की क्षति दक्षिण-पश्चिम दिशा में अधिक होती है. नींबू वर्ग के फल वृक्षों में सूर्य की धूप का विशेष प्रभाव पड़ता है. फल के जिस भाग पर सूर्य की तेज धूप पड़ती है. उस ओर की वृध्दि कम हो जाती है. तथा प्रभावित भागों पर चित्तियाँ पड़ जाती है. पपीते के फलों पर भी सूर्य की धूप का प्रभाव अधिक पड़ता है. खुरदरी छाल वाले फल वृक्ष चिकनी छाल वाले वृक्षों की अपेक्षा कम प्रभावित होते है.

फल वृक्षों को सूर्य की धूप से बचाने के लिए निम्नलिखित उपाय करना चाहिए.

  • वायु रोकने वाले पौधे लगाने चाहिए.
  • पेड़ों के तनों को टाट अथवा कागज़ से बाँध देना चाहिए.
  • तने पर चूने से पुताई कर देनी चाहिए.
  • पौध तैयार करते समय चश्मा 22 सेमी० से अधिक ऊँचा नही चढ़ाना चाहिए.
  • सूर्य की धूप से प्रभावित छाल को तेज चाकू की सहायता से निकाल कर खुरचे हुए स्थान पर चौबटिया अथवा बोर्डों लेप लगा देना चाहिए.
  • ऐसी किस्मों का चुनाव करना चाहिए. जिसमें तने का भाग ढका रहे और वृक्ष के अंदर की तरफ फल अधिक लगते हो.
  • पपीता जैसे फलों को टाट से ढक देना चाहिए.
  • बाग़ में खाली स्थान पर अन्य उपयोगी फसलों को उगाना चाहिए.
  • बागों की छिड़काव विधि से सिंचाई करनी चाहिए.

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पर्यावरण प्रदूषण से बाग़ सुरक्षा

देश में औद्योगिकीकरण के विकास के साथ पर्यावरण-प्रदूषण एक समस्या बनती जा रही है. कारखानों से निकली हुई गैसे मानव स्वास्थ्य के साथ-साथ फल वृक्षों की वृध्दि और फलों को प्रभावित करती है. ऐसी कई समस्याएं हमारे देश में देखी गई है. उदाहरण के लिए, आम का कोयली रोग ईंट के भट्ठों से निकली हुई सल्फर डाईऑक्साइड गैस द्वारा उत्पन्न होता है. इस तरह ईंट के भट्ठों के आस-पास के बाग़ कोयली रोग से प्रभावित होते जा रहे है.

वायु प्रदूषण के अतरिक्त कुछ क्षेत्रों में जल प्रदूषण की भी समस्या होती जा रही है. जल में बोरान, क्लोराइड, सोडियम व फ्लोराइड इत्यादि लवणों की अधिकता से भी फल वृक्षों की उपज व वृध्दि पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है. पर्यावरण प्रदूषण से पौधों को निम्न लिखित विधियों से सुरक्षा की जा सकती है.

  • कारखानों व ईंट के भट्ठों में 50 मीटर या इससे अधिक ऊँची चिमनियों का प्रयोग करना चाहिए.
  • औद्योगिक क्षेत्र के चारों तरफ ऊँची व घनी बाड़ लगानी चाहिए.
  • कम प्रभावित होने वाली फलों की जातियों व किस्मों को औद्योगिक क्षेत्रों के आस-पास लगाना ठीक रहता है.
  • ऐसे पौधों को लगाना चाहिए, जो विषैली गैसों को सोख लेते है.
  • सिंचाई के लिए शुध्द जल का प्रयोग करना चाहिए.
  • बोरान की अधिकता वाले पानी से सिंचाई करने पर भूमि में कैल्शियम नाइट्रेट व चूना का प्रयोग उपयोगी रहता है.

निष्कर्ष 

किसान भाईयों उम्मीद है गाँव किसान (Gaon Kisan) के इस लेख से अपनी बाग़ सुरक्षा कैसे करे ? से सम्बंधित जानकारी मिल पायी होगी. अगर आपका कोई प्रश्न हो कमेन्ट बॉक्स में कमेन्ट कर पूछ सकते है. इसके अलावा यह लेख आपको कैसा लगा कमेन्ट बॉक्स में कमेन्ट कर जरुर बताएं, महान कृपा होगी.

आप सभी का बहुत-बहुत धन्यवाद, जय हिन्द.

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