Zucchini farming in hindi | किसान भाई बोएगें ये सब्जी तो होगी दूनी पैदावार व मुनाफा

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Zucchini
Zucchini farming

Zucchini farming – जुकिनी की खेती से किसानों को होगा दूना फायदा 

नमस्कार किसान भाइयों, ज़ुकिनी (Zucchini) सब्जी कद्दू वर्गीय सब्जियों में से एक है. जहां पहले इसकी खेती केवल विदेशों में ही होती थी, वहीं अब भारत (zucchini in india) में भी किसान भी इसकी खेती करने लगे हैं. इसके पौधे झाड़ियों की तरह दिखते हैं. साथ ही डेढ़ से 3 फीट तक इनकी लम्बाई होती है. ये गोलनुमा भी हो सकती हैं. यह हरे या पीले रंग की होती है. zucchini को चप्पन कद्दू भी कहा जाता है, आज गाँव किसान आपको ज़ुकिनी की खेती (Zucchini in Hindi) या चप्पन कद्दू की खेती (Zucchini farming) के बारे में बताने जा रहा हैं. इस फसल की बुवाई (crop cultivation) करने से किसान दूना मुनाफ़ा भी कमा सकते हैं क्योंकि बाजार में इसकी मांग काफी है.

जुकिनी के फायदे (zucchini health benefits)

जुकिनी की सब्जी में फाइबर और न्यूट्रिशंस भरपूर मात्रा में होता है. इसको खाने से आंखों की परेशानी, मोटापा कम करने (Zucchini for weight loss) उम्र के कारण होने वाले दाग-धब्बे में, हड्डियों को मजबूत करने में, बीपी नियंत्रित में, ब्लड फ्लो बनाए रखने और टाइप-2 डायबीटीज में, पाचन आदि रोगों को दूर करने में मदद करती है।

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जुकिनी की प्रमुख उन्नत किस्में (zucchini varieties)

Zucchini की प्रमुख उन्नत किस्मों में ऑस्ट्रेलियन ग्रीन 4-5, अर्ली यलो प्रोलीफिक, पूसा पसंद, पैटीपैन आदि प्रमुख किस्में शामिल है।

जुकिनी की खेती के लिए जलवायु एवं भूमि 

इसकी खेती ज्यादा ठंड और पाला नहीं सह पाती है. इसीलिए इसकी खेती गर्म जलवायु जहाँ का तापमान 20° – 40° सेल्सियस तक हो वही करनी चाहिए। लगभग 30° सेल्सियस तापमान इसकी खेती के लिए एकदम उपयुक्त होता है।

अगर मिट्टी की बात की जाय तो बलुई दोमट मिट्टी जिसका जल निकास का प्रबंध बेहतर हो और जिसका पी० एच० मान 6.5 हो खेती करने के लिए एकदम उपयुक्त होती है। इसकी खेती के लिए भूमि में ज्यादा पोषक तत्वों की आवश्यकता नही होती है, लेकिन अच्छी और उपजाऊ भूमि में उपज बेहतर होती है। साथ ही इसकी खेती करने से पहले अगर मिट्टी का परिक्षण करवा लिया जाय तो कम लागत में बेहतर उत्पादन किया जा सकता है.

Zucchini ki kheti के लिए खेत तैयारी 

किसानों भाइयों को इसकी अच्छी उपज के लिए खेत की 3 से 4 बार अच्च्छी प्रकार जुताई करनी चाहिए. इसके अलावा, इसकी बीज की बुवाई के लिए नाली के साथ थालों की भी व्यवस्था करनी चाहिए. किसान भाई सहफसली खेती (inter-cropping) के तौर पर दूसरी फसलों के साथ मेड़ों पर भी इसकी बुवाई कर डबल मुनाफा कमा सकते है.

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जुकिनी के बीज की मात्रा एवं बुवाई 

किसान भाई ज़ुकिनी की खेती के लिए एक हेक्टेयर खेत में 7 से 8 किलोग्राम बीज का प्रयोग कर सकते हैं. बुवाई से पहले बीजों को अंकुरित कर लेना चाहिए. अंकुरित बीजों को खेत में 1 से 1.5 मीटर की दूरी पर 30 से 40 सेंटीमीटर चौड़ी नालियों के दोनों किनारों यानी मेड़ों पर 60 से 75 सेंटीमीटर की दूरी पर बुवाई करनी चाहिए.

Zucchini में खाद एवं उर्वरक 

इसकी खेती में अच्छी उपज के किसान भाई कम्पोस्ट या गोबर की सड़ी खाद 20 से 25 टन प्रति हेक्टेयर की दर से खेत की तैयारी के समय इस्तेमाल करनी चाहिए . इसके अलावा, 100 किलोग्राम नाइट्रोजन, 60 किलोग्राम फास्फोरस और पोटाश प्रति हेक्टेयर की दर से उपयोग करना चाहिए. इसमें बुवाई के समय फास्फोरस और पोटाश के साथ एक तिहाई नाइट्रोजन नालियों में डाल कर मिट्टी में मिला देना चाहिए. बाकी बची हुई नाइट्रोजन दो बराबर भागों में करके बुवाई के एक महीने बाद नालियों में डालना चाहिए और गुड़ाई कर मिट्टी चढ़ानी. तथा पौधों के बढ़वार के समय भी नाइट्रोजन का उपयोग करना चाहिए.

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जुकिनी में सिंचाई 

इसकी ज्यादातर खेती गर्मी के सीजन में की जाती है जिसके कारण इसे हफ्ते भर के अन्तर पर सिंचाई की जरुरत पड़ती रहती है। पहली सिंचाई बीज बुवाई के तुरंत बाद करनी चाहिए।अगर किसान भाई इसकी खेती ऑफ सीजन में कर रहे है तो पौधों को पाले से बचाना होता है।

ज़ुकिनी की फसल तुड़ाई 

ज़ुकिनी की बुवाई के एक से डेढ़ महीने में पौधे में फल लगना शुरू हो जाते हैं और 60-70 दिन में तक लगते रहते है। बाजार में इसकी अच्छी मांग रहती है इसलिए पैसे भी अच्छे मिलते है

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