मक्का की खेती से अधिक उपज लेने के लिए खरपतवार नियंत्रण कैसे करें, आइए जाने

0
Weed control in maize cultivation
मक्का की खेती में खरपतवार नियंत्रण

मक्का की खेती में खरपतवार नियंत्रण

देश के ज्यादातर किसान मक्का की खेती करते हैं. जिससे उन्हें अच्छी खासी आमदनी होती है. लेकिन खरीफ के मौसम में मक्का की खेती करने पर अधिक खरपतवार का प्रकोप होता है. जिसके कारण कम उपज होती है. और किसानों को नुकसान उठाना पड़ता है

मक्का की फसल में दो तरह के खरपतवार जगह दिखाई पड़ते हैं. एक चौड़ी पत्ती वाले व दूसरे सकरी पत्ती वाले. जो मक्का की फसल को नुकसान पहुंचाते हैं. इसीलिए गांव किसान आज अपने इस लेख में मक्का की खेती में खरपतवार नियंत्रण की पूरी जानकारी देगा. जिससे किसान भाई अपनी फसल से अच्छी उपज पा सके. तो आइए जानते हैं मक्का की खेती में खरपतवार नियंत्रण की पूरी जानकारी-

मक्का की खेती में पाए जाने वाले खरपतवार

मक्का की खेती में प्रमुख रूप से मोथा, सावा, दूब, चौलाई, मकोय, कुंदा घास, नरकुल, पत्थरचट्टा एवं वाईपर घास का प्रकोप अधिक देखने को मिलता है. इनमें से कुछ खरपतवार चौड़ी पत्ती वाले और कुछ सकरी पत्ती वाले होते हैं.

यह भी पढ़े : Banana Stem Borer : केले का तना वेधक कीट की रोकथाम कैसे करें ?

मक्का की खेती में खरपतवार से होने वाला नुकसान

  • मक्का में पाए जाने वाले खरपतवार फसल की भूमि में उपस्थित पोषक तत्व नमी का अधिकांश भाग अवशोषित कर लेते हैं. जिससे फसल में पोषक तत्वों की कमी हो जाती है. जिससे फसल में अच्छी उपज नहीं हो पाती है.
  • अधिक खरपतवार उगाने के कारण मक्का के पौधों में प्रकाश संश्लेषण की क्रिया में बाधा पहुंचती है. जिससे पौधों की अच्छी वृद्धि नहीं हो पाती है.
  • अगर फसल में ज्यादा खरपतवार उठता है. तो कीट लगने और रोग पनपने  का अधिक खतरा हो जाता है.
  •  मक्का की फसल में अगर अधिक खरपतवार उग आते हैं. तो उपज की गुणवत्ता और उत्पादन में बहुत अधिक कमी आती है.

मक्का की खेती में खरपतवार नियंत्रण

किसान भाई मक्का की खेती में फसल से खरपतवार नियंत्रण 2 तरह से कर सकते हैं-

  • सस्य क्रियाओं द्वारा खरपतवार नियंत्रण
  • रासायनिक क्रियाओं द्वारा खरपतवार नियंत्रण

1.मक्का में सस्य क्रिया द्वारा खरपतवार नियंत्रण

  • इस प्रक्रिया में सबसे पहले खेत में उपस्थित खरपतवारओं को नष्ट करने के लिए ग्रीष्म काल में एक से दो बार भूमि की गहरी जुताई जरूर करनी चाहिए. जिससे खेत में उपस्थित घास की जड़े धूप लगने से सूख कर नष्ट हो जाएं.
  • मक्का की फसल की बुवाई के बाद खेत में खरपतवार नष्ट करने के लिए कम से कम दो से तीन बार जरूर निराई गुड़ाई करनी चाहिए.
  • इसके अलावा मल्चिंग विधि द्वारा भी खरपतवार को नियंत्रण किया जा सकता है.

2.मक्का में रासायनिक क्रियाओं द्वारा खरपतवार नियंत्रण

मक्का की फसल में खरपतवार नियंत्रण के लिए रासायनिक क्रिया को बनाया जा सकता है. इसके लिए फसल में कई प्रकार के खरपतवार नाशी यों का प्रयोग किया जा सकता है. तो आइए जानते हैं, मक्का की फसल में कौन कौन से खरपतवार नाशी का उपयोग कर किसान भाई अपनी फसल से खरपतवार को दूर कर सकते हैं-

एट्राजीन 50 प्रतिशत वेटेबल पाउडर का उपयोग 

किसान भाई मक्का की फसल में एट्राजीन 50 प्रतिशत वेटेबल पाउडर की 1 किग्रा प्रति हेक्टेयर की दर से 500 लीटर पानी में घोलकर बुवाई के दो दिन बाद एवं अंकुरण के पहले छिड़काव कर दे. इससे घास और चौड़ी पत्ती वाले खरपतवार नियंत्रित हो जाएंगे. यह खरपतवार नाशी बाजार में घुलनशील पाउडर के रूप में मिलता है.

टेम्बोट्रायन 34.4 % भार घुलनशील सांद्रण का उपयोग 

मक्का की फसल में टेम्बोट्रायन 34.4 % भार घुलनशील सांद्रण का उपयोगकर सकते हैं. यह एक चुनिंदा खरपतवार नाशक है. इसका उपयोग खरपतवार उगने के 25 से 30 दिन बाद मक्के की फसल में 120 ग्राम प्रति हेक्टेयर में 500 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करने से चौड़ी पत्ती वाले खरपतवार तथा घासमथ खरपतवार नियंत्रित हो जाते हैं. बाजार में यह खरपतवार नाशी लॉडिस नाम से भी मिलता है.

टोपरामिझान 336 ग्राम/लीटर एससी का उपयोग 

टोपरामिझान 336 मक्के की फसल का एक प्रमुख खरपतवार नाशी है. इस खरपतवार नाशी का उपयोग बुवाई के 25 से 30 दिन बाद 25.2 से 33.6 ग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से 315 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करने से घास और चौड़ी पत्ती वाले खरपतवार नष्ट हो जाते हैं. जिससे फसल अच्छी होती है.

यह भी पढ़े : Major diseases of goats : बकरियों में होने वाले इन रोगों का रखें नियंत्रण, नहीं तो होगा बकरी पालन में नुकसान

मिजोट्रान 2.27 % एससी का उपयोग 

इस खरपतवार नाशक का उपयोग मक्के की फसल में खरपतवार उगने के 25 से 30 दिन बाद 815 ग्राम प्रति हेक्टेयर को 500 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करना चाहिए. इससे सभी प्रकार के खरपतवार नष्ट हो जाते हैं. यह काफी लाभदायक खरपतवार नाशी है. इसको बाजार में कैलारिस एक्स्ट्रा के नाम से भी जाना जाता है. यह एक नया खरपतवार नाशी है.

हेलोसल्फुयरान मिथाइल 75 प्रतिशत डब्लू जी का उपयोग 

किस खरपतवार नाशी का उपयोग मक्का की उस फसल में किया जाता है. जहां पर मोथा नामक खरपतवार अधिक होता है. उपयोग के लिए इस खरपतवार नाशी की 75 ग्राम मात्रा को 500 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करना चाहिए. इससे मोथा पूरी तरह से नष्ट हो जाएगा. बाजार में से सेम्प्रा नाम से भी जाना जाता है.

WhatsApp Group Join Now
Telegram Group Join Now
Instagram Group Join Now

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here