धान की उन्नत किस्मों की ख़ास बातें 

जया धान की किस्म भारत की प्रथम बौनी किस्म है, जो टॉइचुंग नेटिव व टाइप-141 के क्रॉस से निकाली गई है.

धान की पद्मा किस्म T-141 x TN-1 से निकाली गयी है. इसकी खेती उपरवार खेत में की जाती है. 

धान की पंकज किस्म पेटा और टोंकाई रतन से क्रॉस करके वर्ष 1969 में निकाली गई. इसकी उपज 50 कुंतल/हेक्टेयर तक है.

जगन्नाथ धान की यह किस्म धान की प्रथम उत्परिवर्तित किस्म है. इसकी खेती में पानी की अधिक भूमिका होती है. यह 160 दिन में तैयार हो जाती है.

बाला धान की यह किस्म CRRI द्वारा N-22 xTN के क्रॉस सी निकली गई है.इसकी खेती शुष्क क्षेत्रों में की जाती है. 

रत्ना धान की यह किस्म TKM-6 x IR-8 से वर्ष 1970 में CRRI से निकाली गई, इसकी खेती पंजाब, उत्तर प्रदेश व हरियाणा में की जाती है. 

साबरमती धान की यह किस्म IARI द्वारा TN-1 व बासमती 370/5 के क्रॉस से निकाली गयी, यह ब्लास्ट रोगरोधी है. 

साकेत-4 धान की यह किस्म उत्तर प्रदेश के लिए जारी की गयी थी. यह 110 दिन में पककर तैयार हो जाती है. 

टाइप-3 धान यह किस्म 125 दिन में तैयार हो जाती है. इसके दाने सफ़ेद होते है. 

गरिमा धान की यह किस्म बौनी है. इस किस्म में कल्ले अधिक निकलते है. 135 दिन में फसल तैयार हो जाती है. मध्य प्रदेश के लिए उपयुक्त है 

हेमा धान इस किस्म की ख़ास बात यह है कि रबी और खरीफ दोनों मौसम में लगा सकते है. तथा इसका क्रॉस T-141 x IR-8 है. 

हमसा धान की इस किस्म का विकास HR-12 x TN-1 से हुआ है. इसका दाना भूरे व सुनहरे रंग का होता है.

धान की अन्य किस्मों में जाग्रति, क्रान्ति, प्रगति, महसूरी, कुमार, शक्ति, गोविन्द, जलमग्न, नगीना-22, पूसा-33, जवाहर आदि प्रमुख है. 

धान की खेती की अधिक जानकारी के लिए