आडू की अन्य कर्षण क्रियाएं 

आडू की बागवानी की सिंचाई अति आवश्यक होती है. 

आडू के नए पत्ते व फूल आते समय भूमि में नमी होनी चाहिए.

आडू में कृन्तन सुषुप्तावस्था में दिसम्बर-जनवरी में करते है. 

आडू में संधाई मुख्यता रूपांतरित अग्र प्ररोह प्रणाली के द्वारा करते है. 

आडू की जे० एच० हेल जाति स्व-अनिषेचित है.

आडू की जातियां स्व-निषेचित है. 

आडू की बागवानी में संधाई हर वर्ष की जाती है. 

फल विरलन की क्रिया तुड़ाई से 4-5 सप्ताह पहले कर देना चाहिए.

आडू में पुष्प कलिकाएँ जुलाई के अंत आरम्भ होती है. 

आडू के बीज में सुषुप्तावस्था पाई जाती है. 

आडू की बागवानी में फल विरलीकरण के लिए नेफ्थलीन एसीटिक अम्ल का छिडकाव फूलने के एक माह के अन्दर करते है.

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