मूंगफली में खाद एवं उर्वरक

मूंगफली के लिए सिंचित क्षेत्रों में नाइट्रोजन 20 किग्रा प्रति हेक्टेयर, फास्फोरस 50 से 80 किग्रा प्रति हेक्टेयर व पोटाश 30 से 40 किग्रा प्रति हेक्टेयर से देना चाहिए.

मूंगफली में कैल्शियम की कमी से फलियां सिकुड़ी, चिपकी, फलियों में दाने का कम विकास, कभी-कभी फलिया बिना बीज के भी रह जाती हैं. इसीलिए 50 किग्रा कैल्शियम ऑक्साइड प्रति हेक्टेयर देना चाहिए.

मूंगफली में गंधक के प्रयोग से तेल की मात्रा तथा जीवाणु ग्रंथियों की संख्या बढ़ती है. इसीलिए 200 से 500 किग्रा जिप्सम प्रति हेक्टेयर देना चाहिए.

मूंगफली में जिप्सम बुवाई के दिन से 30 दिन बाद तक देना चाहिए.

मूंगफली में पैकिंग की क्रिया बुवाई के 55 दिन बाद होती है.

गुच्छेदार जातियों में मिट्टी चढ़ाना लाभदायक होता है, लेकिन मूंगफली की फलियों के बनने की क्रिया के समय मिट्टी चढ़ाने की क्रिया नहीं करनी चाहिए, इससे नसे कट जाती है और उपज में हानि होती है.

मूंगफली में पुष्पन अवस्था में L-NAA तथा प्लेनोफिक्स का छिड़काव करने से उपज में वृद्धि होती है.

मूंगफली की खली ने अरडेन की मात्रा पाए जाने के कारण पशुओं को खिलाने पर 35% दूध में वृद्धि होती .

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