मटर वाली सब्जी की उन्नत किस्मों में आर्केल (अगेती किस्म), पी०जी०-3, टाइप-19, असौजी (बौनी अगेती), अर्ली दिसंबर बॉनविले (चूर्णिल असिता रोधी), जवाहर, एम०पी० 29, अर्ली बैजर, सपना तथा मालवीय आदि प्रमुख है.
रचना पाउडरी (मिल्ड्यू रोग रोधी), स्वर्णरेखा, वी० एल०-1, एल०- 116, टाइप 163, हंसराज दाल व वाली मटर की किस्में है.
मटर की प्रथम बौनी किस्म (HFP4) अपर्णा है. जिसका विकास 1988 में हुआ था इस किस्म के उपज क्षमता 20 से 25 कुंतल प्रति हेक्टेयर है.
पंत उपहार ,पंत मटर-5, मधु, टाइप 36 सभी सब्जी वाली किस्में हैं.
मटर की मधु व रश्मि झिल्ली रहित प्रजातियां हैं.
मटर में पाउडरी मिल्ड्यू रोग एरीसाइफी पोलीगोनी नामक द्वारा होता है. यह नमी वाले मौसम में अधिक होता है.
मटर में रस्ट रोग का प्रकोप होता है
खेत में दीमक के प्रकोप से बचने के लिए उसमें 20 से 25 किग्रा 5% बी०एच०सी० या हेप्टाक्लोर की मात्रा बुवाई के समय खेत में मिलानी चाहिए.