धान की बौनी किस्म के लिए 150-175 किग्रा० नाइट्रोजन, 20-30 किग्रा० फ़ॉस्फोरस तथा 200 ग्रा० पोटाश का प्रयोग करना चाहिए.
धान की फसल में अमोनिया सल्फेट, अमोनियम क्लोराइड तथा यूरिया के उपयोग से एक समान लाभ होता है.
धान में नाइट्रोजन की आधी मात्रा रोपाई समय, चौथाई भाग कल्ले निकलते समय तथा शेष भाग पुष्प-गुच्छ, कलिका बनाते समय देने पर बौनी किस्मों से अधिक उपज प्राप्त होती है.
उंची भूमि वाले धान के खेतों में 2 से 5 प्रतिशत यूरिया घोल का प्रयोग करना चाहिए.
अगर किसान भाई जैविक उर्वरकों डालना चाहते है तो एजोला, नील हरित शैवाल तथा जीवाणु उर्वरक का प्रयोग कर सकते है.
जहाँ पानी की अधिक मात्रा होती है वहां एजोला तथा नील हरित शैवाल वरदान सिध्द होते है.