धान की खेती में सर्वप्रथम पौधे रोपने के 10 दिन बाद सिंचाई करे .
धान की खेती में फूल आने से पहले तथा फूल आने की अवस्था पर लगभग 25 से 30 दिन बाद सिंचाई करे.
धान की खेती में कल्ले फूटते समय व फूल आने की अवस्थाओं में सड़ा पानी निकाल दे और ताजा पानी भरे.
धान की खेती में धान में कल्ले निकलना फूल आने की अवस्था को कहते है.
धान की खेती में जब धान के पौधे 25 से 45 दिन के हो जाय, तो खेत में हल चलाकर खरपतावार या अधिक पौधों को निकालने की क्रिया को बूशनिंग कहते है.
धान की खेती में पाए जाने वाले खरपतवार पाए जाते है मोथा, मकरा, दूबघास, सनई, बनरा-बनरी आदि.
धान की खेती में खरपतवार नियंत्रण के लिए 2-4-D के ऐमीन, एम० सी० पी० ए०, प्रोपेनिल (सभी वर्णात्मक) और फिनोक्सी यौगिक जो स्थानांतरित शाकनाशी है, का प्रयोग करते है.