नारियल या श्रीफल भारतीय संस्कृति का अभिन्न अंग है.इसके पेड़ का प्रत्येक हिस्सा किसी न किसी रूप में उपयोग किया जाता है.इसलिए इसे स्वर्ग का पेड़ भी कहा जाता है-

नारियल के वृक्ष का हर भाग उपयोगी है.नारियल फल का जल प्राकृतिक पेय के रूप में, गरी खाने एवं तेल के लिए, फल का छिलका एवं रेशा विभिन्न औद्योगिक कार्यों में तथा पत्ते, जलावन, झाड़ू, छप्पर एवं खाद हेतु तथा लकड़ी उपयोगी फर्नीचर, दरवाजे-खिड़की इत्यादि बनाने के काम में आती है

भारत विश्व का सबसे बड़ा नारियल उत्पादक देश है.यहाँ इसकी खेती 2137 हजार हेक्टेयर में होती है तथा कुल वार्षिक उत्पादन लगभग 156 लाख टन है.

लम्बी पौधे वाली किस्में में ईस्ट कोस्ट टोल, वेस्ट कोस्ट टोल, अंडमान टोल, तिप्तूर लंबा, अंडमान जायंट एवं लक्ष्यद्वीप साधारण आदि प्रमुख है.

नारियल के रोपण के लिए अनुशंसित दूरी 7.5 मीटर से 9 मीटर तक उपयुक्त होती है.7 से 7.5 मीटर की सघन रोपण भी किया जा सकता है.

नारियल के फल परागण के 10 से 12 महीने बाद पक जाते है.नारियल पानी के लिए 5 से 6 महीने में तथा गरी के लिए पूर्ण परिपक्व होने पर नारियल तोड़ना चाहिए