खेती में ट्राइकोडर्मा का उपयोग
देश के किसान अपनी खेती में कवक जनित रोगों से बचाव के लिए ट्राइकोडरमा का उपयोग (Trichoderma in Agriculture) करते हैं. यह एक जो कवकनाशी होता है. इसके उपयोग से किसानों की फसलें विभिन्न रोगों से बच जाती है. जिससे उनकी पैदावार काफी बढ़ जाती है.
ट्राइकोडर्मा राइजोजोस्फियर में कार्य करने वाला एक सूक्ष्म जीव है. जो प्रायः कार्बनिक अवशेषों पर ही पाया जाता है. ट्राइकोडरमा हर्जियानम एवं विरिडी यह दो प्रजातियां विशेष रूप से प्रचलित हैं. तो आइए जानते हैं ट्राइकोडरमा से मिलने वाले लाभ, सावधानियां और प्रयोग विधि के बारे में पूरी जानकारी-
ट्राइकोडर्मा के उपयोग से मिलने वाले लाभ
ट्राइकोडर्मा द्वारा भूमि में कार्बनिक पदार्थों के अपघटन को तेजी से बढ़ाया जाता है यह जैव उर्वरक की तरह मृदा में काम करता है.
ट्राइकोडर्मा का उपयोग करने से फसल के पौधों में काफी अच्छी वृद्धि होती है इसके अलावा यह फास्फेट व सूक्ष्म तत्वों को घुलनशील बनाने में भी सहायक होता है.
इसका उपयोग पौधों में एंटीऑक्सीडेंट तत्व बढ़ाने में भी काफी सहायक होता है. यह भूमि में मिलाने के बाद फलों में पोषक तत्वों की गुणवत्ता खनिज तत्वों में तेजी से वृद्धि करने में भी सहायक होता है.
मृदा में इसके उपयोग से फसलों में रोग कारक जीवो को लगने से रोकता है. यह जीवों को मारकर फसल के पौधों को रोग मुक्त करने में भी सहायक होता है.
ट्राइकोडर्मा का उपयोग करने में सावधानियां
ट्राइकोडर्मा का जब भी आप उपयोग करें तो यह जांच लें, कि ट्राइकोडरमा का कल्चर 6 महीने से ज्यादा पुराना नहीं होना चाहिए.
किसान भाई इस बात का ध्यान रखें ट्राइकोडर्मा द्वारा बीज उपचार करने के बाद बीजों पर सीधे सूर्य की धूप न पड़ने पाए.
इसके अलावा इस बात का भी ध्यान रखना चाहिए ट्राइकोडर्मा का उपयोग कवकनाशी रसायन के साथ कभी भी नहीं करना चाहिए.
जब भी किसान भाई ट्राइकोडर्मा का उपयोग बीज उपचार के लिए करें तो छायादार एवं शुष्क स्थान का ही चुनाव करना चाहिए
बाजार में ट्राइकोडर्मा खरीदने के वक्त किसान भाई इस बात का ध्यान रखें कि प्राय कोडरमा को प्रमाणित संस्था या कंपनी से ही खरीदना उचित रहता है
किसान भाई इस बात का भी ध्यान रखें कि ट्राइकोडर्मा को कार्बनिक खाद में मिलाने के बाद ज्यादा अधिक समय तक नहीं रखना चाहिए.
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ट्राइकोडर्मा की प्रमुख उपयोग विधियां
ट्राइकोडर्मा का उपयोग बीज उपचार के लिए भी किया जाता है.
इसका उपयोग कंद उपचार के लिए भी किया जाता है.
सीड प्राइमिंग में भी ट्राइकोडर्मा उपयोगी साबित होता है.
मृदा शोधन के लिए भी ट्राइकोडर्मा का उपयोग किया जाता है.
नर्सरी उपचार में भी ट्राइकोडर्मा का उपयोग किया जाता है.
पौधा उपचार भी ट्राइकोडर्मा द्वारा किया जाता है.
पौधों पर भी ट्राइकोडर्मा के चूर्ण का उपयोग किया जाता है.