Tobacco farming in india | तम्बाकू की खेती कैसे करे ? | Tambaakoo ki kheti

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Tobacco farming in india
तम्बाकू की खेती कैसे करे ?

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Tobacco farming in india | तम्बाकू की खेती कैसे करे ?

तम्बाकू एक महत्वपूर्ण नगदी फसल है. जिसे इसकी पत्तियों के लिए उगाया जाता है. इसकी खेती कम समय और कम लागत में अधिक मुनाफा देती है.

इसलिए गाँव किसान आज अपने इस लेख में तम्बाकू की खेती (Tobacco farming in india) की पूरी जानकारी अपनी भाषा हिंदी में देगा. जिससे किसान भाई इसकी खेती कर अच्छा लाभ कमा सके. तो आइये जानते है तम्बाकू की खेती की पूरी जानकारी –

तम्बाकू की उपयोगिता (Use of tobacco)

  • तम्बाकू का ज्यादातर उपयोग धुआँ और धुआँ रहित नशे वाली चीजों में किया जाता है उदाहरण के लिए सिगरेट, बीड़ी, हुक्का, गुल, पान मसाला, जर्दा, खैनी, गुटखा आदि में.
  • कृषि में तम्बाकू का उपयोग जैविक कीटनाशक बनाने में किया जाता है. इसके अलावा पशुओं की खली में और खेतो में खाद में रूप में इसका इस्तेमाल किया जाता है.
  • तम्बाकू का इस्तेमाल कई तरह की औषधियां बनाने में किया जाता है. इसमें निकोटिन होने के कारन इसका उपयोग एंटी बैक्टीरियल एवं एंटी फंगल दवाएं बनाने में किया जाता है.
  • उद्योगों में तम्बाकू के तेल का उपयोग वार्निश और रंग के लिए किया जाता है. तम्बाकू का तेल निकालने के लिए कृषि आनंद एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी ने ‘ऑटोमेटिक तेल मिल’ पहली भारतीय मशीन बनायी है.

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तम्बाकू की उत्पत्ति एवं विस्तार (Origin and spread of tobacco)

तम्बाकू का वानस्पतिक नाम निकोटिआना स्पे० (Nicotiana tabacum) है जो सोलेनेसी (Solanaceae) कुल का पौधा है. इसके उत्पत्ति का स्थान केन्द्रीय अमेरिका, मैक्सिको माना गया है.

विश्व में इसकी खेती चीन, भारत, ब्राजील, संयुक्त राज्य अमेरिका, जिम्बाब्वे, तुर्की और मलावी आदि देशों में व्यावसायिक रूप से की जाती है. जबकि भारत में इसकी खेती मुख्य रूप से आंध्रा प्रदेश, गुजरात, मद्रास, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, बिहार, मैसूर, हैदराबाद, उड़ीसा, मध्य प्रदेश, राजस्थान तथा पंजाब आदि राज्यों में की जाती है.

तम्बाकू उत्पादन में चीन का प्रथम व संयुक्त राज्य अमेरिका का दूसरा स्थान है. जबकि भारत का तीसरा स्थान है. फ़्लू क्योरेड तम्बाकू निर्यात में भारत का दूसरा स्थान है.

भारत में तम्बाकू उत्पादन का केवल 50 प्रतिशत आंध्र प्रदेश व गुजरात राज्य में होता है.

तम्बाकू की प्रजातियाँ (Tobacco species)

भारत में तम्बाकू की दो प्रजातियाँ उगाई जाती है.

1.निकोटिआना  टेबेकम (Nicotiana tebecum)

2.निकोटिआना रस्टिका (विलायती तम्बाकू) (Nicotiana rustica)

  • निकोटिआना टेबेकम की खेती भारत में निकोटिआना रस्टिका से अधिक की जाती है. टेबेकम देश के लगभग सभी भागों में उगाई जाती है. जबकि रस्टिका की खेती देश के उत्तरी पूर्वी भारत (पंजाब, उत्तर प्रदेश, बिहार पश्चिमी बंगाल तथा असोम) में की जाती है.
  • निकोटिआना टेबेकम की खेती सिगरेट, सिगार, चुरुट, बीड़ी, चबाने वाले व स्नफ़ तम्बाकू के लिए की जाती है.
  • निकोटिआना रस्टिका की खेती हुक्का, चबाने और स्नफ़ उद्देश्य के लिए की जाती है.
  • निकोटिआना टेबेकम की पत्तियों में 5 से 5.25 प्रतिशत तक निकोटिन पाया जाता है. तथा निकोटिआना रस्टिका की पत्तियों में 3.8 से 8 प्रतिशत तक निकोटिन पाया जाता है.

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तम्बाकू की उन्नत किस्में (Improved varieties of tobacco)

तम्बाकू की निम्न लिखित किस्में इस प्रकार है –

विभिन प्रकारों की महत्वपूर्ण किस्में 

  • फ्लूराइड (धूम्रनाल संसाधन) – विर्जिनिया गोल्ड, लाइन-2359, लाइन-1494, धनादायी, जी० एस० एच०-3, जायसरी, कनक प्रभा, सी० टी० आर० आई० स्पेशल, एच० आर० 70-57, एच० आर० 70-58, टी० एम० वी० आर० आर०-3 आदि.
  • नाटू तम्बाकू – प्रभात, डी० जी०-3, डी० जी०-4 आदि.
  • बीडी तम्बाकू – भोजकुंड, के-20, आनन्द-3, आनन्द-23, आनन्द-119, एस०-20, अकोलगुंड, अन्नेकेवी.
  • चबाने वाला तम्बाकू – भाग्य लक्ष्मी, थान्गम, विक्रम, सोना, गंडक बहार, पी० वी०-7, वी० आर०-2, आई-64, आई-115, डी०पी०-5401, वी०डी०-1.
  • चुरुट तम्बाकू – ओ० के०-1, भवानी स्पेशल, डी० आर०-1, लाइन-2331, आई-737.
  • सिगार भरने वाला तम्बाकू – ओलोर-10, मेरीलैंड, हवाना, स्वान विलेशमन, के०वी०-1, वी० वी०-2.
  • सिगार लपेटने वाला तम्बाकू- रंगूरपुर, सुमात्रा, डिक्सी शेड, एस-5.

तम्बाकू के लिए जलवायु एवं तापमान (Climate and temperature for tobacco)

  • तम्बाकू उष्ण कटिबंधीय जलवायु का पौधा है. इसकी खेती के लिए औसतन तापमान 25 डिग्री सेल्सियस तक उपयुक्त माना जाता है.
  • जबकि अंकुरण के लिए 21 डिग्री सेल्सियस तापमान की आवश्यकता होती है. तथा 27 से 32 डिग्री सेल्सियस तापमान शीघ्र अंकुरण के लिए आवश्यक है.
  • तम्बाकू की खेती के लिए 100 से 115 सेमी० वर्षा की आवश्यकता होती है. अधिक वर्षा इसकी खेती के लिए हानिकारक है. तथा वायुमंडलीय आपेक्षित आर्द्रता का तम्बाकू की गुणवत्त्ता पर बुरा असर पड़ता है. अतः 85 से 90 प्रतिशत तक आर्द्रता रहनी चाहिए.

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तम्बाकू की खेती के लिए भूमि (Land for tobacco cultivation)

तम्बाकू फसल के लिए 5.5 पी० एच० से 6.5 पी० एच० मान वाली भूमि उपयुक्त होती है. भूमि का जल निकल उत्तम होना चाहिए. इसके अलावा लोना मृदा जो उत्तर प्रदेश के फरुखाबाद जिले में पाई जाती है. तम्बाकू की खेती के लिए उपयुक्त होती है.

खेत की तैयारी (Farm preparation)

तम्बाकू की अच्छी पैदावार के लिए खेत की 3 से 4 बार अच्छी प्रकार जुताई कर मिट्टी को भुरभुरा बना लेना चाहिए. इसके उपरांत पाटा लगाकर भूमि को समतल कर लेना चाहिए.

बुवाई के लिए बीज की मात्रा (Seed quantity for sowing)

तम्बाकू की बीज की मात्रा बीज के आकार और वजन से काफी हद तक भिन्न होती है. निकोटिना टैबैकम में बीज का औसत वजन लगभग 0.08 से 0.09 mg तक होता है. जबकि निकोटिना रस्टिका का बीज बड़ा और इसके बीज से लगभग तीन गुना तक भारी होता है. इस प्रकार इसके बीज की मात्रा प्रति एकड़ इस प्रकार है-

  • निकोटिना टैबैकम- लगभग 1.2 किलोग्राम बीज प्रति एकड़ तक होती है.
  • निकोटिना रस्टिका- लगभग 2 किलोग्राम बीज प्रति एकड़ तक होती है.

तम्बाकू का बीज कहाँ से ख़रीदे (Where to buy tobacco seeds)

किसान भाई तम्बाकू (Tobacco) का बीज ऑनलाइन खरीडा जा सकता है. इसके अलावा आप सरकारी उद्यानिकी विभाग या अपने नजदीकी कृषि विज्ञान केंद्र या कृषि कॉलेज में संपर्क कर इसकी खेती के बारे में पूरी जानकारी ले सकते है.

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बीजोपचार (Tobacco seed treatment)

तम्बाकू के बीजो को 2.5 ग्राम थीरम की दर से प्रति किलो बीज उपचारित करना आवश्यक होता है.

रोपाई का उचित समय (Tobacco planting time)

तम्बाकू की खेती में पौधे की रोपाई उपयुक्त समय अक्टूबर महीने में होता है. लेकिन कुछ किस्मों की रोपाई दिसम्बर महीने में भी की जाती है.

तम्बाकू की नर्सरी तैयार करने की विधि (Tobacco nursery preparation)

तम्बाकू के लिए नर्सरी तैयार करते समय सबसे पहले इस बात का ध्यान रखें कि हर वर्ष एक ही भूमि पर नर्सरी तैयार नही करनी चाहिए. इसकी नर्सरी के लिए ऊंचाई वाले क्षेत्रों का चयन करना चाहिए. नर्सरी के लिए बलुई मिट्टी और बलुई दोमट मिट्टी सबसे उपयुक्त होती है. इसके साथ ही क्षारीय मिट्टी का चयन करने से बचन चाहिए. मुख्य खेत में पौधों की रोपाई से करीब 1 से 1.5 महीने पहले नर्सरी तैयार की जानई चाहिए. सबसे पहले मिट्टी पलटने वाली हल से 2 बार गहरी जुताई करनई चाहिए. इसके बाद मिट्टी को हल्की जुताई करके समतल एवं भुरभुरी बना लन चाहिए. नर्सरी में जल जमाव की समस्या से निजात पाने के लिए जल निकासी की उचित व्यवस्था करनई चाहिए. तम्बाकू के बीज की कई तरह से बुवाई की जाती है. आप छिड़काव विधि से भी बुवाई कर सकते हैं, लेकिन इसमें बीज की मात्रा अधिक लगती है.

इसके अलावा आप नर्सरी में क्यारियां बनाकर बीज की बुवाई कर सकते हैं. क्यारियों पर बुवाई करने से पौधों को निकालने में आसानी होती है और खरपतवार पर नियंत्रण एवं सिंचाई में भी सुविधा होती है. यदि भारी मिट्टी में नर्सरी तैयार करनी हो तो प्रति एकड़ भूमि में 40 टन बालू मिला लेना चाहिए. जुताई करते समय प्रति एकड़ खेत में 140 किलोग्राम सिंगल सुपर फास्फेट मिलाना चाहिए. नर्सरी में पौधों को गलन रोग से बचाने के लिए रिडोमिल एम जेड का 0.2% घोल का छिड़काव कर लेना चाहिए. सिंचाई की आवश्यकता होने पर हजारे से सिंचाई करनई चाहिए. बुवाई के बाद क्यारियों को पुआल से ढक देना चाहिए. बीज बुआई के लगभग 30 से 40 दिन बाद पौध (लगभग 4 से 6 इंच के पौधे) रोपाई हेतु तैयार हो जाती है.

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तम्बाकू की नर्सरी तैयार करने की रैबिंग विधि (Rabing method for preparing tobacco nursery)

तंबाकू की रोपाई का आदर्श समय 20 सितंबर से 10 अक्टूबर माना गया है. 6-8 सप्ताह के स्वस्थ बीचडे़ की रोपाई करनी चाहिए. इसके लिए किसानों को तंबाकू की पौधशाला में स्वस्थ बीचडे़ उत्पादन के लिए रैबिंग विधि अपनाना चाहिए. इसमें सूखे खर-पतवार, पत्तिया या पुआल की 15-20 सेमी मोटी परत मिट्टी के उपर बिछाकर उसे जलाया जाता है.

फलस्वरूप खर पतवार के बीज एवं मिट्टी में उपस्थित रोग एवं कीडे़ नष्ट हो जाते हैं. बीज गिराने से पूर्व क्यारी में तोड़ी की खल्ली, सिंगल सुपर फास्फेट तथा 10 ग्राम फ्यूराडान दबा अच्छी तरह मिला दे. अच्छे अंकुरण के लिए बुआई के समय क्यारी में नमी का होना भी आवश्यक है. तेज धूप और तेज वर्षा से बीचडे़ को बचाने के लिए टाटी से ढंक देना चाहिए. अंकुरण बाद उसे हटा लेना चाहिए. क्यारी से घने पौधे हटाए एवं नमी बनाये रखना चाहिए. छह से आठ सप्ताह के बीज की रोपाई कर लेनी चाहिए. अगस्त के अंतिम सप्ताह में बीचडे़ अवश्य गिरा लेना चाहिए.

प्रति एकड़ पौध की आवश्यकता (Plant requirement per acre of tobacco)

तम्बाकू की उन्नत खेती के लिए पंक्ति से पंक्ति की बीच की दूरी और पंक्ति में पौधे से पौधे के बीच का दूरी इस प्रकार रखते है तो प्रति एकड़ पौध की आवश्यकता होती है- 90 × 75 सेंटीमीटर = लगभग 6,000 पौधे.

तम्बाकू की रोपाई विधि (Tobacco planting method)

तम्बाकू (Tobacco) के पौधे का रोपण 90 × 75 सेंटीमीटर की दूरी पर लगाना सबसे उत्तम होता है.

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तम्बाकू की सिंचाई (Tobacco irrigation)

तम्बाकू (Tobacco) के पौधे की रोपाई के तुरंत बाद इसमें सिंचाई कर देनी चाहिए. उसके बाद मौसम एवं मिट्टी में नमी के आवश्यकता अनुसार 12 से 15 दिनों के अंतराल पर सिंचाई करते रहना चाहिए.

तम्बाकू में खरपतवार नियंत्रण (Tobacco weed control)

तम्बाकू (Tobacco) के स्वस्थ पौधे और अच्छी विकास एवं पैदावार के लिए रोपाई के 20 से 25 दिन बाद पहली निराई-गुड़ाई करनई चाहिए. उसके बाद समय-समय पर आवश्यकता अनुसार निराई-गुराई करनी चाहिए.

तम्बाकू के पौधे की देखभाल (Tobacco plant care)

तम्बाकू (Tobacco) के पौधे की देखभाल करना बहुत ही जरूरी है. इसके पौधे से निकलने वाले फूल की कालिया या साइड शाखाओं को तोड़ देना चाहिए. लेकिन बीज उत्पादन के लिए इसके फूल नहीं तोड़ना चाहिए.

तम्बाकू फसल कटाई  (Tobacco crops harvesting)

तम्बाकू (Tobacco) के पौधे लगभग 120 से 135 दिन में पककर तैयार हो जाती है. जब पौधे के निचे की पत्ती कठोर होकर सूखने लगे उसके बाद पौधे को जड़ के पास से इसकी कटाई कर लेनी चाहिए.

तम्बाकू तैयार करना (Making tobacco)

तम्बाकू (Tobacco) के पौधे कटाने के बाद उसे दो से तीन दिन तक खेत में सुखाया जाता है. उसके बाद उन्हें एक जगह एकत्रित कर कुछ दिन के लिए ढक दिया जाता है या मिट्टी में दबा देते है. सुखाने के दौरान इसके पौधों की पलटते रहना चाहिए. सुखाने के वक्त इसके पौधों में नमी और सफेदी जितनी ज्यादा आती है तम्बाकू उतनी ही अच्छा गुण, रंग, स्वाद व गंध मिलती है.

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तम्बाकू से उपज (Tobacco yield)

तम्बाकू (Tobacco) के फसल से लगभग प्रति एकड़ 2 से 2.5 क्विंटल उपज प्राप्त होता है. लेकिन दक्षिणी काली मिट्टी में इसकी औसत उपज लगभग 6 से 7 क्विंटल प्रति एकड़ है.

तम्बाकू का उपज कहाँ बेचें (Tobacco Marketing)

तम्बाकू (Tobacco) की पैदावार आप व्यापारी या मार्किट में अपना माल बेच सकते हैं.
तम्बाकू की खेती के लिए आवश्यक दिशा-निर्देश इस प्रकार है –

  • तम्बाकू (Tobacco) की खेती से कम समय में अधिक लाभ प्राप्त करने के लिए नर्सरी में तैयार स्वास्थ्य पौधे का चयन करें.
  •  तम्बाकू की नर्सरी पर विशेष रूप से ध्यान दें.
  • तम्बाकू की फसल से अच्छे पैदावार और निकोटिन की अधिक मात्रा के लिए समय पर पौध की रोपाई करें.
  • तम्बाकू में नइट्रोजन की अधिक आवश्यकता होती है.
  • तम्बाकू की खेती के लिए कोई लाइसेंस की जरुरत नहीं होती है.

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अन्य पूछे जाने प्रश्न (Other FAQ)

प्रश्न : तम्बाकू की पैदावार सबसे ज्यादा कहाँ होती है?

उत्तर : देश का लगभग 85 प्रतिशत तम्बाकू का उत्पादन क्षेत्र मात्र चार राज्यों आन्ध्र प्रदेश (36 प्रतिशत), कर्नाटक (24 प्रतिशत), गुजरात (21 प्रतिशत) और बिहार (4 प्रतिशत) में है. आज विश्वभर में अमेरीका तथा चीन के बाद बड़े पैमाने पर तम्बाकू पैदा करने वाला तीसरा देश भारत है.

प्रश्न : तंबाकू में कौन सा पदार्थ नशा उत्पन्न करता है?

उत्तर : तंबाकू में मौजूद निकोटीन का सबसे शक्तिशाली प्रभाव व्यवहार पर पड़ता है। यह जहरीला पदार्थ नशे को पैदा करता है। निकोटीन, तंबाकू का सेवन करने वालों के व्यवहार को प्रभावित करता हैं तथा प्रभावित व्यवहार को और अधिक सुदृढ़ बनाता हैं

प्रश्न : भारत में तंबाकू कौन लाया था?

उत्तर : इस प्रकार भारत में सन् 1609 के आस-पास धूम्रपान की शुरूआत हुई। कुछ विद्वानों के अनुसार तंबाकू को सबसे पहले अकबर बादशाह का एक उच्च अधिकारी बीजापुर से लाया था और उसे सौगात के तौर पर बादशाह को भेंट किया था। इसके बाद भारत के लोगों ने तंबाकू को चिलम में रखकर पीना शुरू किया

प्रश्न : तंबाकू खाने से क्या क्या होता है?

उत्तर : तंबाकू का निकोटीन ब्लड प्रेशर भी बढ़ाता है. जब आप धूम्रपान करते हैं तो उसका धुंआ पूरे श्वसन तंत्र को प्रभावित करता है. ये आंख, कान और फेफड़ों को प्रभावित करता है. इसका सीधा संबंध मुंह से होता है इसलिए ज्यादा तंबाकू खाने से मुंह का कैंसर (tobacco cancer) होने की संभावना बढ़ जाती है.

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