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Tinda ki Kheti | टिंडा की खेती कैसे करे ? | Tinda Cultivation Information In Hindi

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टिंडे की खेती कैसे करे ?

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Tinda ki Kheti | टिंडा की खेती कैसे करे ?

टिंडा गर्मियों की एक प्रसिध्द सब्जी है. इसको अन्य दूसरी सब्जियों के साथ भी मिलकर बनाया जाता है. लेकिन इसकी पैदावार देश के कुछ ही हिस्सों में होती है. किसान भाई इसकी खेती कर अच्छा मुनाफा कमा सकते है. आज गाँव किसान आप सभी को इस लेख के जरिये टिंडा की खेती (Tinda ki Kheti ) की पूरी जानकारी देगा, तो आइये जानते है पूरी जानकारी-

टिंडे के फायदे (Benefits of Tinda)

टिंडा के फलों का उपयोग अधिकतर सब्जी बनाने में किया जाता है. इसके कच्चे फलों को दाल में मिलकर सब्जी की तरह खाया जाता है. इसकी सब्जी से प्राप्त पोषक तत्वों से स्वास्थ्य अच्छा रहता है. इसमें विटामिन ए और सी भरपूर मात्रा में पाए जाते है. जो शरीर में दवा की तरह काम करते है. टिंडे से सूखी खांसी और रक्त संचार सुधारने में भी मदद मिलती है.

टिंडा का क्षेत्र एवं विस्तार (Area and extent of Tinda)

टिंडा Cucurbitaceae (कुकर बिटेसी) परिवार की मुख्य फसलों में से एक है. इसको round melon, round gourd, Indian squash भी कहा जाता है. टिंडा की खेती मुख्य रूप से उत्तर भारत में सब्जी के रूप मर की जाती है. भारत में टिंडे की खेती पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, दिल्ली, उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश और आन्ध्र प्रदेश में की जाती है.

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टिंडा सब्जी के लिए उपयुक्त जलवायु एवं भूमि (Suitable climate and land for Tinda vegetable)

टिंडा सब्जी फसल के लिए गर्म एवं आर्द्र जलवायु उपयुक्त होती है. ठंडी जलवायु एवं पाला इसकी फसल के लिए नुकसान दायक होता है. गर्मी का मौसम इसकी खेती के लिए एकदम उपयुक्त होता है. बारिश के मौसम इसकी खेती करने से कीट एवं रोग लगने की सम्भावना अधिक रहती है.

टिंडा की खेती के लिए हलकी बलुई दोमट मिट्टी उपयुक्त होती है. इसे हर प्रकार की भूमि में उगाया जा सकता है. इसके अलावा भूमि का पी० एच० मान 6.0 से 7.0 के बीच होना चाहिए.

टिंडा की उन्नतशील खेती (Thrive farming of Tinda)

टिंडा सब्जी की उन्नत किस्मों में टिंडा एस 48, टिंडा लुधियाना, पंजाब टिंडा-1, अर्का टिंडा, अन्नामलाई टिंडा, मायको टिंडा, स्वाती, बीकानेरी ग्रीन, हिसार चयन 1, एस 22 आदि प्रमुख है.

टिंडा सब्जी की खेती की बुवाई का समय (sowing time of tinda vegetable cultivation)

देश में टिंडा की खेती वर्ष में दो बार की जाती है. इसकी पहली फसल की खेती फरवरी से मार्च की जाती है. दूसरी फसल की खेती जून से जुलाई में की जाती है.

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Tinde ki Kheti के लिए खेत की तैयारी (Field preparation for Tinda sabji)

टिंडा सब्जी की खेती के लिए खेत की अच्छी प्रकार जुताई करनी चहिये. इसके लिए 2 से 3 बार हैरो और कल्टीवेटर से जुताई कर मिट्टी को भुरभुरा बना लेना चाहिए. इसके उपरांत आखिरी जुताई के समय 8 से 10 टन गोबर की सड़ी हुई खाद प्रति एकड़ के हिसाब डालना चाहिए. और पाटा लगाकर जमीन को बराबर कर लेना चाहिए. इसके बाद खेत में क्यारियां बना लेना चाहिए.

टिंडा की बुवाई के लिए बीजमात्रा एवं बीजोपचार (Seed quantity and seed treatment for sowing of Tinda)

Tinda sabji की बुवाई के लिए डेढ़ किलोग्राम बीज प्रति बीघा की आवश्यकता होती है. बीजों को बुवाई से पहले उपचारित कर लेना चाहिए. इसके लिए बीजों को मिट्टी से होने वाली फंगस से बचाने के लिए, कार्बेनडाजिम 2 ग्राम या थीरम 2.5 ग्राम से प्रति किलो बीजों की दर से उपचारित कर लेना चाहिए. रासायनिक उपचार के उपरांत, इसके बीजों को ट्राइकोडरमा विराइड 4 ग्राम या स्यूडोमोनास फलूरोसैंस 10 ग्राम से भी प्रति किलो बीजों का उपचार जरुर कर ले. इसके बाद बीजों को छाया में सुखाकर बुवाई करे.

टिंडा खेती में बुवाई का तरीका (Method of sowing in Tinda farming)

टिंडा सब्जी के लिए तैयार खेत में 1.5 से 2.0 मीटर की दूरी पर 30 से 40 सेंटीमीटर चौड़ी और 15 से 20 सेंटीमीटर गहरी नालियां बना लेनी चाहिए. इन नालियों के दोनों किनारों पर 30 से 45 सेंटीमीटर की दूरी पर 2 सेंटीमीटर की गहराई पर बीजों की बुवाई कर लेना चाहिए.

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टिंडा की सिंचाई (irrigation of tinda)

टिंडा की खेती (chappal tinda ki kheti) में फसल को पहली सिंचाई 15 से 20 दिन बाद आवश्यकता होती है. गर्मी वाली फसल में 6 से 7 दिन के अंतर पपर सिंचाई की जरुरत पड़ती है. वर्षा वाली फसल में सिंचाई की आवश्यकता नही पड़ती है.

टिंडा में खरपतवार नियंत्रण (weed control in tinda)

टिंडा की फसल में खरपतवार नियंत्रण के लिए निराई-गुड़ाई की आवश्यकता पड़ती है. इसके लिए इसकी फसल में 2 से 3 बार निराई-गुड़ाई करनी पड़ती है. इसके अलावा रासायनिक छिडकाव के जरिये भी खरपतवार दूर किया जा सकता है. इसके लिए पेंडीमेथलीन 3.5 लीटर प्रति हेक्टेयर की दर से 800 से 900 लीटर पानी में मिलाकर घोल जमीन के ऊपर बुवाई के 48 घंटे के भीतर छिड़काव कर देना चाहिए.

टिंडा की सब्जी की तुड़ाई (Tinda’s vegetable harvesting)

टिंडा सब्जी की फसल 40 से 50 दिन बाद तुड़ाई के लायक हो जाती है. फलों की तुड़ाई करते समय इस बात का ध्यान रखे कि फल पका हुआ और माध्यम आकर का हो जाय. एक बार तुड़ाई शुरू होने के बाद हर 4 से 5 दिन के अंतर पर फलों की तुड़ाई करती रहती चाहिए.

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टिंडा की उपज एवं बाजार मूल्य (Yield and market price of tinda)

टिंडा की खेती से से एक हैक्टेयर में करीब 100-125 क्विंटल तक उपज प्राप्त हो जाती है. अगर बाजार भाव की बात करे तो सामान्यतः 20 से 40 रुपये प्रति किलो तक रह सकता है.

अन्य पूछे जाने वाले प्रश्न (Other FAQ)

प्रश्न : टिंडा की खेती कौन से महीने में की जाती है?

उत्तर : टिंडे सब्जी की पहली बुवाई फरवरी से अप्रैल में की जाती है. इसकी दूसरी बुवाई जून से जुलाई मे की जाती है.

प्रश्न : चप्पल टिंडा कब बोया जाता है?
उत्तर : चप्पल टिंडा फरवरी-मार्च और जून-जुलाई में भी बो सकते है। बीजों को बैड के दोनों तरफ बोना चाहिए और 45 सैं. मी. फासला रखे.
प्रश्न : टिंडा कैसे होते हैं?
उत्तर : टिंडा एक पोषण से भरपूर सब्जी है. इसके पौधे में लताएँ होती है। इसके अलावा टिंडा बहुत ही प्राकृतिक गुणों से भरपूर होता है। टिंडा में एन्टी-ऑक्सिडेंट, फाइबर, कैराटिनॉयड, विटामिन सी, आयरन या पोटाशियम पाया जाता है जो टिंडे को सूपरफूड बनाने में मदद करता है।

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