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देसी मुर्गियों के पालन में है बंपर बचत, किसान भाई इन देसी नस्लो का करे पालन

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देसी मुर्गियों के पालन में है बंपर बचत

देसी मुर्गियों के पालन में है बंपर बचत

भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में ज्यादातर किसान भाई खेती के साथ-साथ पशुपालन, मुर्गी पालन, तथा बकरी पालन आदि व्यवसाय करते हैं. जिससे उन्हें अतिरिक्त कमाई मिलती है. इससे उनकी आय में बढ़ोतरी होती हैं.

इन्हीं व्यवसाय के बीच देसी मुर्गी पालन व्यवसाय किसानों के बीच काफी लोकप्रिय हो रहा है. क्योंकि देसी मुर्गियों के पालन में काफी कम लागत और कम स्थान में अच्छा लाभ मिल जाता है. जिसके कारण ग्रामीण किसानों के लिए यहां अतरिक्त आय कमाने के विकल्प के तौर पर बढ़िया व्यवसाय है. सरकार द्वारा भी इस व्यवसाय को करने के लिए किसानों को प्रोत्साहन किया जा रहा है. जिससे किसानों की आय बढ़ाई जा सके ..

कम पूंजी से ही करे शुरुआत

किसान भाई को देसी मुर्गी पालन के लिए ज्यादा पूंजी की जरूरत नहीं होती है. क्योंकि देसी मुर्गी कम स्थान एवं कम भोजन में आराम से रह लेती है. इसीलिए इस पर खर्च भी काफी कम आता है. किसान भाई देसी मुर्गी पालन के लिए 40 से 50 हजार में इस व्यवसाय शुरुआत सफलतापूर्वक कर सकते हैं. किसान भाई इसको अपने खेतों में या घर के पास खाली पड़े स्थान में इस व्यवसाय को आराम से शुरू कर सकते है. सरकार द्वारा भी मुर्गी पालन व्यवसाय के लिए समय-समय पर विभिन्न योजनाओं द्वारा अनुदान दिया जाता है. जिससे किसान इस व्यवसाय के द्वारा अधिक लाभ कमा पाएं और अपनी आय को दो गुना कर सके.

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इस नस्ल की देसी मुर्गी पाले

मुर्गी पालन का व्यवसाय शुरू करने के लिए किसान भाई उन्नत नस्ल की मुर्गियों का चयन करें. जिससे वह कम समय में अधिक लाभ दें. क्योंकि कभी-कभी गलत नस्ल का चुनाव कर लेने से मुर्गी पालन किसान को नुकसान भी उठाना पड़ता है. क्योंकि गलत नस्ल की मुर्गी ओं में बीमारी जल्दी आ जाती है, और मुर्गियां मर जाती हैं. इसलिए किसान भाइयों को निम्न  नस्ल की देसी मुर्गियों को पालना फायदेमंद रहता है-

  • ग्रामप्रिया नस्ल की देसी मुर्गी-  इस नस्ल का चुनाव कर किसान भाई काफी लाभ ले सकते हैं. क्योंकि इस  मुर्गी की इस नस्ल से अंडा और मांस दोनों ही मिल जाते हैं. बाजार में भी इसकी मांग काफी रहती हैं. क्योंकि इस नस्ल की मुर्गी का उपयोग तंदूरी चिकन बनाने में अधिक होता है. इस नस्ल की मुर्गी 1 साल में लगभग 210 से 225 अंडे दे देती है. इसीलिए ग्रामीण क्षेत्रों के लिए इस नस्ल की मुर्गी का चुनाव काफी उत्तम माना जाता है.
  • श्रीनिधि नस्ल की देसी मुर्गी-  देसी मुर्गी की यह नस्ल भी किसानों के लिए काफी उपयोगी मानी गई है. क्योंकि इससे भी मांस और अंडे दोनों प्राप्त होते हैं. जिससे किसानों को अधिक मुनाफा मिलता है. इस देसी नस्ल की सबसे खास बात यह है कि इस नस्ल की मुर्गी कम समय में जल्दी विकास कर लेती है. इसीलिए किसानों को जल्दी ही लाभ प्राप्त होता है. 
  • वनराजा देसी नस्ल की मुर्गी-  मुर्गी की यह नस्ल अंडे फार्मिंग के लिए अधिक उपयुक्त मानी जाती है. इसीलिए वनराजा नस्ल की मुर्गियों को मुर्गी पालन में सबसे अच्छा माना जाता है. इस नस्ल की मुर्गियां  साल में 120 से 140 अंडे देने की क्षमता रखती हैं. ग्रामीण क्षेत्रों के लिए यह नस्ल काफी उपयोगी होती है.

देसी मुर्गी पालन के लाभ

देसी मुर्गियों की मांग बाजार में हर समय रहती है. क्योंकि इनका  मांस  बहुत ही स्वादिष्ट और पौष्टिक होता है. इसीलिए इनकी कीमत भी बाजार में अच्छी रहती है. देसी नस्ल की मुर्गियां काफी महंगी कीमत पर बिकती हैं. इनके अंडे भी बाजार में महंगे कीमत पर बिकते हैं. लेकिन इनके रख-रखाव, भोजन और अन्य चीजों पर बहुत ही कम खर्च आता है. इसीलिए देसी मुर्गी पालन किसानों के लिए एक लाभकारी व्यवसाय है.

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2 गुना से भी ज्यादा होता है मुनाफा

किसान भाई देसी मुर्गी पालन की शुरुआत बहुत कम लागत से शुरू कर सकते हैं. इसके लिए किसान भाई 10 से 15 मुर्गियों के साथ इस व्यवसाय को शुरू कर सकते हैं. अगर लागत की बात करें तो 40 से ₹50000 में इसकी शुरुआत हो जाती है. वही जब यह मुर्गियां पूरी तरह से तैयार हो जाएंगी. तब मुर्गी पालक किसान बाजार में इन्हें बेचकर 2 गुना से भी ज्यादा मुनाफा कमा सकते हैं. इसके अलावा किसान भाई जितने भी बड़े स्तर पर इस व्यवसाय को करेंगे, उन्हें उतना ही ज्यादा लाभ मिलेगा.

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