चार हफ्तों तक देशभर में कमजोर मानसून होने के आसार
बारिश का मौसम किसानों के लिए बेहद खास होता है. क्योकि उनकी ज्यादातर फसलें मानसूनी बारिश पर आश्रित होती है. जिस वजह से फसलों का उत्पादन भी मानसूनी बारिश के हिसाब से ही होता है. पिछले साल 2022 के खरीफ सीजन के दौरान कमजोर मॉनसून के चलते किसानों को काफी नुकसान उठाना पड़ा था. मॉनसून में देरी के चलते किसानों को धान की बुवाई भी लेट करने पर मजबूर होना पड़ा. इसका असर फसल की पैदावार पर भी हुआ.
अब इसी स्थिति का खतरा इस साल भी मंडरा रहा है. प्राइवेट फोरकास्टिंग एजेंसी स्काईमेट वेदर (Skymet) ने देश में अगले चार हफ्तों में कमजोर मॉनसून की भविष्यवाणी की है. 8 जुलाई तक कमजोर मॉनसून का पूर्वानूमान है. बारिश नहीं होने की स्थिति में किसानों की बुवाई लेट होगी. इसका असर फसल उत्पादन पर पड़ेगा.
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क्या भविष्वाणी की है स्काईमेट ने ?
इस साल मानसून में हुई देरी को लेकर लोगों की चिंता काफी बढ़ गई है. इस बीच स्काईमेट के पूर्वानुमान ने डर का माहौल पैदा कर दिया है. स्काईमेट ने कहा है कि 8 जुलाई तक मानसून कमजोर हो सकता है. इसकी वजह से फसलों की बुवाई में देरी हो सकती है. आपको बता दें कि स्काईमेट एक प्राइवेट फोरकास्टिंग एजेंसी है. एजेंसी ने आने वाले 4 हफ्ते के लिए कमजोर मानसून का अनुमान लगाया है.
आठ जुलाई तक पहुचेगां मानसून
केरल के तट पर मानसून काफी देरी में 8 जून को पहुंचा था. मौसम वैज्ञानिकों ने कहा है कि उत्तर भारत में भी मानसून काफी देर से पहुंचेगा. उत्तर भारत में मानूसन के आने की संभावना 8 जुलाई बताई जा रही है. इससे फसलों की बुवाई में देरी हो सकती है.
पिछले साल उत्तर प्रदेश इतने जिले हुए थे सूखाग्रस्त
पिछले साल 2022 में सूखे की वजह से यूपी के 62 जिलों को सूखाग्रस्त की केटेगरी में शामिल किया गया था. पिछले साल धान की फसल को काफी नुकसान हुआ था. कमजोर मानसून ने बिहार और झारखंड में भी असर दिखाया था.दोनों राज्य सरकारों ने सूखे से प्रभावित किसानों की आर्थिक मदद भी की थी. कमजोर मॉनसून के चलते किसानों को धान की जगह रागी और कम पानी वाले फसलों की खेती करने की अपील की थी.
कहाँ-कहाँ है इस साल गर्मी का प्रकोप
महाराष्ट्र, ओडिशा, तेलंगाना,छत्तीसगढ़, झारखंड और बिहार में 15 जून तक आमतौर पर बारिश हो जाती है, लेकिन अभी भी इन राज्यों में भीषण गर्मी का प्रकोप जारी है.
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देश उत्तरी हिस्सों में मॉनसून की दस्तक
मॉनसून दक्षिण भारत के राज्यों से होते हुए पश्चिम बंगाल में दस्तक दे चुका है. बंगाल के उत्तरी हिस्सों में बारिश भी दर्ज की गई है. हालांकि, बंगाल के दक्षिण हिस्सों में मॉनसून का असर दिखने में कुछ दिन और लग सकता है. हालांकि, कमजोर मॉनसून के चेतावनी के चलते लगातार दूसरे साल किसानों के ऊपर सूखे का खतरा मंडरा रहा है.