Pistachio Nut farming – पिस्ता की खेती कैसे करे ? (हिंदी में)

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Pistachio Nut farming
पिस्ता की खेती (Pistachio Nut farming) कैसे करे ? 

पिस्ता की खेती (Pistachio Nut farming) कैसे करे ?

नमस्कार किसान भाईयों, पिस्ता की खेती (Pistachio Nut farming) विश्व के कई देशों में की जाती है. भारत में कई राज्यों में इसकी खेती की जाती है. यह काफी पसंद किया जाने वाला मेवा है. जिसकी मांग हमारी बाजार में काफी रहती है. किसान भाई इसकी खेती कर अच्छा लाभ कमा सकते है. इसलिए गाँव किसान (Gaon kisan) आज अपने इस लेख ने पिस्ता की खेती (Pistachio Nut farming) की कैसे करे ? पूरी जानकारी देगा वह भी अपनी भाषा हिंदी में. जिससे किसान भाई इसकी अच्छी उपज कर सके. तो आइये जानते है, पिस्ता की खेती (Pistachio Nut farming) की पूरी जानकारी-

पिस्ता के फायदे 

पिस्ता में कम संतृप्त वसा होती है. यह मोनो सेचुरेटेड वसा का अच्छा स्रोत है. पिस्ता खाने से रक्तचाप कम होता है. यह पाचन शक्ति को भी बढाता है. इसके सेवन से त्वचा का सूखापन दूर होता है. पिस्ता एंटी ऑक्सीडेंट से भरपूर तथा डाइबिटीज को रोकता है. पिस्ता के तेल का उपयोग सौन्दर्य प्रसाधन, विभिन्न व्यंजन तथा दवाई में किया जाता है. पिस्ते का हरा छिलका गाय, भेड़ तथा मुर्गियों को खिलाने के उपयोग में लिया जाता है.

यह एक औषधीय मेवा है जिसके सेवन से कोलेस्ट्रोल लेवल (एलडीएल) को कम व अच्छे कोलेस्ट्रोल लेवल (एचडीएल) को बढाने में मदद करता है. जिससे ह्रदय रोग का जोखिम कम होता है. इसमें पाया जाने वाला विटामिन बी6 तंत्रिका तंत्र के लिए फायदेमंद होता है. यह विटामिन तंत्रिका तंत्र के चारो ओर माइलिन नाम का आवरण बनाता है. जो तंत्रिका तंत्र के माध्यम से सन्देश एक तंत्रिका से दूसरी तंत्रिका में पहुंचता है. यह फ़ॉस्फोरस का अच्छा स्रोत है. जो मधुमेह को नियंत्रित करने में मदद करता है. पिस्ता में सोडियम का स्तर कम व पोटेशियम की मात्रा अधिक होती है. जो रक्तचाप को नियंत्रित करने में मदद करता है. पिस्ता स्मरण शक्ति को बढाता है. तथा इसमें पाया जाने वाला विटामिन बी8 प्रतिरक्षा प्रणाली को बढाता है. इसमें मौजूद केरोटिनाइड, बीटा केरोटिनाइड व ल्युटेन नामक एंटीऑक्सीडेंट तत्व कैंसर से रक्षा करते है. इसके अलावा कच्चा पिस्ता कब्ज, शुष्क त्वचा के लिए और गुर्दे के लिए अत्यधिक फायदेमंद होता है.

उत्पति एवं क्षेत्र 

पिस्ता का वानस्पतिक नाम पिस्टेशिया वेरा (Pistacia vera Linn.) है. यह ऐनाकार्डिएसी (Anacardiacease) कुल का पौधा है. पिस्ता पश्चिमी एशिया और एशिया माइनर मूल का पौधा है. इसकी उत्पत्ति ईरान में हुई है. विश्व में 15 से अधिक देशों में इसकी खेती होती है. इसमें ईरान, अमेरिका, तुर्की, सीरिया, चीन, यूनान, अफगानिस्तान, ट्यूनेशिया, इटली, पकिस्तान, मेडागास्कर, उज्बेकिस्तान आदि मुख्य पिस्ता उतपादक देश है. भारत में पिस्ता की खेती भारत में केवल राज्यस्थान राज्य में होती है.

जलवायु एवं भूमि 

पिस्ता के लिए शुष्क एवं अर्ध्द शुष्क क्षेत्र, शुष्क ग्रीष्मकालीन, कम नमी एवं ठंडी सर्दियों वाले क्षेत्र उत्तम रहते है. पिस्ता का पेड़ -10 डिग्री तापक्रम से 48 डिग्री तापक्रम को सहन कर सकता है. ग्रीष्म ऋतु में 48 डिग्री तक का तापक्रम सहन कर सकता है. ग्रीष्म ऋतु में 38 डिग्री तापक्रम पर पिसते के पेड़ पर अच्छे आकार के नट्स का उत्पादन होता है.

पिस्ता एक रेगिस्तानी पौधा है जिसमें लवणीय मृदा को सहन करने की अत्यधिक क्षमता होती है. लवणीय भूमि एवं लवणीय पानी में इसकी खेती सफलता पूर्वक की जा सकती है. हवा में अत्यधिक आर्द्रता इसकी खेती के लिए ख़राब होती है. भूमि से जल निकास की उचित व्यवस्था होनी चाहिए.

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उन्नत किस्में (Pistachio Nut farming)

इसका पौधा डायोसियस है जिसमें नर व मादा फूल अलग-अलग पौधे में आते है. करमान, फेनडौगी, कलह गौची, अकबरी, अहमद अगेही आदि इसकी मुख्य मादा किस्में है. एक नर पौधा 8 से 10 मादा पौधोंके लिए पर्याप्त पराग पैदा करता है. इसके पौधे से 7 से 10 वर्ष में उत्पादन प्राप्त होना शुरू होता है. तथा अधिकतम उत्पादन लगभग 20 वर्ष में पहुँच पाता है. पौधे में एकान्तरित फलन होता है. जिसमें एक वर्ष में अधिक व अगले वर्ष में कुछ कम उत्पादन प्राप्त होता है.

पौध रोपण (Pistachio Nut farming)

पिस्ता की रोपाई से एक माह पूर्व वर्षा ऋतु या फरवरी माह में 1 मीटर लम्बाई, एक मीटर चौड़ाई व एक मीटर गहराई के गड्ढे पंक्ति से पंक्ति की दूरी 20 से 22 फीट रखते हुए प्रत्येक गड्ढे में उपजाऊ मिट्टी में 50 किग्रा० सड़ी हुई गोबर की खाद, 1.5 किग्रा सिंगल सुपर फास्फेट, 1 किग्रा म्यूरेट ऑफ पोटाश को अच्छी तरह मिलकर भर दे.

खाद एवं उर्वरक

पिस्ता की अच्छी उपज के लिए निम्नानुसार खाद एवं उर्वरक का प्रयोग करना चाहिए-

पौधे की आयु  प्रथम वर्ष  द्वितीय वर्ष  तृतीय वर्ष  चतुर्थ वर्ष  पंचम वर्ष  छः वर्ष  सप्त वर्ष व आगे 
गोबर की खाद (किग्रा प्रति पौधा) 50 50 50 50 50 50 50
नाइट्रोजन (ग्राम) 70 150 300 460 610 610 915
फ़ॉस्फोरस (किग्रा) 1.13 1.13 1.13 1.13 1.13 1.13 1.13
पोटाश (किग्रा) 1.80  1.80  1.80  1.80  1.80  1.80  1.80

सिंचाई (Pistachio Nut farming)

पिस्ता का पौधा लगाने के पहले वर्ष में 20 लीटर, दूसरे वर्ष में 32 लीटर, तीसरे वर्ष में 46 लीटर, चौथे वर्ष में 63 लीटर, पांचवे वर्ष में 89 लीटर, छठे वर्ष में 110 लीटर तथा सातवें वर्ष एवं आगे के वर्षों में 130 लीटर पानी प्रति पौधा देने की आवश्यकता होती है. पानी की मात्रा मौसम के हिसाब से कम ज्यादा की जा सकती है.

कटाई-छंटाई 

पिस्ता को नवम्बर के मध्य से फरवरी मध्य तक सूखी रोगग्रस्त टहनियां तथा पेड़ को आकार देने के लिए कटाई-छंटाई करनी होती है.

उपज (Pistachio Nut farming)

पिस्ता में एकांतरिक फलन होता है. अर्थात एक वर्ष में अच्छा उत्पादन व अगले वर्ष में कम उत्पादन होता है. सितम्बर महीने से अक्टूबर के मध्य तक नट्स की टुडे का कार्य किया जाता है. नौ वर्ष की आयु पूरी होने पर 10 से 13 किलोग्राम प्रति पौधा पिस्ता नट्स प्राप्त होते है. पिसते की आर्थिक उपज 15 से 20 वर्ष बाद प्राप्त होना प्रारंभ होती है.

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पिस्ता के कीट एवं रोग प्रबन्धन 

पिस्ता के खेती करने के दौरान कुछ कीट जैसे धुन, स्टिंगबग और लीफ फुटेड प्लांट बग जैसे सामान्य कीट पतंगे पाए जाते है.

पिस्ता की फसल में  पायी जाने वाली कुछ बीमारियाँ जैसे क्राउन गाल, पिस्ता डायबैक, सेप्टोरिया लीफ स्पॉट, पेनिकल एंड शुट ब्लाईट, पिस्ता साइलिड आदि है. जो फसल को नुकसान पहुचती है.

इनकी रोकथाम के लिए स्थानीय बागवाणी विभाग से सम्पर्क कर रोग एवं कीटोंनाशी दवावों का प्रयोग करे.

निष्कर्ष 

किसान भाईयों उम्मीद है गाँव किसान (Gaon kisan) का पिस्ता की खेती (Pistachio Nut farming) से सम्बन्धित इस लेख से सभी जानकारियां मिल पाई होगी. गाँव किसान (Gaon kisan) द्वारा पिस्ता के फायदे से लेकर पिस्ता के कीट एवं रोग प्रबन्धन तक की सभी जानकारियां दी गयी है. फिर भी पिस्ता की खेती (Pistachio Nut farming) से सम्बन्धित आपका कोई प्रश्न हो तो कमेन्ट बॉक्स में कमेन्ट कर पूछ सकते है. इसके अलावा यह लेख आपको कैसा लगा कमेन्ट कर जरुर बताये. महान कृपा होगी.

आप सभी लोगो का बहुत-बहुत धन्यवाद, जय हिन्द.

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2 COMMENTS

  1. कैलाश चन्द्र शर्मा मु, पोस्ट नारायण खेड़ा तहसील रायपुर जिला भीलवाड़ा राजस्थान
    में पिस्ता के पौधे लगाना चाहता हूं अपने खेत में पौधे कहां मिलेंगे

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