मशरूम की खेती (Mushroom Farming) की पूरी जानकारी
नमस्कार किसान भाईयों, मशरूम की खेती (Mushroom Farming) भारत के विभिन्न क्षेत्रों में की जा रही है. इसका प्रयोग अधिकतर सब्जी के रूप में किया जाता है. इसकी खेती से कम लागत अधिक मुनाफा कमाया जा सकता है. मशरूम की खेती के लिए तकनीकी कौशल की जरुरत होती है. गाँव किसान (Gaon Kisan) आज अपने इस लेख के जरिये आप को मशरूम की खेती (Mushroom Farming) की पूरी जानकारी बताएगा, वह भी अपनी भाषा हिंदी में. जिससे किसान भाई इसकी अच्छी उपज प्राप्त कर सके. तो आइये जानते है मशरूम की खेती (Mushroom Farming) की पूरी जानकारी-
मशरूम के फायदे
प्राचीन काल से ही मशरूम खाद्य पदार्थ के रूप में जाना जाता है. ऋग्वेद में मशरूम के महत्व का वर्णन मिलता है. यह एक पूर्ण स्वास्थ्यवर्धक है जो सभी के लिए अनुकूल होती है. इसमें प्रोटीन, रेशा, विटामिन तथा खनिज लवण प्रचुर मात्रा में पाए जाते है. ताजे मशरूम में 80 से 90 प्रतिशत पानी होता है तथा प्रोटीन की मात्रा 12 से 35 प्रतिशत, कार्बोहाइड्रेट 26 से 82 प्रतिशत एवं रेशा 8 से 10 प्रतिशत होता है. मशरूम में पाए जाने वाला रेशा पाचक होता है. मशरूम शरीर की प्रतिरोधी क्षमता बढाता है. स्वास्थ्य ठीक रहता है. कैंसर की संभावना कम करता है. गाँठ की वृध्दि को रोकता है. रक्त शर्करा को संतुलित करता है.
उत्पति एवं क्षेत्र (Mushroom Farming)
मशरूम की खेती संसार के ज्यादातर भागों में की जाती है. भारत में इसकी खेती दो समूहों में की जाती है. एक जो केवल मौसम में ही इसकी खेती की जाती है. तथा दूसरे वो जो पूरे साल मशरूम की खेती की जाती है. मशरूम की मोसमी खेती हिमाचल प्रदेश, जम्मू कश्मीर, उत्तर प्रदेश की पहाड़ियों, उत्तर-पश्चिमी पहाड़ी क्षेत्रों, तमिलनाडु के पहाड़ी भागों में 2 से 3 फसलों के लिए तथा उत्तर पश्चिमी समतल क्षेत्रो में ठंडक के मौसम में की जाती है.पूरे साल मशरूम की खेती करने वाले क्षेत्रो में उत्तरांचल, चेन्नई, और गोवा आदि राज्यों में की जाती है.
वार्षिक फसल चक्र (Mushroom Farming)
विभिन्न प्रकार की मशरूम प्रजातियों की वानस्पतिक वृध्दि (बीज फैलाव) व फलस्वरूप (फसल) अवस्था के लिए अनुकूलतम तापमान अलग-अलग होता है. इसलिए मशरूम को कृषि फसलों की भांति फेर बदल करके वर्ष भर उगाया जा सकता है.
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किस्में एवं उगाने के लिए तापमान
क्र० सं० | मशरूम के वैज्ञानिक नाम | प्रचलित नाम | अनुकूल तापमान डिग्री० सेंटीग्रेड | अनुकूल तापमान डिग्री० सेंटीग्रेड |
बीज फैलाव हेतु | फलन हेतु | |||
1 | एगेरिकस वाईस्पोरस | श्वेत बटन मशरूम | 22-25 | 14-18 |
2 | एगेरिकस बाईटॉरकिस | ग्रीष्मकालीन श्वेत बटन मशरूम | 28-30 | 25 |
3 | प्लूरोटस इरिन्जाइ | करबुल ढिंगरी | 18-22 | 14-18 |
4 | प्लूरोटस फ्लेविलेट्स | ढिंगरी मशरूम | 25-30 | 22-26 |
5 | प्लूरोटस फ्लोरिडा | ढिंगरी मशरूम | 25-30 | 18-22 |
6 | प्लूरोटस सजोरकाजू | ढिंगरी मशरूम | 25-32 | 22-26 |
7 | कैलोसाइबी इंडिका | दूधिया मशरूम | 25-30 | 30-35 |
8 | वालवेरिल्ला वालवेसिया | पुआल मशरूम | 32-35 | 28-32 |
9 | ऑरिकुलेरिया प्रजाति | ब्लैक इयर मशरूम | 20-35 | 12-20 |
10 | लुन्टीनुला इडोडस | शिकाटे मशरूम | 22-27 | 15-20 |
बटन मशरूम की खेती (अक्टूबर से फरवरी तक)
आधार सामग्री की तैयारी (Mushroom Farming)
मशरूम की खेती के लिए गेहूं के भूसे को बोर में रात भर के लिए साफ़ पानी में भिगों दिया जाता है. यदि आवश्यक हो तो 7 ग्राम कार्बेन्डाजिम (50 प्रतिशत) तथा 115 मिली० फॉर्सलीन प्रति 100 लीटर पानी की दर से मिला दिया जाता है. इसके बाद भूसे को बाहर निकालकर अतरिक्त पानी निथारकर अलग कर लेना चाहिए. और जब भूसे में लगभग 70 प्रतिशत नमी रह जाय तब यह बीजाई के लिए तैयार हो जाता है.
बिजाई विधि (Mushroom Farming)
बुवाई के लिए हमेशा ताजा बीज ही प्रयोग करे. इसे भूसे को तैयार करने से पहले ही खरीद लेना चाहिए. एक कुंटल भूसे के लिए 8 से 10 किलो बीज की आवश्यकता होती है. सर्दियों में जब वातावरण का तापमान 20 डिग्री सेल्सियस से नीचे हो, तभी इसके बुवाई के लिए उपयुक्त समय होता है. बिजाई करने के दो दिन पहले कमरे या झोपड़ी को 2 प्रतिशत फार्मेलीन से उपचारित कर लेना चाहिए. प्रति 3 किलो गीले भूसे में लगभग 100 ग्राम बीज अच्छी तरह मिलाकर पोलीथिन को अच्छी तरह बाँध देते है. बिजाई करने के बाद थैलों में छिद्र नही बनाए जाते है. बिजाई के बाद का तापमान 28 से 32 डिग्री होना चाहिए. बिजाई के बाद इन थैलों को फसल कक्ष में रख देते है.
आवरण मृदा तैयार करना
बिजाई के 20 से 25 दिन बाद फफूंद पूरे भूसे पर फैल जाती है. इसके बाद आवरण मृदा तैयार कर 2 से 3 इंच मोती परत थैली के मुंह को खोलकर ऊपर समान रूप से फैला दिया जाता है. इसके पश्चात पानी के फव्वारे से इस तरह आवरण मृदा के ऊपर सिंचाई की जाती है. कि पानी से आवरण मृदा की लगभग आधी मोटाई ही भीगने पाए आवरण मरदा लगाने के लगभग 20 से 25 दिन बाद आवरण मृदा के ऊपर मशरूम की बिन्दुनुमा अवस्था दिखाई देने लगती है. इस समय फसल का तापमान 32 से 35 तथा आर्द्रता 90 प्रतिशत से अधिक बनाये रखानी चाहिए. अगले 3 से 4 दिन में मशरूम तोड़ाई योग्य हो जाती है.
उपज (Mushroom Farming)
सूखे भूसे के भार का 70 से 80 प्रतिशत मशरूम का उत्पादन प्राप्त होता है.
धान के पुआल का मशरूम (वालवेरियल्ला प्रजति)
इस मशरूम को चाइनीज मशरूम तथा गर्मी का मशरूम कहा जाता है. इसकी खेती सर्वप्रथम 1822 में चीन में शुरू हुई थी. यह सबसे कम समय में तैयार होने वाला मशरूम है. भारत वर्ष में इसकी खेती प्रायः समुद्र तटीय राज्यों जैसे- पश्चिमी बंगाल, उड़ीसा, कर्णाटक, तमिलनाडु एवं आंध्र प्रदेश में की जाती है. वर्तमान में इसकी खेती देश के मैदानी भागों में प्रायः जुलाई से सितम्बर महीने में की जाती है.
मशरूम स्पान प्राप्त करने का स्रोत
मशरूम की खेती करने के लिए अच्छी गुणवत्तायुक्त स्पान अति आवश्यक है. किसान भाई आप लोग निम्न स्रोतों से संपर्क कर सकते है.
- पादप रोग विज्ञान विभाग, चन्द्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, कानपुर.
2. पादप रोग विज्ञान विभाग, गोविन्द वल्लभ पन्त कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, पंतनगर, उधम सिंह नगर, उत्तराखंड.
3. पादप रोग विज्ञान विभाग, राजस्थान कृषि विश्वविद्यालय उदयपुर, राजस्थान.
4. पादप रोग विज्ञान विभाग, महात्मा फूले कृषि विद्यापीठ पूना, महाराष्ट्र.
5. पादप रोग विज्ञान विभाग, हरियाणा कृषि विश्व विद्यालय हिसार, हरियाणा.
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मशरूम प्रशिक्षण प्राप्त करने के स्थान
मशरूम उत्पादन में प्रशिक्षण एक महत्वपूर्ण अंग है. क्योकि बिना प्रशिक्षण प्राप्त किये कोई व्यक्ति मशरूम का सफलता पूर्वक उत्पादन नही कर सकता है. सभी सामग्री का सही मात्रा में प्राप्त करने सम्बन्धित जानकारी हेतु निम्न केन्द्रों से संपर्क किया जा सकता है.
- राष्ट्रीय खुम्ब अनुसन्धान केंद्र, बम्बाघाट सोलन, हिमाचल प्रदेश.
2. पादप रोग विज्ञान विभाग, चन्द्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, कानपुर-208002.
उत्तर प्रदेश अखिल भारतीय समन्वित मशरूम विकास परियोजना के अंतर्गत कुछ राज्यों से भी प्रशिक्षण कार्य चलाया जा रहा है. जो निम्नवत है-
- पादप रोग विज्ञान विभाग, इंदिरा गाँधी कृषि विश्वविद्यालय रायपुर, छत्तीसगढ़.
2. पादप रोग विज्ञान विभाग, आई० आई० एच० आर० बंगलौर, कर्णाटक.
3. उद्यान विभाग, मेघालय, शिलांग.
4. उद्यान निदेशालय, लखनऊ, उत्तर प्रदेश.
5. उद्यान निदेशालय, ईटानगर, अरुणाचल प्रदेश.
निष्कर्ष
किसान भाईयों उम्मीद है, गाँव किसान (Gaon Kisan) के मशरूम की खेती (Mushroom Farming) से सम्बन्धित इस लेख से सभी जानकारियां मिल पायी होंगी. गाँव किसान (Gaon Kisan) द्वारा मशरूम के फायदे से लेकर मशरूम के प्रशिक्षण स्थान तक की सभी जानकारियां दी गयी है. फिर भी मशरूम की खेती (Mushroom Farming) से सम्बन्धित आपका कोई प्रश्न हो तो कमेन्ट बॉक्स में कमेन्ट कर पूछ सकते है. इसके अलावा यह लेख आपको कैसा लगा कमेन्ट कर जरुर बताये. महान कृपा होगी.
आप सभी का बहुत-बहुत धन्यवाद, जय हिन्द.
मै मशरूम का खेती करना चाहता हूं मुझे पूरी जानकारी बताए जिससे हर मौसम में मशरूम की पैदावार कर सकु
धन्यवाद, जल्द ही आपको इस विषय पर जानकारी मिल सकेगी…
bhai aapne yaha bahut hi achche se samjhaya h ki mushroom farming kaise karni hai