रबी फसलों के सीजन में किसान भाई मटर की अपनी फसल को कीटों से कैसे बचाएं ?

0
matar ki kheti ke kit
मटर की फसलों में लगने वाले कीटों से बचाव

मटर की फसलों में लगने वाले कीटों से बचाव

देश में समय रबी फसलों का सीजन चल रहा है ज्यादातर किसान भाई गेहूं के साथ-साथ तिलहनी और दलहनी फसलों की भी खेती करते हैं. इन्हीं दलहनी फसलों में से एक है मटर की खेती. मटर की खेती किसान भाई गेहूं के साथ-साथ सहफसली के रूप में या फिर खाली मटर की खेती ही करते हैं.

मटर की खेती से किसान भाई अच्छा मुनाफा कमाते हैं. लेकिन कभी-कभी इसमें कुछ कीट लग जाने से उन्हें नुकसान उठाना पड़ता है. इसीलिए गांव किसान आज आपने इस लेख में मटर की खेती में लगने वाले कीड़ों की जानकारी देने वाला है. तो आइए जानते हैं मटर की खेती में लगने वाले प्रमुख कीट कौन से हैं, इनका नियंत्रण कैसे किया जाए-

यह भी पढ़े : कठिया गेहूं क्या है ? इसकी खेती से किसानों को क्या-क्या लाभ मिलते हैं ? आइए जाने 

मटर की खेती में लगने वाले प्रमुख कीट

तने की मक्खी का प्रकोप

तने की मक्खी के मैगट मटर के पौधे के तने में घुस जाते हैं. और पौधे के तने को अंदर से ही खाते हैं. जिससे मटर का तना फूल जाता है. और अंत में पौधा पीला होकर सूख जाता है. इस कीट के अधिक प्रकोप होने से यह फसल को पूरी तरह से नष्ट कर देता है.

मटर का कीट सेमीलूपर

मटर के इस कीट की सूड़िया हरे रंग की होती है. जो लूप आकार बनाकर चलती है. इस कीट की सूड़िया पत्तियों, कोमल टहनियों, कलियों, फूलों और फलियों को खाकर नष्ट कर देती हैं. जिससे पौधा सूख जाता है. इस कीट के अधिक प्रकोप होने से किसान की उपज कम हो जाती है.

मटर का पत्ती सुरंगक कीट 

पत्ती सुरंगक कीट की सूड़िया मटर की पत्तियों में सुरंग बनाकर रहती हैं. और उसी भाग को खाती है. जिसके परिणाम स्वरूप पत्तियों में अनियमित आकार की सफेद रंग की रेखाएं बन जाती हैं. जो पौधे की बढ़वार को प्रभावित करती हैं. और उपज भी कम हो जाती है.

मटर का फलीबेधक कीट

मटर के इस कीट की चूड़ियां चपटी और हरे रंग की पाई जाती है. जो फलियों में छेद बनाकर अंदर घुस कर फली के दानों को अंदर ही अंदर खाती हैं. इस कीट के अधिक प्रकोप होने से खेत की सारी फलियां खोखली हो जाती हैं. जिससे किसान भाइयों को उपज में काफी नुकसान उठाना पड़ता है.

मटर में कीट प्रकोप को कैसे करें नियंत्रण

  •  किसान भाई की प्रकोप को रोकने के लिए फसलों की समय से बुवाई करें. क्योंकि अगेती बोई गई फसलों में तने मक्खी तथा देर से बोई के फसलों में फलीबेधक की की समस्या बढ़ जाती है.
  • किसान भाइयों को अगर अपने खेत में कीट का प्रकोप अधिक दिखे. तो किसान भाई निम्न कीटनाशकों का प्रयोग कर सकते हैं-
  • तने की मक्खी एवं पत्ती सुरंगक कीट के नियंत्रण के लिए बुवाई से पूर्व कार्बोफ्यूरान 3 सी० जी० 15 किग्रा० अथवा फोरेट 10 जी 10 किग्रा प्रति हेक्टेयर बुवाई से पूर्व मिट्टी में मिला देना चाहिए. इसके अलावा खड़ी फसल में कीट नियंत्रण के लिए किसान भाई डाईमेथोएट 30% ई० सी० अथवा आक्सीडेमेटान मिथाइल 25% ई०सी० की 1 लीटर प्रति हेक्टेयर की दर से लगभग 500 से 600 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव कर देना चाहिए. या फिर एजाडिरेक्टिन (नीम का तेल) 0.15%ई०सी० 2.5 लीटर प्रति हेक्टेयर की दर से उपयोग कर सकते हैं.

यह भी पढ़े : फूलगोभी की इन अगेती किस्मों को लगाकर किसान भाई बन सकेंगे मालामाल, तो आइए जाने इन फूलगोभी की किस्मों के बारे में पूरी जानकारी

  • फली बेधक कीट एवं अर्ध कुंडलीकार कीट के नियंत्रण के लिए किसान भाई जैविक/रासायनिक कीटनाशकों में से किसी एक रसायन का बुरकाव अथवा 500 से 600 लीटर पानी में घोलकर प्रति हेक्टेयर छिड़काव कर देना चाहिए.
  • बैसिलस थूरिनजिएन्सिस (बी०टी०) की कस्र्टकी प्रजाति 1.0 किग्रा०.
  • एजाडिरेक्टिन 0.03% डब्लू०एस०पी० 2.5-3.0 किलोग्राम.
  • एन०पी०वी०(एच) 2% ए०एस०.

इसके अलावा किसान भाई अपने खेतों की निगरानी प्रतिदिन करते रहें. अगर आवश्यकता हो तो दूसरा बुरकाव या छिड़काव 15 दिन के अंतराल पर पुनः कर दे. इस बात का ध्यान रखें एक कीटनाशकों दूसरी बार खेत में प्रयोग ना करें.

WhatsApp Group Join Now
Telegram Group Join Now
Instagram Group Join Now

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here