Mango Farming In Hindi | Mango cultivation | आम की खेती कैसे करे ?

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आम की खेती कैसे करे ? Mango Farming, Cultivation In Hindi

भारत में मैदानी भागों उत्पन्न होने वाले सभी फलों में आम का पहला स्थान है.यह देश के सभी भागों (Mango cultivation in world) में उगाया जाता है.इसके उत्तम सुगंध,आकर्षक रंग,खुश्बू,स्वादिष्टता,अच्छा आकार मूल्य एवं आसान उपलब्धता के कारण भारत का राष्ट्रीय फल (National Fruit) कहा जाता है.देश के सभी भागों का पसंदीदा होने के कारण इसे फलों का राजा (King of Fruits) भी कहा जाता है.आज गाँव किसान के इस लेख के द्वारा आप सभी को आम की खेती (Mango Farming In Hindi) के बारे में बताऊंगा,जिससे आप आम की खेती ( (Mango Farming In Hindi)) सफलता पूर्वक कर अधिक लाभ ले सके.

आम के फायदे (benefits of mango)

आम (Mango Farming In Hindi) का फल पोषक तत्वों से भरपूर होता है.जिसमें स्वास्थ्य की द्रष्टिकोण से आवश्यक पोषक तत्व जैसे विटामिन ए,बी,सी (Mango have vitamin c) और लवण प्रचुर मात्रा में पाए जाते है.कुछ किस्मों में बीटा कैरोटीन भी पायी जाती है.आम के कच्चे फलों का उपयोग चटनी,अचार,शरबत आदि बनाने में किया जाता है.इसके अलावा पके फलों का उपयोग मुख्य रूप से खाने एवं शरबत (Mango shake),अमावट आदि बनाने के लिए किया जाता है.

AAM KI KHETI के लिए जलवायु एवं मिट्टी (The best planting season for Mango trees)

आम उष्ण जलवायु का मुख्य फल है परन्तु इसे उष्ण एवं समशीतोष्ण दोनों जलवायु में सफलता पूर्वक उत्पादित किया जा सकता है.वह क्षेत्र जहाँ जून से सितम्बर तक अच्छी बारिश होती है.वहां आम का उत्पादन अच्छा होता है. (when mango season) फूल आने और फलों के विकास के समय शुष्क मौसम होना नितांत आवश्यक है.इस समय वर्षा होने या आकाश में बादल छाये रहने से फल कम आते है,तथा कीड़ों एवं बीमारियों का प्रकोप ज्यादा हो जाता है.जहाँ पर अधिक ठंढ पड़ती होती है,वहां पर पौधे पाला से प्रभावित होकर नष्ट हो जाते है.

आम की खेती ( (Mango Farming In Hindi) कंकरीली,पथरीली एवं उसर भूमि को छोड़कर सभी प्रकार की मिट्टी में की जा सकती है.परन्तु पौधे की अच्छी वृध्दि एवं उत्तम फलन के लिए अच्छे जल निकास वाली दोमट मिट्टी अच्छी होती है.जिसका पी०एच० मान 6.0 से 9.0 हो.आम की जड़ें जमीन में काफी गहराई तक फैलती है.इसके बढवार के लिए कम से कम 2.0 से 2.5 मीटर तक गहरी एवं कंकड़ पत्थर रहित मिट्टी होनी चाहिए.

आम की उन्नत किस्में (which mango variety is best)

भारत में आम की लगभग 1000 किस्में उपलब्ध है.फल पकने की अवधि के आधार पर आम के मुख्य किस्मों को निम्न लिखित वर्गों में विभाजित किया गया है –

1.मई के अंत से जून के आरम्भ तक पकने वाली किस्में – इन किस्मों में बाम्बे,गुलाबख़ास,जरदालू,रानी पसंद, अलफांसो,मिठुआ,सुन्दर प्रसाद,सुर्खवमा,तोतापरी,बंगलोरा,केसर,मलगोवा आदि प्रमुख है.

2.जून में पकने वाली किस्में – इन किस्मों में लंगड़ा,हेमसागर,हुश्नआरा,दशहरी,कृष्णभोग,भरत भोग,गोपाल भोग,जर्दा आदि प्रमुख है.

3.जुलाई तथा अगस्त माह में पकने वाली किस्में – इन किस्मों में फजली,सुकुल,सीपिया,तैमुरिया,सेंदुरिया,आम्रपाली, मल्लिका आदि प्रमुख है.

4.अगस्त और सितम्बर माह में पकने वाली किस्में – इन किस्मों में समरबहिस्त चौसा,कैतकी आदि प्रमुख है.

इसके अलावा विभिन्न कृषि संस्थानों द्वारा विकसित आम की कुछ संकर किस्में विकसित की गयी है.

संकर किस्में

विभिन्न संस्थानों द्वारा विकसित आम की संकर किस्में निम्न प्रकार है –

आम्रपाली

यह दशहरी तथा नीलम (दशहरी X नीलम) किस्मों के संकरण से भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान,नई दिल्ली द्वारा विकसित किस्म है.यह अन्य व्यावसायिक किस्मों की अपेक्षा काफी बौना क़िस्म है.यह आम के सघन खेती के लिए सबसे उपयुक्त किस्म है.इसमें फलन नियमित और अधिक होता है.इसका फल जुलाई के अंतिम सप्ताह तक पकता है.

मल्लिका

यह किस्म भी दिल्ली केंद्र द्वारा नीलम एवं दशहरी (नीलम X दशहरी) किस्मों के संकरण से विकसित किया गया है.फलन नियमित और फल का वजन लगभग 350 ग्राम होता है.फल पकने पर आकर्षक पीला नारंगी रंग का होता है.फल की भंडारण क्षमता बहुत अच्छी होती है.

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आम की प्रवर्धन की विधियाँ (Mango Propagation Methods)

आम का प्रसारण मुख्यतः दो विधियों द्वारा किया जाता है,जिनको क्रमशः बीजू और वानस्पतिक प्रसारण कहते है.आम के गुठली द्वारा तैयार पौधों को बीजू पौधा कहा जाता है.इन पौधों के फलों में मातृ-पितृ आनुवंशिक गुणों का अभाव रहता है.इस प्रकार के पौधों में फलन कम और विलम्ब (लगभग 10 वर्ष के बाद) से होता है.

इसलिए आम के फलों अधिक उपज प्राप्त करने के लिए हमेशा वानस्पतिक प्रसारण द्वारा तैयार कलमी पौधों को ही लगाना चाहिए.वानस्पतिक प्रसारण की कई विधियाँ है.परन्तु मुख्य विधियाँ निम्न प्रकार है –

इनार्चिंग (Inarching) विधि

यह आम (Aam ki kheti) के कलमी पौधे तैयार की पुरानी विधि है.इस विधि में एक वर्ष पुराने बीजू पौधों को मातृ वृक्ष के समीप लगाया जाता है.मातृ वृक्ष पर मूलवृंत के समान मोटी शाखा का चुनाव करते है.दोनों शाखाओं में 5 सेमी० लम्बी कट चाकू की सहायता से लगाईं जाती है,फिर कटे-छिले हुए दोनों शाखाओं को सुतली से कसकर बाँध दिया जाता है.लगभग 70 से 75 दिनों में दोनों शाखाएं जुड़ जाती है.इसके पश्चात कलमी पौधों को मातृ वृक्ष से काटकर छायादार स्थान पर बने नर्सरी क्यारी में लगाते है.इस विधि से कलम बांधने का सही समय जुलाई-अगस्त माह है.

विनियर विधि (Veneer Methods)

इस विधि से कलमी पौधा तैयार करने के लिए 3 से 4 माह पुरानी आम के स्वस्थ शाखाओं का चुनाव करते है.बीजू पौधे,जिन पर कलम कलम बांधना है,कम से कम एक वर्ष की हो,उसे मूलवृंत कहते है.एक सप्ताह बाद चुनी हुई शाखाओं को काट लिया जाता है.मूलवृंत पर 5 सेमी० लम्बी छाल व कुछ लकड़ी छीलकर कटे हुए भाग को वी आकर देना चाहिए.कटी शाखाओं पर भी चाकू से शाखा को दोनों ओर इस तरह लिया जाता है कि मूलवृंत पर बने वी आकार में शाखा आसानी से फिट बैठ जाय.इसके बाद पोलीथीन से बाँध देना चाहिए.यह विधि काफी सस्ती और आसान है.इस विधि से 90 प्रतिशत सफलता मिलती है.

आम की भूमि की तैयारी एवं रेखांकन (Mango land preparation and drawing)

बाग़ (Mango Farming In Hindi) लगाने के लिए चुनाव की गयी भूमि की अच्छी तरह जुताई कर समतल बना लें.

बाग़ का रेखांकन करते समय इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि बाग़ पुराना होने पर भी सभी फल वृक्षों को उचित सूर्य का प्रकाश मिलता रहे.बाग़ के उचित प्रबन्धन हेतु पौधों को सीधी पंक्ति में लगाना चाहिए.

वर्गाकार विधि अन्य सभी विधियों की अपेक्षा आम का बाग़ लगाने के लिए सर्वोत्तम मानी जाती है,क्योकि इस पध्दति में पंक्ति से पंक्ति एवं पौध से पौधे की समान रहती है.

रस्सी की सहायता से पारम्परिक किस्मों के बड़े वृक्षों के लिए 10 मी० X 10 मी० की दूरी पर,आम्रपाली जैसी बौनी किस्मों के 25 मी० X 25 मी० तथा माध्यम बौनी किस्मों के लिए 5.0 मी० X 5.0 मी० आधार पर रेखा खीच लेनी चाहिए.इस रेखा पर प्रत्येक वृक्ष का स्थान खूँटी गाड़कर निश्चित कर लेना चाहिए.

आम के बाग़ लगाने के लिए गड्ढे की खुदाई का कार्य मई माह में आरम्भ कर देना चाहिए.बड़े वृक्षों के लिए 1.0 मी० X 1.0 मी० आकार के गड्ढे खोद ले.गड्ढों को दो-तीन सप्ताह तक खुला छोड़ देना चाहिए,जिससे मिट्टी के अधिकाँश कीट-रोग एवं घास का नियंत्रण हो जाता है.मानसून वर्षा आरम्भ होने पर गड्ढों में 40-50 किलोग्राम कम्पोस्ट,1.0 किलोग्राम डी०ए०पी० तथा 1.0 किलोग्राम क्यूरेटऑफ पोटाश मिट्टी भरते समय मिला देना चाहिए.इस बात का ध्यान रखना कि गड्ढा वाला स्थान भूमि की साथ से 15 से 20 सेमी० ऊँचा रहे.ऐसा करने से पौधे के आस-पास जल भराव की स्थिति उत्पन्न नही होगी.

गड्ढा भरने के बाद मिट्टी को 10 से 15 दिनों तक बैठने दे.पौधा लगाने से दो दिन पहले क्लोरपायरीफ़ॉस नामक दवा से गड्ढा के उपरी 25 सेमी० साथ को उपचारित कर दे.गड्ढों के बीचों बीच एक गड्ढा बनाकर बाल (पिंड)सहित पौधे को गड्ढे में रख देते है.पौधे के चारों ओर की मिट्टी अच्छी तरह दबा देते है.पौधा लगाने के तुरंत बाद सिंचाई कर दे.

आम के लिए खाद एवं उर्वरक (Manure and Fertilizer for Mango)

पौधों की उचित वृध्दि तथा अच्छे फलन के लिए समुचित रूप से खाद एवं उर्वरक का उपयोग करना चाहिए.आम के पेड़ों में उनकी आयु के अनुसार दी जाने वाली खाद एवं उर्वरक की मात्रा निम्न प्रकार है-

वर्ष कम्पोस्ट
(किग्रा०)
यूरिया
(किग्रा०)
सिंगल फ़ॉस्फेट
(किग्रा०)
क्यूरेट ऑफ यूरिया
(किग्रा०)
पहले वर्ष 10 0.2 0.3 0.15
दूसरे वर्ष 20 0.4 0.6 0.30
तीसरे वर्ष 30 0.6 0.9 0.45
चौथे वर्ष 40 0.8 1.2 0.60
पांचवें वर्ष 50 1.0 1.5 0.75
छठे वर्ष 60 1.2 1.8 0.90
सातवें वर्ष 70 1.4 2.1 1.05
आठवें वर्ष 80 1.6 2.4 1.20
नौवें वर्ष 90 1.8 2.7 1.35
दसवें वर्ष 100 2.0 3.0 1.50

खाद देने का उचित समय जुलाई-अगस्त माह है.लेकिन पोषक तत्वों का अधिक वर्षा से होने वाली क्षति को देखते हुए कम्पोस्ट की पूरी मात्रा एवं उर्वरक की आधी मात्रा जुलाई में और शेष मात्रा का प्रयोग सितम्बर माह में करना अधिक लाभप्रद होता है.

पौधे की आयु एवं आकार के अनुसार खाद देने की विधि अलग-अलग होती है.छोटे पौधों में पेड़ के फैलाव तक बेसिन बनाकर खाद देना उचित होता है.यदि वयस्क पौधा अपने सर्वाधिक फैलाव में आ गया हो तो बगीचे में जुलाई के समय में हल के पीछे उर्वरक एवं कम्पोस्ट खाद डालकर पाटा चला दे.

आम की सिंचाई (Mango irrigation)

छोटे पौधों की सिंचाई नियमित रूप से मिट्टी की नमी को देखते हुए लगभग एक सप्ताह के अंतर पर अवश्य करे.फैलने वाले बगीचे में आवश्यकतानुसार सिंचाई करनी चाहिए.लेकिन किसी भी परिस्थिति में नवम्बर माह में सिंचाई नही करनी चाहिए.जब मटर के दाने के आकार के फल लग जाए तब पुनः सिंचाई नियमित अंतराल पर करते रहना चाहिए.

यह भी पढ़े : अधिक पैदावार के लिए गेहूँ (Triticum asetivum) की खेती कैसे करे ?

आम के फलों की तुड़ाई (Mango fruit harves)

सामान्यतयः आम का फल-फूल आने के 90 दिनों के अन्दर पाक जाते है.फल जब पकने की स्थित में होता है,तब दो-चार पके फल पेड़ से गिरने लगते है.ऐसी अवस्था में फलों को तोड़ लेना चाहिए.फल तोड़ने के लिए आजकल आधुनिक उपकरण मैंगो हार्वेस्टर का प्रयोग किया जाता है.

आम की उपज (Mango yield)

कलमी पौधे पाँच वर्ष की आयु से फल देना प्रारम्भ कर देते है और 20 वर्ष की आयु में पूरा फल देने लगते है.एक पूर्ण वयस्क पेड़ से औसतन 1500 से 2000 फल प्राप्त होते है.

निष्कर्ष

तो किसान भाईयों,गाँव किसान के इस लेख के जरिये आप सभी आम की खेती (Mango Farming In Hindi) कैसे करे,इसकी पूरी जानकारी मिल पाई होगी.गाँव किसान द्वारा आप सभी को आम की खेती (Mango cultivation in world) की  ज्यादा से ज्यादा जानकारी देनी की कोशिश की गयी है जैसे जलवायु एवं मिट्टी,किस्में,प्रवर्धन की विधियाँ,भूमि की तैयारी,खाद एवं उर्वरक,सिंचाई इत्यादि.तो आशा करता हूँ आप सभी इस लेख ( (Mango Farming In Hindi) को पढ़कर लाभान्वित हुए होंगे.अगर आप का कोई प्रश्न हो तो नीचे बॉक्स में कमेन्ट कर सकते है. साथ ही अन्य किसान भाईयों तक इसका फायदा पहुचे,  इस पोस्ट को Social Networks जैसे कि Facebook, Twitter और दुसरे Social media sites share कीजिये .

आपका सभी का बहुत-बहुत धन्यवाद

अन्य पूछे जाने वाले प्रश्न (Other FAQ)

प्रश्न : आम का पौधा कब लगाया जाता है?

उत्तर : देश के उत्तर भारत और पूर्वी भारत में जून से सितंबर तक आम लगाने का सर्वोत्तम समय होता है. ऊपर दी गयी जानकारी के साथ खेती करने से अच्छे पेड़ तैयार होंगे जिससे अच्छी कमाई भी होगी . 

प्रश्न : आम का पेड़ कितने दिन में फल देता है? 

उत्तर : आम के पेड़ में चार-पाँच साल की अवस्था में फल देना प्रारंम्भ कर देते है और 12-15 साल की अवस्था में पूर्ण रूप से तैयार हो जाते है और इनमे फलन काफी हद तक स्थायी हो जाती है। एक प्रौढ़ वृक्ष से 1000 से 3000 तक फल प्राप्त हो जाते है कलमी पौधे अच्छी देख-भाल से 60-70 साल तक अच्छी तरह से फल देता रहता है

प्रश्न : अल्फांसो आम का पौधा कहाँ मिलेगा?

उत्तर : महाराष्ट्र के कोंकण इलाके में सिंधुदुर्ग जिले की देवगढ़ तहसील अल्फांसो (हापुस) आम के लिए दुनियाभर में मशहूर है. यहां 45 हजार एकड़ में इस आम के बाग हैं

प्रश्न : एक आम का पेड़ कितने किलो फल देता है?

उत्तर : एक पेड़ से एक बार में 30 से 40 किलो आम मिलते हैं। बारहमासी पेड़ जो एक वर्ष में दो बार मार्च-अप्रैल व सितंबर-अक्टूबर में फल देता है।

प्रश्न : आम की सबसे अच्छी नस्ल कौन सी है?

उत्तर : रत्नागिरि मशहूर ‘रत्नागिरी आम‘ महाराष्ट्र क्षेत्र के रत्नागिरी, देवगढ़, रायगढ़ और कोंकण में पाया जाता है और दिलचस्प बात ये है कि प्रत्येक आम का वजन 150 से 300 ग्राम के बीच होता है. ये आम भारत में पाए जाने वाले आम की सबसे अच्छी किस्मों में से एक है और सबसे महंगा भी है.

प्रश्न : सबसे छोटा आम का पेड़ कौन सा है?

उत्तर : अरुणिका (Arunika) किस्म के आम के पौधे अभी हाल ही में विकसित किए गए हैं, जिसके पेड़ आम्रपाली (Amrapali) से भी आकार में 40 फीसदी छोटे होते हैं.

प्रश्न : सबसे ज्यादा आम कहाँ होता है?

उत्तर : दशहरी आम का सबसे ज्यादा उत्‍पादन उत्‍तर प्रदेश में होता है. यहाँ हर साल 20 लाख टन आम का उतपादन होता है. जो सबसे अधिक है. 

प्रश्न : भारत का सबसे मीठा आम कौन सा है?
 
उत्तर : अलफांसो – महाराष्ट्र अलफांसो आम देश के सबसे चर्चित आमों में से एक है। इसकी मिठास, स्वाद और सुगंध बाकी आमों से बिल्कुल अलग है।
 
प्रश्न : आम का राजा कौन सा है?
 
उत्तर : अलफांसो को ‘आमों का राजा‘ कहा जाता है.
 
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