लोकाट की खेती (Loquat cultivation in Hindi) कैसे करे ?
नमस्कार किसान भाईयों, लोकाट की खेती (Loquat cultivation in Hindi) देश के वातावरण में सफलता पूर्वक की जा सकती है. बाजार में इसकी मांग पूरे साल बनी रहती है. इसलिए इसकी कीमत बाजार में अच्छी रहती है. जिससे किसान भाई इसकी खेती कर अच्छा लाभ कमा सकते है. इसलिए गाँव किसान (Gaon Kisan) आज अपने इस लेख में लोकाट की खेती (Loquat cultivation in Hindi) की पूरी जानकारी देगा वह भी अपनी भाषा हिंदी में. जिससे किसान भाई इसकी अच्छी उपज प्राप्त करे. तो आइये जानते है लोकाट की खेती (Loquat cultivation in Hindi) की पूरी जानकारी-
Contents
- 1 लोकाट के फायदे (Benefits of loquat)
- 2 लोकाट की उत्पत्ति एवं क्षेत्र (Origin and area of loquat)
- 3 लोकाट के लिए जलवायु एवं भूमि (Climate and land for Loquat)
- 4 लोकाट की उन्नत किस्में (Advanced varieties of Loquat)
- 5 लोकाट की प्रवर्धन की विधियाँ (Loquat amplification methods)
- 6 लोकाट के लिए खेत की तैयारी (Preparation of field for Loquat)
- 7 लोकाट पौधा लगाने का समय एवं दूरी (Time and distance to plant loquat)
- 8 लोकाट की सघाई एवं काट-छांट (Thickening and cutting of loquat)
- 9 लोकाट के बागों में उगाई जाने वाली सह फसलें (Crop crops grown in Loquat gardens)
- 10 लोकाट के लिए खाद एवं उर्वरक (Fertilizers and fertilizers)
- 11 लोकाट की सिंचाई (Loquat Irrigation)
- 12 लोकाट में फूल एवं फल आने का समय (Time for flowers and fruits in Loquat)
- 13 लोकाट के फलों की तुड़ाई एवं उपज (Harvesting and yield of Loquat fruits)
- 14 लोकाट के प्रमुख कीट एवं रोग प्रबन्धन (Major pest and disease management of Loquat)
- 15 निष्कर्ष (The conclusion)
लोकाट के फायदे (Benefits of loquat)
लोकाट को लुकाट या लुगाठ के नाम से जाना जाता है. यह एक पौष्टिक फल है. जिसके सेवन से अनेक रोगों में फायदा मिलाता है. इससे त्वचा रोग, आँखों की द्रष्टि, उच्च रक्तचाप, पेट के रोग, लीवर के विकार आदि रोगों में काफी लाभदायक होता है. इसके अलावा यह हड्डियों को मजबूत एवं रक्त को बढाता है.
लोकाट की उत्पत्ति एवं क्षेत्र (Origin and area of loquat)
लोकाट का लैटीन नाम एरियोबोट्रिया जैपोनिका (Eriobotrya japonica (Thunb.) है यह रोजेसी (Rosaceae) कुल का पौधा है. इस फल की उत्पत्ति पूर्वी चीन हुई है. विश्व में यह चीन, ताइवान, कोरिया, जापान आदि देशों में होती है. भारत में इसकी खेती पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, हिमाचल आदि राज्यों में मुख्य रूप से की जाती है. लेकिन महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, बिहार आदि राज्यों में भी बड़े स्तर पर इसकी खेती की जाती है.
लोकाट के लिए जलवायु एवं भूमि (Climate and land for Loquat)
लोकाट की खेती के लिए उपोष्ण जलवायु की आवश्यकता होती है. इस जलवायु में पौधा अच्छी तरह पनपता है. इसकी खेती समुद्रतल से 1200 मीटर की उंचाई तक की जा सकती है. यह फल कोहरा में भी अच्छी तरह वृध्दि करता है.
लोकाट की अच्छी उपज के सामान्य उपजाऊ भूमि सर्वोत्तम होती है. इसकी खेती दोमट व बलुई दोमट मिट्टी सबसे उपयुक्त होती है. इस बात का ध्यान रखे भूमि से उचित जल निकास की व्यवस्था होनी चाहिए.
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लोकाट की उन्नत किस्में (Advanced varieties of Loquat)
- पंजाब, हिमाचल प्रदेश, व दिल्ली के लिए इम्प्रूव्ड गोल्डन यलों, फायरबाल, तनाका आदि उन्नत किस्में उगाई जा सकती है.
- उत्तर प्रदेश, उत्तरांचल के लिए गोल्डन यलों, इम्प्रूव्ड, गोल्डन यलो, थेम्स प्राइड, लार्ज आगरा, इम्प्रूव्ड पेल यलो, गोल्डन रेड, मेचलेस, कैलीफोर्निया एडवांस, तनाका आदि प्रमुख उन्नत किस्में उगाई जा सकती है.
लोकाट की प्रवर्धन की विधियाँ (Loquat amplification methods)
लोकाट के प्रवर्धन के लिए भेंट कलम, शीर्ष कलम, खांचा कलम, जड़ कलम, गूटी कलम, एवं ढाल चश्मा द्वारा की जाती है. जिससे पौधे जल्दी तैयार हो जाता है. और उपज भी शीघ्र प्राप्त होती है.
लोकाट के लिए खेत की तैयारी (Preparation of field for Loquat)
लोकाट के पौध तेयार करने अथवा पौधे लगाने के लिए भूमि को अच्छी प्रकार तैयार कर लेना चाहिए. इसके लिए खेत को दो से तीन बार अच्छी प्रकार जुताई करके मिट्टी को भुरभुरा बना लेना चाहिए.
लोकाट पौधा लगाने का समय एवं दूरी (Time and distance to plant loquat)
लोकाट के पौधे लगाने का उचित समय जून-जुलाई व फरवरी-मार्च का महीना होता है. इसके लिए सबसे पहले पौधे लगाने के एक महीना पहले 60 x 60 x 60 सेमी० आकर के गड्ढे खोद ले. इसमें 10 से 15 किलो गोबर की सड़ी हुई खाद लेकर बराबर मिट्टी या बालू मिलाकर गड्ढों को भर कर पानी डाल दे, जिससे मिट्टी अच्छी तरह बैठ जाय. इसके बाद आप पौधे रोपित कर सकते है. पौधों को रोपित करते समय 10 x 10 मीटर की उचित दूरी जरुर रखे.
लोकाट की सघाई एवं काट-छांट (Thickening and cutting of loquat)
लोकाट की अच्छी वृध्दि के लिए इसके पौधों की कटाई-छंटाई बहुत ही आवश्यक है. फल तोड़ लेने के बाद जमीन को छूने वाली आपस में मिली हुई रोगी तथा कीट युक्त शाखाओं को काट देना चाहिए.
लोकाट के बागों में उगाई जाने वाली सह फसलें (Crop crops grown in Loquat gardens)
शुरुवात के तीन से चार सालों लोकाट के बागों में सह फसल उगाकर लाभ लिया जाता है. इस में मटर, लोबिया, मूंग, चना, उड़द एवं मूंगफली आदि की फसलें उगाई जा सकती है.
लोकाट के लिए खाद एवं उर्वरक (Fertilizers and fertilizers)
लोकाट की अच्छी उपज के लिए पौधे को खाद एवं उर्वरक देना बहुत ही जरुरी है. इसके लिए गोबर की खाद 90 किलोग्राम, नाइट्रोजन 440 ग्राम, फ़ॉस्फोरस 380 ग्राम, पोटाश 150 ग्राम, व कैल्सियम ऑक्साइड 337 ग्राम प्रति पेड़ प्रति वर्ष डालना चाहिए. खाद पौधे के चारों ओर फैलाव में छिड़क कर मिट्टी में मिला देना चाहिए. फ़ॉस्फोरस उर्वरक को नालियों में देना ठीक रहता है.
लोकाट की सिंचाई (Loquat Irrigation)
लोकाट की अच्छी वृध्दि के लिए समय-समय पर सिंचाई करना आवश्यक है. सबसे पहले पौधे लगाने के तुरंत बाद ही सिंचाई करनी चाहिए. इसके बाद टिन या चार दिन बाद पुनः सिंचाई करनी चाहिए. इसके बाद गर्मी के मौसम में 10 से 15 दिन बाद और जाड़ों के मौसम में 25 से 30 दिन बाद सिंचाई जरुर करे. इसके अलावा आवश्यकतानुसार सिंचाई करनी चाहिए.
लोकाट में फूल एवं फल आने का समय (Time for flowers and fruits in Loquat)
लोकाट के तैयार पौधे में सितम्बर से फरवरी तक फूल आने लगते है. तथा फल पकने का समय मार्च से अप्रैल है.
लोकाट के फलों की तुड़ाई एवं उपज (Harvesting and yield of Loquat fruits)
लोकाट का पौधा तीन साल में तैयार हो जाता और उपज देना शुरू कर देता है. 15वें वर्ष यह सबसे अधिक उपज देता है. फलों की तुड़ाई फलों के पकने पर ही करनी चाहिए.
लोकाट के एक पौधे से 40 से 50 किलोग्राम फल हर वर्ष प्राप्त होता है.
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लोकाट के प्रमुख कीट एवं रोग प्रबन्धन (Major pest and disease management of Loquat)
प्रमुख कीट एवं रोकथाम
चेपा कीट – इस कीट के प्रौढ़ एवं शिशु दोनों ही पौधे का रस चूस लेते है जिससे पौधे कमजोर हो जाते है. अधिक प्रकोप होने पर पत्तियां मुड़ जाती है. व काले रंग की फंगस विकसित हो जाती है.
रोकथाम – इस कीट की रोकथाम के लिए डाईमेथोएट 300 मिली० को 150 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ में स्प्रे करे.
पत्ता लपेट सूंडी – लोकाट का यह कीट पत्तियों को नुकसान पहुंचता है. यह पत्तियों को लपेटकर पौधे को प्रभावित करता है.
रोकथाम – इस कीट की रोकथाम के लिए क्विनालफ़ॉस 400 मिली० को 150 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ सिंचाई करनी चाहिए.
प्रमुख रोग एवं रोकथाम
काला धब्बा रोग – यह रोग चेपा के कारण फैलती है. इस रोग में पत्तियों पर फंगस फैल जाता है. जिससे पत्तियों पर काले धब्बे पड़ जाते है.
रोकथाम – यदि इस रोग का प्रकोप दिखाई पड़े तो कार्बेन्डाजिम 4 ग्राम या कॉपर ऑक्सीक्लोराइड 3 ग्राम या मेन्कोजेब 3 ग्राम को प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करना चाहिए.
निष्कर्ष (The conclusion)
किसान भाईयों उम्मीद है गाँव किसान (Gaon Kisan) के लोकाट की खेती (Loquat cultivation in Hindi) से सम्बंधित इस लेख से आप सब को सभी जानकारियां मिल पायी होगी. गाँव किसान (Gaon Kisan) द्वारा लोकाट के फायदे से लेकर लोकाट के कीट एवं रोग प्रबन्धन तक की सभी जानकारियां दी गयी है. फिर भी लोकाट की खेती (Loquat cultivation in Hindi) से सम्बंधित कोई प्रश्न हो तो कमेन्ट बॉक्स में कमेन्ट कर पूछ सकते है. इसके अलावा गाँव किसान (Gaon Kisan) का यह लेख आपको कैसा लगा कमेन्ट कर जरुर बताये. महान कृपा होगी.
आप सभी का बहुत-बहुत धन्यवाद, जय हिन्द.