पॉली हाउस में खीरे की खेती
देश के ज्यादातर किसान पारंपरिक खेती करते हैं. जिसे उन्हें सामान्य लाभ प्राप्त होता है. लेकिन अगर किसान भाई पारंपरिक खेती से थोड़ा हटकर कुछ नया करें तो उन्हें अधिक लाभ प्राप्त होगा. इसी कड़ी में किसान भाई पॉली हाउस में अपनी खेती कर सकते हैं. जिससे उन्हें अधिक मुनाफा होगा.
आज के इस लेख में हम आपको पॉली हाउस में खीरे की खेती कैसे करें. इसकी पूरी जानकारी देने वाले हैं. क्योंकि पॉली हाउस में की हुई खीरे की खेती से अधिक लाभ कमाया जा सकता है. तो आइए जानते हैं खीरे की खेती पॉली हाउस में कैसे करें?-
खीरे के उपयोग
पॉलीहाउस या ग्रीन हाउस में खीरे की खेती को आसान तरीके से किया जा सकता है. खीरे का उपयोग सलाद, रायता और अचार बनाने में किया जाता है. खीरे का फल ठंडा होने की वजह से इसका उपयोग पीलिया, कब्ज आदि बीमारियों में किया जाता है.इसके बीज का उपयोग आयुर्वेदिक दवाओं एवं बीजों से प्राप्त तेल शरीर और मस्तिष्क के लिए उपयोगी होता है.
यह भी पढ़े : नैनो यूरिया क्या काम करती है ? इसका छिड़काव कब और कैसे करें ?
पॉलीहाउस में खीरा
खीरा एक वर्षीय लता वाला पौधा है. इसकी पत्तियां सरल, सवृंत तथा पर्णीवृंत होती हैं. मूल रूप से यह एक लिंगी पौधा होता है. जिसमें नर एवं मादा पुष्प एक ही पौधे पर अलग-अलग जगह पर लगते हैं. नर पुष्प जल्दी से गुच्छे में तथा पुष्पवृंत पर उत्पन्न होते हैं. जबकि मादा फूल देर से एवं लंबे पुष्प वृंत पर उत्पन्न हो जाते हैं.
सामान्यतया खीरा एक पर-पराजित फसल है. और इसका परागण घरेलू मक्खियों या मधुमक्खियों के द्वारा किया जाता है. पॉलीहाउस में मधुमक्खियों के रखरखाव में आने वाली अधिक कठिनाइयों तथा कीटनाशकों के प्रभाव से मधुमक्खियों का बचाव के कारण पॉलीहाउस में खीरे की पार्थेनोकारपिक किस्म को लगाया जाता है. जिससे केवल मादा फूल ही उस पर आते हैं.
पॉलीहाउस के खीरे के लिए जलवायु
खीरे की फसल एक गर्म मौसम की फसल है इसकी अच्छी वृद्धि के लिए 27 से 35 डिग्री तापमान की जरूरत पड़ती है खीरा ठंडी और पाले के प्रति काफी संवेदनशील पाया जाता है. इसलिए अधिक तापमान तथा आर्द्रता होने पर इसमें पाउडरी मिल्ड्यू रोग लग जाता है.
खीरे के लिए न्यूनतम 15.5 औसतन 35 और अधिकतम 40% की आर्द्रता की आवश्यकता होती है. लेकिन पॉलीहाउस में खीरे की खेती के लिए आर्द्रता 65 से 70 और नमी 90% तक उचित पाई जाती है.
पॉलीहाउस के लिए खीरे की उन्नत किस्में
पॉलीहाउस में खीरे की खेती के लिए किसान भाइयों को अधिक उपज वाली संकर किस्मों का चुनाव करना चाहिए जिससे पाली हाउस में खीरे की फसल से अधिक उपज मिल सके पाली हाउस की कुछ प्रचलित इसमें जो निम्नलिखित हैं
चाइना,प्लाइनसेट, लोंग ग्रीन, सुपर ग्रीन, स्ट्रेट- 8, बालम खीरा, पूना खीरा, पूना संयोग (संकर) और पारथेनोकारपिक, कियान, इसाटिस आदि प्रमुख किस्में है.
खीरे की बुवाई का समय
पॉलीहाउस में किसी भी फसल की खेती पूरे वर्ष की जा सकती है. इसलिए खीरा भी पूरे वर्ष उगाया जा सकता है. लेकिन पॉलीहाउस में खीरे की मुख्य बुवाई ग्रीष्म काल एवं वर्षा काल में की जाती है.
पॉलीहाउस में खीरे की ग्रीष्मकालीन बुवाई का समय फरवरी सबसे उचित माना जाता है. वही वर्षा कालीन बुवाई का समय मई से जून मैदानी क्षेत्रों के लिए उचित रहता है. जबकि पर्वतीय क्षेत्रों के लिए मार्च से मई सबसे उपयुक्त महीना माना जाता है.
पॉलीहाउस में खीरे की बीज की मात्रा
पॉलीहाउस में खीरे की बुवाई के लिए 2 से 2.25 किलोग्राम बीज प्रति हेक्टेयर की जरूरत होती है.
खीरे की पौध कैसे तैयार करें
पॉलीहाउस में खीरे की पौध तैयार करने के लिए 50 छिद्रों वाले प्रो ट्रे इस्तेमाल किया जाता है. इस प्रो ट्रे के हर क्षेत्र में एक-एक बीज बोया जाता है. प्रो ट्रे को भरने के लिए जो मिश्रण तैयार किया जाता है. उसे कोकोपीट, परलाइट एवं वर्मी कंपोस्ट का इस्तेमाल किया जाता है.
बीज बोने के तीन से चार दिन बाद बीजों का अंकुरण हो जाता है. और पौधे 20 से 25 दिनों बाद रोपाई के लिए तैयार हो जाते हैं.
खाद एवं उर्वरक का प्रयोग
पॉलीहाउस में खीरे की खेती के लिए कंपोस्ट एवं गोबर की खाद 10 से 15 किलोग्राम प्रति वर्ग मीटर की दर से बीज बोने के 3 से 4 सप्ताह पहले भूमि तैयार करते समय मिट्टी में मिला दिया जाता है.
इसके अलावा पॉलीहाउस में अन्य उर्वरकों में नाइट्रोजन 7 ग्राम, फास्फोरस 4 ग्राम और पोटाश 5 ग्राम प्रति वर्ग मीटर की दर से उपयोग करते हैं.
सिंचाई प्रबंधन
पॉलीहाउस में सिंचाई के लिए ड्रिप या स्प्रिंकलर का उपयोग किया जाता है. इस ड्रिप सिस्टम में दो एल पी एच का ड्रिपर उपयोग में लाया जाता है. जो 1 घंटे में 2 लीटर पानी पौधों को दे देता है.या पौधों को प्रतिदिन दो से 3 लीटर पानी प्रति पौधा देता है.
खीरे के पौधों को 90% तक नहीं चाहिए. इसलिए स्प्रिंकलर द्वारा दो से तीन बार पानी का छिड़काव करना चाहिए. सिंचाई के साथ उर्वरक भी फर्टिगेशन प्रणाली द्वारा दिया जाता है. 10 से 12 दिन के अंतर पर घुलनशील 19:19:19 (एन पी के) उर्वरक 2.8 ग्राम प्रति वर्ग मीटर की दर से देना चाहिए.
मल्चिंग का करें प्रयोग
पॉलीहाउस में खीरे की खेती के लिए क्यारी बनाते समय काली पॉलीथिन फिल्म का उपयोग करना काफी लाभदायक रहता है. क्योंकि इससे खरपतवार का कुप्रभाव फसल के ऊपर नहीं पड़ता है. और नमी भी लंबे समय तक बनी रहती है.
कैसे करेंगे रोपण
पॉलीहाउस में खीरे की खेती के लिए 1 मीटर चौड़ी और 15 सेंटीमीटर ऊंचाई वाली क्यारी बनानी चाहिए. इसके बाद उस पर ड्रिप लाइन और मल्चिंग को बिछा देना चाहिए. मल्चिंग बिछाने के बाद 75 x 75 सेंटीमीटर पर उस मल्चिंग पॉलिथीन पर छेद काटकर एक-एक पौधे की रोपाई कर देते हैं. बुवाई के बाद पौधों की सिंचाई हजारे की सहायता से करनी चाहिए. जब तक पौधे सही ढंग से स्थापित ना हो जाए तब तक सिंचाई की जानी चाहिए.
यह भी पढ़े : किसानों के लिए खुशखबरी, इस दिन जारी होंगे पीएम किसान योजना की 12वीं क़िस्त के रुपए
खीरे की पौध को सहारा देना
खीरे का पौधा एक लता वाला पौधा होता है. जिसको किसी सहारे की जरूरत होती है. इसीलिए फसल को सहारा देने के लिए मचान मनाया जाता है. जिसमें प्लास्टिक की सुतली द्वारा पौधे को ऊपर की ओर सहारा दिया जाता है. सहारा देने में पौधे को बनते समय इस बात का ध्यान रखना चाहिए. कि पौधे सुतली के दबाव से कटने नहीं चाहिए. पौध की ऊंचाई बढ़ने के साथ सुतली को ढीला कर पौधे को फलन क्षेत्र को नीचा कर दिया जाना चाहिए. जिससे फसल की तुड़ाई में आसानी हो जाती है.
खीरे की उपज की तुड़ाई एवं उपज
पॉलीहाउस में हीरे की फसल की तोड़ाई उसकी किस्म पर निर्भर करती है. लेकिन आमतौर पर पौधे लगाने के 35 से 40 दिन बाद फसल तोड़ने लायक हो जाते हैं. फलों की तोड़ाई के उपरांत इन्हें सावधानीपूर्वक प्लास्टिक की किसी क्रेट में रखकर बाजार को भेज देना चाहिए. उपरोक्त बताए गए वैज्ञानिक तकनीक से पॉलीहाउस में खीरे की खेती करने से ढाई सौ से 500 कुंतल प्रति हेक्टेयर तक उपज प्राप्त हो जाती है.
Poli house mein khira karne ki vidhi vah rogon se bachne ka upay bataen
Holi house mein khira ki kheti kaise ki jaati hai aur khire mein rogon se bachne ka upay
Khira ki kheti ke bare mein jankari