गन्ने की 5 किस्मों देती है बम्पर पैदावार
देश में मानसून सीजन अपनी समाप्ति की ओर है, ठण्ड के मौसम की शुरुवात हो चुकी है. ऐसे में देश के किसान शरदकालीन गन्ने की बुवाई की तैयारी भी शुरू कर दी है. जिसके लिए उन्हें गन्ने उत्तम प्रभेदों की आवश्यकता पड़ता है. जिससे उनको अच्छा उत्पादन मिल सके.
किसान गन्ने की खेती नकदी फसल (cash crop) के रूप में कार्य करते है. जिससे गुड़ व चीनी बनाई जाती है. चीनी अच्छी और अधिक बने यह गन्ने की किस्म पर निर्भर करता है. वही गन्ने की अधिक पैदावार के लिए उन्नत कृषि क्रियाओं के साथ अच्छी किस्मों की जरुरत होती है. इसलिए किसान भाईयों को गन्ने के अच्छे उत्पादन के लिए अच्छी किस्मों का चुनाव करके बुवाई करे जिससे अच्छे क्वालिटी कौर अधिक उत्पादन में गन्ने की उपज प्राप्त कर सके. तो आइये गाँव किसान के इस लेख के जरिये आपको गन्ने की पांच शरदकालीन गन्ने की जानकारी देने जा है. तो आइये जाने विस्तार पूर्वक –
शरदकालीन गन्ने को कब से कब तक बोये
किसान भाई शरदकालीन गन्ने की बेहतर उपज के लिए सबसे जरुरी गन्ने की समय पर बुवाई होना है इस लिए किसान भाई शरदकालीन गन्ने की बुवाई का सर्वश्रेष्ठ समय 15 सितंबर से 30 नवंबर के मध्य का होता है. इस समय बुवाई करने पर गन्ने की फसल का अच्छा उत्पादन मिल सकेगा. वहीं बसंतकाल के दौरान पूर्वी क्षेत्र के लिए मध्य जनवरी से लेकर फरवरी तक इसकी बुवाई की जा सकती है. मध्य क्षेत्र के लिए फरवरी से मार्च और पश्चिमी क्षेत्र के लिए मध्य फरवरी से मध्य अप्रैल का समय अच्छा माना जाता है.
गन्ने की पांच बम्पर देनी वाली किस्में
देश के किसान गन्ने की बहुत साड़ी किस्मों की बुवाई करते है. यहाँ पांच ऐसी किस्मों की जानकारी मिलेगी जिनकी बुवाई कर किसान भाई अच्छी उपज प्राप्त कर सकते है. क्योकि इन किस्मों में कीट, रोगों का प्रकोप होने की संभावना भी कम होती है. गन्ने की टॉप 5 किस्में की पूरी जानकरी –
गन्ने की उन्नत किस्म सीओ 05011 (करण-9)
गन्ने की यह किस्म लंबी, मध्यम मोटी, बैंगनी रंग के साथ हरे रंग की होती है. जिसका आकार बेलनाकार पाया जाता है. गन्ने की यह किस्म लाल सड़न और उकठा रोग प्रतिरोधी होती है. इस किस्म को आईसीएआर-गन्ना प्रजनन संस्थान क्षेत्रीय केंद्र करनाल और भारतीय गन्ना प्रजनन अनुसंधान संस्थान की ओर से विकसित करके साल 2012 में जारी की गयी थी. इस किस्म को हरियाणा, पंजाब, राजस्थान, मध्य उत्तर प्रदेश व पश्चिमी उत्तर प्रदेश के लिए अनुसंशित की गई है. यहां के किसान इस किस्म की बुवाई करके गन्ने का अच्छा उत्पादन प्राप्त कर सकते है.
गन्ने की सीओ 05011 (करण-9) किस्म से औसत उपज लगभग 34 टन प्रति एकड़ तक प्राप्त की जा सकती है.
गन्ने की उन्नत किस्म सीओ- 0124 (करण-5)
गन्ने की इस किस्म को साल 2010 में गन्ना प्रजनन अनुसंधान संस्थान, करनाल और गन्ना प्रजनन अनुसंधान संस्थान, कोयंबटूर की ओर से संयुक्त रूप से विकसित किया गया. यह सिंचित अवस्था में मध्यम देर से पकने वाली किस्म है. यह जलभराव और भराव दोनों स्थितियों में अच्छी उपज देती है. खास बात यह है कि गन्ने की यह किस्त लाल सड़न रोग के प्रति प्रतिरोधी है.
गन्ने की सीओ- 0124 (करण-5) किस्म से प्रति एकड़ करीब 30 टन तक का उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है.
गन्ने की उन्नत किस्म सीओ- 0237 (करण-8)
गन्ने की सीओ- 0237 (करण-8) किस्म को गन्ना प्रजनन संस्थान क्षेत्रीय केंद्र करनाल द्वारा साल 2012 में विकसित किया गया है. यह एक अगेती बुवाई के लिए उपयुक्त किस्म है. इस किस्त की खास बात यह है कि गन्ने की यह किस्म जल जमाव के प्रति सहनशील है. इसके अलावा यह किस्त लाल सड़न रोग के प्रति भी प्रतिरोधी किस्त मानी जाती है. इस किस्त की खेती मुख्य रूप से हरियाणा, पंजाब, राजस्थान, पश्चिमी उत्तर प्रदेश व मध्य उत्तरप्रदेश के किसान करते हैं.
गन्ने की सीओ- 0237 (करण-8) किस्म से करीब 28.5 टन प्रति एकड़ के हिसाब से उपज प्राप्त की जा सकती हैं.
गन्ने की उन्नत किस्म सीओ 0238 (करण-4)
गन्ने की सीओ 0238 (करण-4) किस्म को आईसीएआर के गन्ना प्रजनन संस्थान अनुसंधान केंद्र, करनाल और भारतीय गन्ना प्रजनन संस्थान कोयंबटूर की ओर से साल 2008 में विकसित किया गया जिसको किसानों के लिए 2009 में जारी किया गया. गन्ने की यह किस्म पानी की कमी और जल भराव दोनों ही स्थितियों में अच्छा उत्पादन देती है. गन्ने की यह किस्म मुख्य रूप से पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, पश्चिमी उत्तर प्रदेश और मध्य उत्तर प्रदेश व उत्तराखंड के लिए अधिसूचित की गई है.
गन्ने की सीओ 0238 (करण-4) से करीब 32.5 टन प्रति एकड़ तक उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है. इस किस्म की रिकवरी दर 12 प्रतिशत से अधिक है.
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गन्ने की उन्नत किस्म सीओ-0118 (करण-2)
गन्ने की सीओ 0118 (करण-2) किस्म गन्ना प्रजनन संस्थान, क्षेत्रीय केंद्र, करनाल की ओर से साल 2009 में जारी किया गया था. यह आकार में लंबा, मध्यम मोटा और भूरे बैंगनी रंग का होता है.इस किस्म के गन्ने के रस की क्वालिटी काफी अच्छी होती है. गन्ने की इस किस्म को पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, पश्चिमी उत्तर प्रदेश, मध्य उत्तर प्रदेश क्षेत्र के लिए अनुसंशित किया गया है. इन राज्यों के किसान इसकी खेती करके अच्छा उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं.
गन्ने की सीओ-0118 (करण-2) किस्म से किसानों को प्रति एकड़ 31 टन तक उपज प्राप्त हो सकती है.