Biofloc technology of fish farming | क्या है बायोफ्लॉक तकनीक
किसान भाई खेती के साथ-साथ अन्य व्यावसायिक कार्य करते है जिससे उनकी आय में बढ़ोत्तरी हो सके. इन्ही कार्यों में एक कार्य है मछली पालन. मछली पालन में भी किसानों की अच्छी आय हो सके इसके लिए नई-नई तकनीके आ गयी है. इन्ही तकनीको में से एक है बायोफ्लॉक तकनीक. किसान भाई इस तकनीक का इस्तेमाल कर अधिक मछलियों का उत्पादन कर अच्छा मुनाफा कमा सकते है.
बायोफ्लॉक तकनीक क्या है ?
बायोफ्लॉक मछली पालन तकनीक में बायोफ्लॉक नामक एक बैक्टीरिया का उपयोग किया जाता है. इस विधि में मछली पालन के लिए बड़े-बड़े टैंकों का इस्तेमाल किया जाता है. सबसे पहले इन टैंको में मछलियों को डाला जाता है. इसके उपरांत मछलियों को खाना खिलाया जाता है. मछलियों द्वारा खाया गया खाना मल के रूप में 75 प्रतिशत शरीर के बाहर निकाल देती है. मछलियों द्वारा निकले गए इस मल को बायोफ्लॉक बैक्टीरिया प्रोटीन में बदलने का कार्य करती है. जिसे यह मछलियाँ इसे पुनः खा लेती है. जिससे मछलियों का विकास काफी तेजी से होता है.
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प्रतिदिन पानी भी नहीं बदलना पड़ता
इस तकनीक में इस्तेमाल बायोफ्लॉक बैक्टीरिया के कारण टैंक का पानी हमेशा साफ रहता है. जिससे पानी में गन्दगी नहीं होती है. इसी वजह से मछलियों को कई बीमारी भी नही लगती है. इसी कारण किसान मछली पालक को टैंक का पानी भी प्रतिदिन नही बदलना पड़ता है. क्योकि रोजना टैंक का पानी बदलाना एक मुश्किल प्रक्रिया थी. जो इस तकनीक के आ जाने के कारण यह काफी आसान हो गया है. इसके अलावा मछली पलकों को मछलियों की प्रोटीन पर अलग से रुँपये नही खर्च करने पड़ते है.
काफी सस्ती है यह तकनीक
बायोफ्लॉक तकनीक से मछली पालन करना अन्य तकनीकों के मुकाबले काफी सस्ता और आसान है. इसके अलावा अन्य तकनीकों की अपेक्षा मुनाफा भी काफी अधिक है. इसी कारण कृषि विशेषज्ञ भी मछली पलक किसान को बायोफ्लॉक तकनीक से मछली पालन की सलाह देते है.
किसानों को इतना होगा लाभ
अगर इस बात की जाए मुनाफे की तो इस तकनीक में नेशनल फिशरीज डेवलपमेंट बोर्ड के अनुसार एक टैंक में मछली पालन करने का खर्च तकरीबन 1 लाख रुपये के आस-पास लगता है. अगर किसान भाई 7 टैंकों में मछली पालन कर रहे हैं तो उस पर 7 लाख रुपये तक का खर्च आएगा. अगर साल में किसान भाई दो बार पालकर मछलियाँ बेचते है तो मछली पलक किसानों को 8 लाख रुपये तक का मुनाफा आराम से हो जायेगा.