इलायची की उन्नत खेती कैसे करें ?
देश मसालों की खेती के लिए पूरे विश्व में सुप्रसिद्ध है. देश के कई राज्यों में मसालों की खेती बहुत बड़े पैमाने पर की जाती है. जिससे किसान भाइयों को अच्छा मुनाफा मिल जाता है. क्योंकि बाजार में मसालों की मांग पूरे वर्ष रहती हैं.
देश के किसान कई प्रकार के मसालों की खेती करते हैं. इसी कड़ी में इलायची की खेती (Cardamom Farming) कर देश के किसान अच्छा लाभ कमा रहे हैं. इलायची भोजन कन्फेक्शनारी, पेय पदार्थों आदि को बनाने में उपयोग की जाती है. इसके इसका उपयोग औषधि के रूप में भी किया जाता है. इसीलिए बाजार में इसकी कीमत अच्छी रहती है.
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इलायची की खेती के क्षेत्र
देश में इलायची की खेती केरल कर्नाटक और तमिलनाडु के राज्यों के क्षेत्रों में बड़े स्तर पर की जाती है. इसकी खेती के लिए अच्छी बारिश की आवश्यकता होती है. इसीलिए इन राज्यों में खेती की जाती है. क्योंकि यहां पर 1500 से 4000 मिमी० बारिश हर वर्ष होती है. जो इसकी खेती के लिए काफी लाभकारी होती है. इसकी अच्छी उपज के लिए 10 से 35 डिग्री सेल्सियस तापमान की आवश्यकता होती है.
खेती के लिए उपयुक्त मिट्टी
इसकी खेती के लिए काली दोमट मिट्टी सबसे अच्छी होती है. साथ ही लैटेराइट मिट्टी, दोमट मिट्टी, काली मिट्टी भी इसकी खेती के लिए उपयुक्त मानी गई है. खेती की जाने वाली भूमि में जल निकास की अच्छी व्यवस्था होनी चाहिए, साथ ही इस बात का ध्यान रखें रेतीली मिट्टी में इसकी खेती न करें, नहीं तो किसानों को हानि उठानी पड़ सकती है.
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पौध रोपाई एवं चौड़ाई
इलायची की खेती के लिए सबसे पहले पौधे तैयार करनी पड़ती है. इसीलिए किसान भाई सबसे पहले इस की नर्सरी तैयार करें. 1 हेक्टेयर इलायची की बुवाई के लिए एक किलोग्राम बीज की आवश्यकता होती है. पौध 1 फीट लंबी हो जाए तो बारिश के मौसम में इसके पौधों को लगाना सबसे उचित होता है. एक बार रोपाई कर देने के बाद किसान भाई 2 साल बाद में फल ले सकते हैं. जब फल लगना प्रारंभ हो जाते हैं तो 15 से 25 दिनों के अंतराल पर फलों की तुड़ाई कर लेनी चाहिए. तुड़ाई करते हुए इस बात का ध्यान रखें कि फल पूरी तरह चुके हैं कि नहीं, पके हुए फलों की तुड़ाई करनी चाहिए.