कुल्फा की खेती की जानकारी | Kulfa Cultivation
देश के किसान खेती में हो रहे लगातार नुकसान के कारण अब पारंपरिक खेती को छोड़कर कुछ नई खेती की तरफ रूख कर रहे है. जिससे उन्हें अच्छा मुनाफा प्राप्त हो सके. इसी कड़ी में किसान भाई औषधीय पौधो की खेती कर रहे है.
कुल्फा एक औषधीय पौधा है. जिसकी खेती को लेकर किसान पहले जागरूक नही थे. इनको लगता था इसका पौधा कहीं भी खरपतवार के रूप में उग आता है. लेकिन इसके औषधीय गुणों को जानकार किसान भाई इसकी व्यवसायिक खेती (Kulfa Farming) करने लगे.
कुल्फा है औषधि से परिपूर्ण
कुल्फा का औषधीय पौधों में एक है. जिसकी पत्तियों और फलों में एंटीऑक्सीडेंट्स और कैरेटिनोइड्स भरपूर मात्रा में पाया जाता है. इसके अलावा इसके फल में राइबोफ्लेविन, पाइरिडोक्सिन, फोलेट और नियासिन, आयरन, मैग्नीशियम और कैल्शियम जैसे मिनरल्स की प्रचुर मात्र होती है. जो मानव शरीर के लिए लाभदायक होते है.
इसकी खेती में लिए उपयुक्त मिट्टी
कुल्फा की खेती (Kulfa Cultivation) लगभग हर प्रकार मिट्टी हो सकती है. इसकी उपज मानसून के मौसम में अच्छी होती है. इसलिए किसान भाई इसकी खेती जुलाई और अगस्त में करके अच्छा लाभ ले सकते है.
इसके फलों का आकार
कुलफा की पत्तियों का आकार लगभग गोल होता है. इसमें आने वाले फूलों का रंग पीला होता है. यही फूल आगे चलकर फल बन जात है. इस फल का आकर लगभग एक कैप्सूल के बराबर हो जाता है. इसके उपज के लिए गर्म मौसम सबसे उपयुक्त होती है. क्योकि ज्यादा ठन्डे मौसम में इसका पौधा मर जाता है. जिससे किसान भाइयो को हानि उठानी पद सकती है.
इतने समय में तैयार हो जाती है उपज
इसके बीजों की वुवाई के बाद यह लगभग 4 से 10 दिन में अंकुरित हो जाते है. इसकी उपज बुवाई के एक महीने बाद या 4 से 6 सप्ताह बाद कटाई के लिए तैयार हो जाती है. बाजार में इसके फलों की बिक्री कर किसान भाई अच्छा लाभ कमा सकते है. इसके औषधीय गुणों के कारण कई कम्पनियाँ इसकी पत्तियों और फलों को अच्छे मूल्य पर खरीदती है. जिसके कारण किसान को बढ़िया मुनाफा मिलता है.