गाय की तीन देसी दुधारू नस्लें
देश में ज्यादातर ग्रामीण क्षेत्रों के किसानों की खेती किसानी के बाद आमदनी का सबसे बड़ा स्रोत पशुपालन को माना जाता है.जिसमें किसान भाई गाय और भैंसों का पालन करके एक अच्छी आय कमा रहे है. पिछले कुछ सालों से किसान भाई विदेशी नस्लों की गायों का पालन करने का चलन बढ़ रहा है. लेकिन भारतीय जलवायु अलग होने के चलते पशुपालकों का यह प्रयोग अधिक सफल नहीं हुआ है. इसीलिए किसान भाई एक बार फिर गायों की देसी नस्लों को पालकर अधिक मुनाफा कमा रहे हैं.
भारतीय देसी नस्ल की गायों को पहचानना काफी आसान होता है. क्योंकि इन गायों में कूबड़ पाया जाता है. इन गायों में ज्यादातर गिरी, साहीवाल और लाल सिंधी गायों का पालन किसान भाई करते हैं. लेकिन कुछ ऐसी भी देसी नस्ल की गाय पाई जाती हैं जिनमें दूध देने की क्षमता अधिक होती है. तो आइए आपको बताते हैं, कुछ इस तरह की देसी गायों के बारे में जिनकी दूध देने की क्षमता अधिक होती है.
यह भी पढ़े : इस राज्य की सरकार लगा सकती है “गौमाता” टैक्स, आइए जाने क्या है पूरी जानकारी ?
देसी गाय राठी
राठी गाय बोलता राजस्थान राज्य की गाय है. इसकी अधिक दूध देने की क्षमता को देखते हुए यह किसानों की सबसे पसंदीदा गाय बन गई है. इस गाय का नाम राठस जनजाति के नाम पर पड़ गया है. यह गाय प्रतिदिन औसतन 6 से 10 लीटर तक दूध देने की क्षमता रखती है. अगर इस गाय की अच्छे से देखभाल की जाए तो इसकी दूध देने की क्षमता 15 से 18 लीटर तक भी हो सकती है.
देसी कांकरेज गाय
इस नस्ल की गाय राजस्थान के दक्षिणी पश्चिमी भागों में पाई जाती है. इस गाय का मुंह छोटा और चौड़ा होता है. इसकी दूध देने की औसतन क्षमता 6 से 10 लीटर के बीच होती है. अगर किसान भाई इस नस्ल को पर्याप्त चारे की व्यवस्था और अच्छे वातावरण में रखे, तो यह नस्ल 15 लीटर प्रतिदिन दूध देने की क्षमता रखती है.
यह भी पढ़े : चियासीड की खेती शुरू कर अब बुंदेलखंड के किसान बनेंगे मालामाल, क्योंकि कम लागत में होती है मोटी कमाई
देसी खिल्लारी गाय
देसी नस्ल की यह गाय मूल रूप से महाराष्ट्र और कर्नाटक में पाई जाती है. इस नस्ल की की गाय का रंग खाकी होता है. इसकी सींग लंबी, पूंछ छोटी होती है. किस नस्ल की देसी गाय का औसतन भार 360 किलो तक पाया जाता है. इसके दूध में लगभग 4.2% वसा पाया जाता है यह गाय 1 दिन में औसतन 7 से 15 लीटर दूध देने की क्षमता रखती है.