देशी गाय पालन कर बेहतर आय
विश्व की प्राचीनतम सभ्यताओं में से एक भारत में लोग हजारों सालों से खेती और पशुपालन पारंपरिक रूप से करते आये है. यहाँ संस्कृति, कृषि, धार्मिक, सामाजिक, आर्थिक पहलुओं और पौष्टिक गुणों को देखेत हुए सदियों से गाय का पोषण किया जाता रहा है. बल्कि देखा जाय तो सच यह है कि इसके उलट गाय हमारा पोषण करती आई है.
इसलिए हमारी संस्कृति में गाय माँ का दर्जा प्रदान किया गया है. हमारे रोजमर्रा की जरूरतों के अलावा खेती के साथ-साथ अलग से आमदनी के लिए गौ-पालन किया जाता रहा है. देश में इस समय लगभग आठ करोड़ किसानों द्वारा गाय का पालन किया जा रहा है. देश के सीमांत और छोटे किसानों की कुल आय का करीब 25 फीसदी हिस्सा इन्ही गौ-पालक किसानों से मिलता है.
यह भी पढ़े : Chameli fool ki kheti : चमेली के फूल की खेती कर किसान बनेगें मालामाल आइये जाने खेती का पूरा गणित
गायों की संख्या में हुई बढ़ोत्तरी
साल 2019 की पशु गणना के अनुसार देश में गायों की संख्या चौदह करोड़ इक्यावन लाख बीस हजार है. जो कि पिछली पशु गणना की तुलना में लगभग 18 प्रतिशत अधिक है.
भारत साल 1947 से दूध उत्पादन में विश्व का सबसे बड़ा उत्पादक देश है. देश में दूध और दूध के उत्पादों की मांग पूरी तरह से घरेलू उत्पादन से ही पूरी की जाती है. अगर देखा जाय तो पिछले 6 सालों के दौरान दुग्ध उत्पादन हर साल 6.3 प्रतिशत वार्षिक दर से बढ़ा है. जबकि दुग्ध उत्पादन में विश्व 1.5 प्रतिशत की वार्षिक दर से बढ़ोत्तरी हुई है.
देश में साल 2013-14 में दूध प्रति व्यक्ति उपलब्धता 307 ग्राम थी. वही साल 2019-20 में प्रति व्यक्ति दूध की उपलब्धता बढ़कर 406 ग्राम हो गयी है.
गौ-पालन का बढ़ता दायरा
बदलते वक्त और आधुनिक तकनीक के साथ गौ-पालन का दायरा की काफी हद तक बढ़ गया है. देश के लोगो में जैसे-जैसे जागरूकता बढाती जा रही है. वैसे-वैसे लोगो में देशी गाय के दूध और उत्पादों के फायदे के बारे में जानने लगे है. इनकी लोगों के बीच बढती मांग को देखते हुए. अब पशुपालकों के बीच देशी गाय का पालन की लोकप्रियता काफी बढती जा रही है.
बढती जनसंख्या और शहरीकरण के कारण गाय के दूध और गौ-मूत्र जैसे अन्य उत्पाद की मांग देश में काफी बढती जा रही है. देश के वैज्ञानिक भी गाय के A 2 दूध को विदेशी नस्ल की गाय के A 1 दूध से काफी पोषक बताते है. जिसके कारण देशी गाय के दूध की मांग भी बढ़ रही है. और किसान पशुपालकों को इसके दूध की कीमत भी अच्छी मिल रही है. इसलिए देशी गौ-पालक किसानों को इसके पालन में मुनाफा नजर आने लगा है.
गाय की 50 से अधिक नस्लें
विश्व में दूध की क्रांति के कारण अधिक दूध उत्पादन जोर दिया जाने लगा. इसलिए देश में विदेशी और संकर नस्लों की गायों की तादात में काफी बढ़ोत्तरी हुई. ऐसे में किसानों को देशी गाय पालन के लिए सही नस्ल का चयन करना बहुत जरुरी हो गया है.
विश्व में भारत ही एक ऐसा देश है. जहाँ गाय की सबसे ज्यादा ज्यादा नस्लें पायी जाती है. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक हमारे देश में इस समय गाय की 50 से ज्यादा नस्लें पंजीकृत है.
किसान पशुपालक अगर अपने स्थान की नस्ल की गाय का पालन करना चाहिए. इससे उन्हें काफी फायदा मिल सकता है. आइये आपको को क्षेत्र के अनुसार कुछ देशी नस्ल की गायों के बारे में जानकारी देते है. जो अधिक दूध का उत्पादन करने में समर्थ है-
- गुजरात क्षेत्र के पशुपालकों के लिए गिर गाय
- पंजाब और राजस्थान क्षेत्र के पशुपालकों के लिए साहीवाल गाय
- राजस्थान क्षेत्र के पशुपालकों के लिए राठी गाय, थारपारकर गाय, नागोरी गाय
- कर्णाटक क्षेत्र के पशुपालकों के लिए हल्लिकर गाय
- गुजरात और राजस्थान क्षेत्र के पशुपालकों के लिए कांकरेज गाय
- पंजाब, हरियाणा, कर्णाटक और तमिलनाडु क्षेत्र के पशुपालकों के लिए लाल सिन्धी गाय
- हरियाणा, उत्तर प्रदेश और राजस्थान क्षेत्र के पशुपालकों के लिए हरियाणवी गाय
- महाराष्ट्र और कर्नाटक क्षेत्र के पशुपालकों के लिए खिल्लारी गाय
देशी गाय के फायदे
विदेशी नस्लों की तुलना में देशी गाय के अनगिनत फायदे है. अगर बेहतर प्रंबधन, नस्ल सुधार और आहार पर ध्यान दिया जाय तो देशी गाय पशुपालकों का जीवन सुधर सकती है. आइये जाने देशी गाय पशुपालकों के लिए कितनी फायदेमंद साबित होती है-
- देशी गाय भारतीय जलवायु से ताल-मेल बिठाने में सक्षम होती है.
- देशी गाय में विदेशी नल की गाय की अपेक्षा का बीमारी की कम आशंका रहती है.
- देशी गाय का दूध सेहत के लिए सबसे ज्यादा फायदेमंद होता है.
- देशी गाय से प्राप्त होने वाले गोबर और गौ-मूत्र से जैविक खेती कर लाभ कमाया जा सकता है.
- देशी गायन पालन से खेती में आने वाली लागत में कमी आती है. और पशुपालकों को अधिक मुनाफा मिल पाता है.
- देशी नस्ल की गाय का दूध काफी पौष्टिक होता है. इसी लिए इसे सम्पूर्ण आहार भी कहा जाता है.
- दूध की गुणवत्ता की बात की जाय तो हाइब्रिड नस्ल की गाय A1 गुणवत्ता का दूध देती है. जबकि देशी नस्ल की गाय का दूध A2 गुणवत्ता का होता है. जो कि स्वास्थ्य की द्रष्टि से उपयोगी साबित होता है.
- इसमें कुछ ख़ास तरह के प्रोटीन और एमिनोएसिड पाए जाते है. जो हमारे शरीर को कई तरह के फायदे पहुंचाते है.
देशी गायों से गौ-पालकों को केवल दूध से ही आर्थिक लाभ ले सकते है. बल्कि इससे प्राप्त गोबर, पंचगव्य, गौ-मूत्र आदि से भी अच्छी आमदनी कर सकते है.
इसलिए किसानों और देश के अर्थव्यवस्था में इसके योगदान को देखते हुए सरकार द्वारा इन व्यवसायों के उत्पादों के व्यावसायीकारण और विपणन को बढ़ावा दिया जा रहा है.
देशी गौ-पालन के लिए सरकार की योजनायें
दुधारू पशुओं के स्वास्थ्य संरक्षण और संवर्धन की दिशा में सरकार द्वारा लगातार प्रयास किया जा रहा है. इस लिए इस दिशा में सरकार द्वारा कई महत्वपूर्ण योजनायें और कार्यक्रम चलाये जा रहे है. जिनमे से निम्न प्रमुख है –
- राष्ट्रीय पशुधन मिशन
- पशुपालन अवसंरचना विकास निधि
- पशुधन किसानों के लिए केसीसी
- राष्ट्रीय डेयरी विकास कार्यक्रम
- राष्ट्रीय पशुधन स्वास्थ्य और रोग नियंत्रण