पशुपालन मंत्री के बयान को लेकर विवाद
कर्नाटक राज्य की नवगठित कांग्रेस सरकार के पशुपालन मंत्री द्वारा गाय को लेकर जो बयान दिया गया है. वह काफी चर्चा का विषय बना हुआ है. असल में राज्य के पशुपालन मंत्री टी० वेंकटेश द्वारा शनिवार को यह कहकर विवाद खड़ा कर दिया कि अगर भैंस और बैल काटे जा सकते हैं तो गाय (Cow) का वध क्यों नहीं किया जा सकता. इसके अलावा मत्री द्वारा पत्रकारों से बात करते हुए यह भी संकेत दिया गया कि राज्य की कांग्रेस सरका पूर्ववर्ती बीजेपी सरकार द्वारा लाए गए ‘गोहत्या रोधी’ कानून की समीक्षा कर सकती है.
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क्या बोले कर्नाटक के पशुपालन मंत्री
बीते शनिवार को मैसूर में कर्नाटक राज्य के पशुपालन मंत्री टी वेंकटेश ने पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि जब भैंसों का वध किया जा सकता है तो गायों का क्यों नहीं?, साथ ही मंत्री ने कहा सरकार इस सिलसिले में चर्चा करेगी और फैसला लेगी. इसके आलावा मंत्री ने कहा हमने अभी तक फैसला नहीं किया है. पूर्ववर्ती भाजपा सरकार एक विधेयक लाई थी, जिसमें उसने भैंस और भैंसा का वध करने की अनुमति दी थी, लेकिन कहा था कि गोहत्या नहीं होनी चाहिए.’
उन्होंने कहा कि ‘जब भैंस और भैंसा का वध किया जा सकता है तो गायों का क्यों नहीं? यह सवाल स्वाभाविक रूप से उठता है. हम चर्चा करेंगे और फैसला लेंगे. इस सिलसिले में अब तक कोई चर्चा नहीं हुई है.
सुनाया अपने घर का किस्सा
पशु पालन मंत्री ने इस मामले में एक उदाहरण देते हुए कहा, वो अपने आवास पर तीन से चार गायों का पालन-पोषण करते हैं. उन्होंने बताया, पिछले दिनों गायों में से जब एक मर गई तो हमें उसका अंतिम संस्कार करने में काफी मशक्कत करनी पड़ी. शव को उठाने के लिए 25 लोग आए लेकिन यह संभव नहीं था. बाद में एक जेसीबी लाई गई और शव को उठाया गया.
गौशालाओं के लिए धन की कमी
राज्य के कैबिनेट मंत्री द्वारा यह भी बताया गया कि राज्य में गौशालाओं के प्रबंधन के लिए फंड की भारी कमी है. इस बीच, हिंदू कार्यकर्ताओं ने मंत्री द्वारा की गई टिप्पणी की निंदा की है और राज्य सरकार द्वारा गोहत्या पर कानून वापस लेने पर परिणाम भुगतने की चेतावनी दी है. पिछली बीजेपी सरकार ने गोहत्या पर प्रतिबंध लगाने और अपराधियों के लिए कड़ी सजा का प्रावधान करने वाला विधेयक पारित किया था.
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साल 2021 में लागू किया गया था मवेशी वध रोकथाम व संरक्षण अधिनियम
कर्नाटक राज्य में मवेशी वध रोकथाम व संरक्षण अधिनियम को 2021 में तत्कालीन भारतीय जनता पार्टी सरकार ने लागू किया था. ये अधिनियम साफ तौर पर मवेशियों के वध पर प्रतिबंध लगाता है. वहीं, बीमार और 13 साल के ज्यादा उम्र की भैंसो का वध करने की अनुमति दी गई है. उस दौरान राज्य में विपक्ष में रही कांग्रेस ने बीजेपी सरकार के इस कदम का कड़ा विरोध किया था