Cauliflower Farming – फूलगोभी की खेती की पूरी जानकारी हिंदी में

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फूलगोभी की खेती (Cauliflower farming) की पूरी जानकारी

फूलगोभी की खेती (Cauliflower farming) की पूरी जानकारी

नमस्कार किसान भाईयों, फूलगोभी की खेती (Cauliflower farming) देश में पूरे वर्षा की जाती है. किसान भाइयों के लिए इसकी खेती काफी मुनाफेदार होती है. इसलिए गाँव किसान (Gaon Kisan) आज अपने लेख में फूलगोभी की खेती (Cauliflower farming) की पूरी जानकारी हिंदी में बतायगा. जिससे आप सभी इसकी अच्छी उपज ले सके. तो आइये जानते है फूलगोभी की खेती (Cauliflower farming) की पूरी जानकारी-

फूलगोभी के फायदे 

फूलगोभी भारत की प्रमुख सब्जी है. इसका मुख्य रूप सब्जी, सूप और आचार बनाने में किया जाता है. इसमें विटामिन बी पर्याप्त मात्रा के साथ-साथ प्रोटीन तथा खनिज भी अन्य सब्जियों के तुलना में अधिक पायी जाती है.

उत्पत्ति एवं क्षेत्र (Cauliflower farming)

फूलगोभी का वैज्ञानिक नाम ब्रासिका ओलीरेसिया वार वोटराइटिस है, जो कि ब्रासिकैसि परिवार का सदस्य है. इसमें क्रोमोसोम की संक्या 2N = 18 होती है. इसका उत्पत्ति स्थल भूमध्य सागरीय क्षेत्र और साइप्रस में माना जाता है और पुर्तगालियों द्वारा भारत में लाया गया. भारत में इसकी खेती उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, असम, हरियाणा, बंगाल, पंजाब और महाराष्ट्र आदि राज्यों में की जाती है.

जलवायु एवं भूमि (Cauliflower farming) 

फूलगोभी की अच्छी उपज के लिए ठंड व आर्द्र जलवायु चाहिए . यदि दिन अपेक्षाकृत छोटे हो तो फूल की बढ़ोत्तरी अधिक होती है. फूलगोभी की बढ़ोत्तरी होने के समय यदि गर्मी ज्यादा होटी है तो कर्ड अधिक पत्तेदार और पीले रंग का हो जाता है.फूल गोभी की अगेती किस्मों  के लिए अधिक गर्म और लम्बे दिनों की जरुरत होती है. पौधों के अधिक समुचित विकास और कर्ड के उत्तम गुणों के लिए तापमान 20 से 27 डिग्री सेल्सियस  सर्वोत्तम होता है. फूल गोभी को अधिक गर्मी वाले तापमान में उगाने से सब्जी का स्वाद अधिक तीखा हो सकता है. फूलगोभी की खेती (Cauliflower farming) ज्यादातर जून से शुरू होकर अप्रैल तक की जाती है.

जिस भी भूमि का पी० एच० मान 5.5 से 7 के बीच का हो वह भूमि फूल गोभी के लिए एकदम उपयुक्त होती है. फूल गोभी की खेती विभिन्न प्रकार की मिट्टियों में की जा सकती है. लेकिन जिसमें पर्याप्त मात्रा में जैविक खाद उपलब्ध हो इसकी खेती के लिए अच्छी होती है.

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उन्नतशील प्रजातियाँ (Cauliflower farming)

फूलगोभी की मौसम के आधार पर तीन प्रकार की प्रजातियाँ होती है – 1.अगेती किस्में   2. मध्यम किस्में  3. पछेती किस्में

अगेती किस्में 

सबौर अग्रिम, पूसा दीपाली, अर्ली कुवारी, अर्ली पटना, पन्त गोभी-2, पन्त गोभी-3, पूसा कार्तिक,पूसा अर्ली, पटना अगेती आदि प्रमुख किस्में फूलगोभी की अगेती किस्म में आती है.

मध्यम किस्में 

हिसार 114, एस-1, नरेन्द्र गोभी-1, पन्त शुभ्रा, इम्प्रूव जापानी, पूसा हाइब्रिड-1,पंजाब जाइंट, अर्ली स्नोबॉल,  पूसा अघहनी आदि प्रमुख मध्यम किस्में में आती है.

पछेती किस्में 

फूलगोभी की पछेती किस्मों में स्नोबॉल 16, पूसा स्नोबॉल-1, पूसा स्नोबॉल-2, पूसा के 1, दनिया, पूसा सेंथेटिक, जाइंट स्नोबॉल आदि प्रमुख प्रमुख किस्में है.

खेत की तैयारी (Cauliflower farming)

खेत की तैयारी के लिए दो बार मिट्टी पलटने वाले हल से और दो बार देशी हल या कल्टीवेटर से खेत की जुताई कर लेनी चाहिए.प्रत्येक जुताई के बाद पाटा जरुर चलाये. जिससे खेत समतल और मिट्टी भुरभुरी हो जाय. इसके अलावा खेत से पानी के निकलने का उचित प्रबंध कर लेना चाहिए.

बीज की बुवाई एवं रोपाई 

एक हेक्टेयर फूलगोभी की बुवाई के लिए 450 ग्राम से 500 ग्राम बीज की जरुरत होती है. स्वस्थ पौध तैयार करने के लिए पौधशाला में भूमि तैयार कर बीज की बुवाई करनी चाहिए.बुवाई से पहले 2 से 3 ग्राम कैप्टान या बैविस्टीन प्रति किलोग्राम बीज की दर से शोधित कर लेना चाहिए. 25 से 30 दिन बाद पौध रोपाई हेतु तैयार हो जाते है.

फूलगोभी की खेती में समय अनुसार रोपाई एवं बुवाई करनी चाहिए. जैसे फूलगोभी अगेती किस्मों को मध्य जून से जुलाई के पहले सप्ताह तक बीज बोकर पौधे तैयार करके 45 सेंटीमीटर पंक्ति से पंक्ति की दूरी और 45 सेंटी मीटर पौध से पौध की दूरी पर 25 दिन बाद खेत में रोपाई कर देनी चाहिए. मध्यम फसल में मध्य जुलाई से अगस्त के मध्य में बीज की बुवाई कर देनी चाहिए . 30 दिन बाद पौध तैयार होने के बाद पौधे को  45 से 50 सेंटी मीटर पंक्ति से पंक्ति और 50 सेंटीमीटर पौधे से पौधे दूरी पर रोपाई करनी चाहिए. पछेती फसल में मध्य सितम्बर से मध्य नवम्बर तक पौध डाल देना चाहिए.30 दिन बाद पौध तैयार होने पर रोपाई 60 सेंटी मीटर पंक्ति से पंक्ति और 50 से 60 सेंटीमीटर पौधे से पौधे की दूरी पर रोपाई करे.

खाद एवं उर्वरक (Cauliflower farming)

फूल गोभी की अच्छा उत्पादन लेने के लिए भूमि में पर्याप्त मात्रा में खाद एवं उर्वरक डालना बहुत ही जरुरी होता है. भूमि में 200 से 300 कुंटल गोबर की अच्छे तरीके से सड़ी हुई खाद और 120 किलोग्राम नत्रजन, 60 किलोग्राम, फास्फोरस तथा 60 किलोग्राम पोटाश तत्व के रूप में प्रयोग करना चाहिए.

फूलगोभी में फूल बटन की तरह छोटे एवं रोगी होने की सम्भावना बढ़ जाती है, अगर आपने उचित नाइट्रोजन की उपयुक्त मात्रा न दी. जिसके कारण अनेक छोटे-छोटे फूलों में बिखर जाता है. फूलगोभी में बोरान की कमी से ब्राउनिंग विकार होता है. इसका सबसे बड़ा लक्षण यह है कि गोभी के  मध्य भाग पर जल युक्त धब्बे बन जाते है. मोलिब्लेडनम की कमी से फूलगोभी में व्हिप्टेल नामक विकार होता है.बोरान की कमी अथवा नाइट्रोजन की अधिकता के कारण गोभी वर्गीय फसलें ब्राउनिंग एवं खली तना नामक विकार होता है. निर्धारित समय पर बुवाई न करने से फुज्जिनेस्स नामक विकार होता है.

सिंचाई एवं खरपतवार नियंत्रण 

फूलगोभी की रोपाई के तुरंत बाद सिंचाई करना चाहिए. अगेती फसल में एक सप्ताह के अंतर पर तथा देर वाली फसल में 10 से 15 दिन के अंतर पर सिंचाई करना चाहिए. फूल के विकास के समय भूमि में उचित नमी होनी चाहिए. फूलगोभी की फसल के साथ उगे खरपतवारों की रोकथाम के लिए आवश्यकतानुसार निराई-गुड़ाई करते रहना चाहिए. चूँकि फूलगोभी उथली जड़ वाली फसल है इसलिए उसकी निराई-गुड़ाई ज्यादा गहरी नहीं करनी चाहिए और खरपतवार को उखाड़ कर नष्ट कर देना चाहिए.

रोग-ब्याधि एवं रोकथाम 

पौध सुरक्षा 

पौध सुरक्षा दो प्रकार से की जाती है – 1. रोग नियंत्रण 2. कीट नियंत्रण

  • डैपिंग ऑफ अगेती फूलगोभी की पौधशाला की सबसे बड़ी आम ब्याधि है. इसके उपचार के लिए पौधशाला का सोधन फॉर्मल डिहाइड से करे. बुवाई से पहले 2 से 3 ग्राम कैप्टान या वैविस्टीन प्रति किलोग्राम बीज की दर से शोधित कर लेना चाहिए.
  • काला गलन (ब्लैक रॉट) भी एक जीवाणु जनित बीमारी है. जिसमें पहले पत्तियां पीली पड़ जाती है और फिर शिराएँ काली होने लगती है. इसके रोकथाम के लिए स्ट्रेटोक्यक्लीन 0.05 का छिडकाव करना चाहिए.
  • डाईमंड बैकमोथ फूल गोभी में लगने वाला मुख्य कीट है. इसके रोकथाम के लिए सुरक्षित कीटनाशक जैसे की इन्डोक्साकार्ब 14.5 एस० सी० या स्पाईडोसेड 45 एस० सी० का छिड़काव करना चाहिए.
  • लाही कीट यानि एफिड जो कि पत्तों के रस चूस कर फसल को नष्ट कर देते है.इसनकी रोकथाम के लिए इमिडाक्लोरोपिड 17-8 एस० एल० को पानी में घोल कर छिड़काव करना चाहिए.

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कटाई एवं उपज 

फूल गोभी की कटाई तब करना उचित होता है. जब उसके फूल पूर्ण रूप से विकसित हो जाय. जाती के अनुसार रोपाई के बाद अगेती 60 से 70 दिन, मध्यम 90 से 100 दिन, पछेती 110 से 180 दिन में कटाई के लिए तैयार हो जाती है. फिर भी फूल गोभी 300 से 400 कुंटल प्रति हेक्टेयर उपज मिल जाते है.

निष्कर्ष 

किसान भाईयों उम्मीद है, गाँव किसान (Gaon Kisan) का फूलगोभी की खेती (Cauliflower farming) सम्बंधित लेख से आप को सभी जानकारियां मिल पायी होगी. गाँव किसान (Gaon Kisan) द्वारा गोभी के फायदे से लेकर उपज तक सभी जानकारियां दी गयी है. अगर फिर भी फूलगोभी की खेती (Cauliflower farming) से सम्बन्धित आप सभी का कोई प्रश्न हो तो कमेन्ट बॉक्स में कमेन्ट कर पूछ सकते है. इसके अलावा यह लेख आप सभी को कैसा लगा कमेन्ट कर जरुर बताये. महान कृपा होगी.

आप सभी लोगो को बहुत-बहुत धन्यवाद, जय हिन्द.

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