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Banana Stem Borer | केले का तना वेधक कीट की रोकथाम
केला खाने में स्वादिष्ट सुपाच्य और स्वास्थ्यवर्धक होता है. इसीलिए इसकी मांग देश के सभी राज्यों में होती है. जिसके कारण इसका मूल्य भी काफी अच्छा मिलता है. इसी कारण देश के ज्यादातर राज्यों में केले की खेती किसानों द्वारा की जाती है.
लेकिन कभी-कभी केले में कीट व रोग लग जाने से किसानों को नुकसान भी उठाना पड़ता है. इसीलिए आज के इस लेख में हम केले के ऐसे कीट के बारे में जानकारी देने जा रहे हैं. जिससे किसान भाई की केले की फसलों को काफी नुकसान होता है. यह कीट है केले का तना वेधक कीट (Banana Stem Borer). तो आइए जानते हैं कि तना वेधक कीट के बारे में पूरी जानकारी-
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केले का तना वेधक कीट
केले का तना वेधक कीट का वैज्ञानिक नाम ओडीइपोरस लौंगीकोलिस (Oediporus longicolis) है. यह कुर्कुलिओनिडी (Curculionidae) कुल का कीट है. इस कीट से विश्व के भारत, वर्मा, श्रीलंका, पाकिस्तान, इंडोनेशिया और बांग्लादेश आदि प्रमुख देश प्रभावित हैं. भारत में इस कीट से आसाम, बिहार, पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश व दिल्ली राज्य की केले की फसलें प्रभावित होती हैं.
तना वेधक कीट की पहचान
केले का यह कीट गहरे लाल रंग से लेकर भूरे रंग का होता है. जिसकी लंबाई 23 से 28 मिमी० तक होती है यह तुंड रहित होता है. इसका प्रोथोरेक्स लंबा और चमकीला होता है. पक्षवर्म पर लंबाकार उठी हुई धारियां होती है. सर नुकिला होता है. पंख उदर को ढक नहीं पाता है. इसके भ्रन्गक हल्के पीले तथा मांसल होते हैं.
कीट का जीवन चक्र
केले का तना वेधक कीट की मादा हल्का पीलापन लिए हुए सफेद रंग के अंडे पर्णच्छद में नीचे मिथ्या तनों में देती है. ये अंडे 2 X 1 मि०मी० आकार के होते है. 3 से 4 दिन में अंडे फूट जाते है. और इनसे भ्रन्गक निकल आते है. ये भ्रन्गक गर्मियों में 26 दिन और सर्दियों में लगभग 70 दिन पूर्ण विकसित हो जाते है. और फिर ये जमीन के नीचे तने में ही ककून बनाकर प्यूपावस्था में परिवर्तित हो जाते है.
ये प्यूपा गर्मियों में 20 से 24 दिन और सर्दियों में 37 से 44 दिन में फूट जाते है. और इनसे वयस्क भृंग निकल आते है. जो पुनः अपना जीवन चक्र शुरू करते है. एक वर्ष में इसकी 4 से 5 पीढियां पायी जाती है. वयस्क कीट काफी समय तक जीवित रहता है.
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केले की फसल को क्षति
केले के इस कीट के भ्रन्गक मिथ्या तनो में लम्बी सुरंगे बनाकर क्षति करते है. एक तने में बहुत से भ्रन्गक जाते है. क्षतिग्रस्त पौधे मुरझाये हुए दिखाई देते है. इनकी बढ़वार कम हो जाती है. केले के गुच्छे छोटे-छोटे हो जाते है. आकार में केले छोटे हो जाते है. इस प्रकार उपज में भारी कमी आ जाती है. तेज हवा चलने पर क्षतिग्रस्त तने बीज से टूट जाते है.

अन्य पौधों को नुकसान
यह कीट अन्य पौधों को नुकसान नहीं पहुंचाता है. केवल यह केले के पौधों को ही हानि पहुंचाता है. जिससे केले की फसल को नुकसान होता है. और किसानों को हानि उठानी पड़ती है.
कीट की रोकथाम
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