देश के किसान हींग की खेती कैसे करें | Asafoetida Cultivation in India
हम सभी के घरों की रसोई में हींग प्रयोग होने वाला एक महत्वपूर्ण मसाला है. जिसकी मांग देश में काफी अधिक रहती है. यहां तक कि इसकी मांग को पूरा करने के लिए इसे विदेशों से भी आयात करना पड़ता है. एक रिपोर्ट के अनुसार दुनिया भर में जितनी भी हींग का उत्पादन किया जाता है. अकेले भारत उसका 40 फ़ीसदी इस्तेमाल करता है. इसीलिए बाजार में हींग की कीमत काफी अच्छी रहती है.
भारत में हींग का आयात ईरान, तुर्केमिकस्तान और अफगानिस्तान के अलावा कजाकिस्तान से भी की जाती है.लेकिन अब हींग की आपूर्ति के लिए भारत को अब किसी दूसरे देश पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा. क्योंकि भारत के किसानों ने हींग की खेती (HING KI KHETI) की शुरुआत कर दी है. जिससे उन्हें अच्छा दाम भी मिलता है. और वह अपनी उपज की हींग को बाहर भी निर्यात कर सकते हैं. इसीलिए आज के इस लेख में हम आपको बताएंगे हींग की खेती के बारे में पूरी जानकारी जिससे किसान भाई हींग की खेती कर अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं. तो आइए जाने हींग की खेती (Asafoetida Cultivation) के बारे में पूरी जानकारी-
हींग की खेती के लिए उपयुक्त जलवायु
देश की जलवायु हींग की खेती के लिए अधिक अनुकूल नहीं है. फिर भी इसकी खेती के लिए लगातार कृषि वैज्ञानिक शोध कार्य कर रहे हैं. क्योंकि हींग की खेती के लिए ना तो अधिक ठंड की आवश्यकता पड़ती है. और ना ही अधिक गर्मी की इसीलिए उसकी खेती के पहाड़ी क्षेत्र काफी उपयुक्त पाए गए हैं. किस का पौधा 30 से 35 डिग्री सेल्सियस का तापमान आसानी से सह सकता है. वही इसकी अच्छी फसल के लिए ठंडी और शुष्क जलवायु की आवश्यकता होती है.
हींग की खेती के लिए मिट्टी
खेती के लिए सबसे उपयुक्त बनी मिट्टी होती है. इसके अलावा हल्की रेतीली मिट्टी के ढेले और चिकनी मिट्टी में भी अच्छी उपज देती है. भूमि से जल निकास की उचित व्यवस्था होनी चाहिए.
हींग की उचित किस्में
विश्व भर में हींग की खेती के लिए लगभग 130 प्रकार की किस्मों का उपयोग किया जाता है. वहीं भारत में इसकी खेती के लिए तीन से चार प्रकार की किस्मों को लगाया जाता है. जो निम्न वत है-
- दूधिया सफेद हींग – हींग की इस किस्म को काबुली सफेदा भी बोला जाता है. यह सफेद व पीला घुलनशील पाई जाती है. इसके 3 रूप होते हैं मास, टीमर्स और पेस्ट. इसका शुद्ध रूप में गोल, पतला राल होता है. जो 3mm आकार वाला भूरा और फीका पीला होता है.
- लाल हींग – लाल हींग में सल्फर मौजूद होता है. जिसके कारण इस हींग में काफी तीखी गंध आती है. यह काले व गहरे रंग वाले तेल में घुलनशील पाई जाती है. जिसमें गोंद व स्टार्च मिलाकर ईट के रूप में बेजते हैं.
हींग की खेती के लिए खेत की तैयारी
हींग की पौधे की बुवाई करने के लिए खेत की अच्छी प्रकार से तैयारी की जानी चाहिए. इसके लिए सबसे पहले खेत की अच्छी प्रकार से जुताई करनी चाहिए. इसके अलावा हींग के पौधों का अच्छी प्रकार से विकास हो सके भूमि में आवश्यकतानुसार खाद एवं उर्वरक देना चाहिए. खेत में अच्छी पोषक पदार्थों से युक्त खाद का उपयोग करना चाहिए. जिससे हींग के पौधे अच्छी प्रकार से विकसित हो सके और अच्छी उपज दें.
हींग की खेती हेतु सरकारी अनुमति एवं सहायता
जो भी किसान भाई हींग की खेती करना चाहते हैं. तो उन्हें बीज खरीदने के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ती है. इसीलिए सरकार द्वारा सहायता देकर इन किसानों को हींग की खेती करने में काफी आसानी हो जाती है. सरकार द्वारा हींग की खेती के लिए कभी भी हींग के बीजों को पर शोधन कराया जा रहा है. इसीलिए जो भी किसान भाई हींग की खेती करना चाहते हैं. वह सरकार के अनुसार विचार विमर्श कर बीज प्राप्त कर सकते हैं. इसके बाद वह हींग की खेती आसानी से कर सकते हैं. हींग की खेती के लिए किसान भाई नेशनल ब्यूरो ऑफ प्लांट एंड जेनेटिक विभाग से भी संपर्क कर सकते हैं.
हींग में लगने वाले रोग एवं कीट
फिलहाल हींग की खेती में अभी भी किसी तरह की रोग एवं कीट की समस्या की जानकारी नहीं हुई है. फिलहाल कृषि वैज्ञानिक अभी इस पर शोध कार्य कर रहे हैं.
हींग से होने वाली कमाई
हींग को भारतीय मसालों में सबसे महंगे मसालों में से एक माना जाता है. क्योंकि इसकी मांग भारत के अलावा विदेशों में भी रहती है .अगर इसके बाजार भाव की बात करें, तो इसका मूल्य लगभग 30,000 से ₹65,000 तक प्रति किलो तक रहता है. इस तरह किसान भाई हींग की खेती कर अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं.
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हींग की खेती में किसान भाई रखें इन बातों का ध्यान
जो भी किसान भाई हींग की खेती करना चाहते हैं. उन लोगों को यह सबसे पहले जान लेना चाहिए. कि हींग एक विदेशी मूल का पौधा है. इसकी उत्पत्ति ईरान में हुई है. जो कि पहाड़ी क्षेत्रों में वृद्धि करता है. लेकिन वर्ष 2020 में भारत हींग का उत्पादन बड़े स्तर पर किया जाने लगा है. इसलिए जो भी किसान भाई हींग की खेती करना चाहते हैं. उन्हें यह सलाह दी जा रही है, कि उचित ज्ञान और प्रशिक्षण प्राप्त कर ही हींग की खेती करें. क्योंकि इस शोध से पहले भारत में हींग की खेती संभव नहीं थी. इसलिए यह भी कहा जा सकता है कि हींग की फसल से 1 ग्राम भी हींग का उत्पादन नहीं किया जा सका.
हींग के पौधे के इस भाग से प्राप्त होती है हींग
हींग को प्राप्त करने के लिए, हींग के पौधे के निचले भाग मिट्टी के समीप पर कंदोरो परिजनों से गूंज ऐसा वनस्पतिक दूध निकलता रहता है इसे एकत्र करके पाउडर तैयार कर लिया जाता है और फिर हींग के रूप में उपयोग किया जाता है बाजारों में हींग को स्टार्ट वालों के साथ मिला कर बेचा जाता है.