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पशुपालक किसान ठंड के इस मौसम में अपने पशुओं की उचित देखभाल कैसे करें ?

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ठंड के मौसम में पशुओं की देखभाल

ठंड के मौसम में पशुओं की देखभाल

उत्तर भारत में समय ठंड का मौसम चल रहा है. ठंड के इस मौसम में पशुओं के बीमार होने की संभावना अधिक बढ़ जाती है. इसलिए पशुपालक किसान ठंड के इस मौसम में अपने पशुओं को विशेष ध्यान देने की आवश्यकता पड़ती है.

इस बदलते मौसम में अपने पशुओं की उचित देखभाल नहीं करने से उनके स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है. साथ ही ठंड के इस मौसम में पशुओं की दूध देने की क्षमता पर भी असर पड़ता है .और वह कम दूध देने लगते हैं. इसीलिए सर्दी के इस मौसम में यदि पशुओं के रहन-सहन और आहार की ठीक प्रकार से प्रबंधन नहीं किया जाता है. तो ऐसे मौसम में पशुओं के स्वास्थ्य पर व दुग्ध उत्पादन की क्षमता पर विपरीत प्रभाव पड़ता है. तो आइए जानते हैं, ठंड के इस मौसम में आप अपने पशु की देखभाल कैसे करें, पूरी जानकारी-

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ठंड के इस मौसम में रखें इन बातों का विशेष ध्यान

  • ठंड के मौसम में पशुओं को पशुपालक भाई द्वारा संतुलित आहार देना चाहिए. संतुलित आहार में उर्जा, प्रोटीन, खनिज तत्व, पानी, विटामिन, वसा आदि पोषक तत्व पर्याप्त मात्रा में मौजूद होने चाहिए.
  • ठंड के इन दिनों में पशुओं को विशेष देखभाल की जरूरत होती है. ऐसे में पशुओं के खान-पान व दूध निकालने का समय एक ही रखना चाहिए.
  • इसके अलावा ठंड में पशुओं को बीमारियों से बचाने के लिए पशुपालन विभाग की ओर से चलाए जाने वाले विशेष टीकाकरण अभियान में टीके लगवाने चाहिए. जिससे ठण्ड के मौसम में पशु निरोग रह सके.
  • सर्दी के मौसम में अंदर और बाहर के तापमान में अच्छा खासा अंतर होता है. पशु के शरीर का सामान्य तापमान विशेष तौर से गाय और भैंस क्रमश 101 डिग्री फारेनहाइट व  98.3 से 103 डिग्री फारेनहाइट रहता है. इसके विपरीत पशु घर के बाहर का तापमान कभी-कभी शून्य चला जाता है.यानी कि पाला जम जाता है.
  • इसके लिए ठंड से बचाने के लिए पशुओं का बिछावन की मोटाई, खिड़कियों पर बोरी के पर्दे आदि का विशेष ध्यान रखना चाहिए. जिससे पशुओं पर शीतलहर का प्रकोप सीधे ना पड़ सके.
  • ठंड के इस मौसम में दुधारू पशुओं को बिनोला अधिक मात्रा में खिलाना चाहिए. बिनोला दूध के अंदर चिकनाई की मात्रा को बढ़ाता है. साथ ही पशुओं को बाजरा कम हजम होता है. इसलिए बाजरा किसी भी संतुलित आहार में 20% से अधिक नहीं मिलाना चाहिए.
  • शीतलहर में पशु के खुर के ऊपर सेंधा नमक का ढेला रखें. ताकि पशु जरूरत के अनुसार उसे चाटता रहे.
  • साथ ही सर्दी में पशुओं को सिर्फ हरा चारा खिलाने से अपचन व अफारा भी आ जाता है. ऐसे में हरे चारे के साथ सूखा चारा मिलाकर खिलाएं. पशुओं के आहार में हरा चारा एवं मुख्य चारा 1:3 मिलाकर खिलाना चाहिए. इससे पशु स्वस्थ और निरोग रहेगा और दूध का उत्पादन भी कम नहीं होगा.
  • पशुओं को सर्दी के मौसम में गुनगुना ताजा व स्वच्छ पानी भरपूर मात्रा में पिलाना चाहिए. क्योंकि पानी से ही दूध बनता है. और सारी शारीरिक प्रक्रिया में पानी का अहम योगदान भी रहता है.
  • इसके अलावा पशुओं को बाहर धूप में बांधना चाहिए. और दिन गर्म होने पर नहलाकर सरसों की तेल की मालिश भी करनी चाहिए.
  • ठंड के मौसम में अक्सर पशुओं में दस्त की शिकायत होती है. पशुओं के दस्त होने पर तुरंत पक्ष चिकित्सक की सलाह जरूर लेनी चाहिए.
  • वातावरण में नमी होने के कारण पशुओं में खुरपका मुंह पका और गला घोटू होने की समस्या बढ़ जाती है. पशुओं को इन रोगों से बचाने के लिए सही समय पर टीकाकरण जरूर कराएं.

पशुओं में ठंड लगने के प्रमुख लक्षण

  • सभी पशुओं के ठंड लगती है.तो पशुओं के नाक और आंखों से पानी बहने लगता है.
  • पशुओं के भूख में कमी आ जाती है. और वह कम खाना खाते हैं.
  • इसके अलावा पशु के शरीर के सभी रोए खड़े हो जाते हैं. और उन्हें ठंड लगती है.

पशुपालक ठंड के इस मौसम में कैसे करें अपने पशुओं की उचित देखभाल

पशुओं को धूप में बाहर बांधे

ठंड के दिनों में अपने पशुओं को बाहर धूप में जरूर बांधना चाहिए. क्योंकि बिना धूप के ठंडी हवा में दिन में बाहर निकलना उनकी सेहत के लिए अच्छा नहीं होता है. इसलिए जब भी धूप निकले उन्हें बाहर बांधना चाहिए. धूप तो उन्हें जरूरी पोषक तत्व मिलते हैं. जो उनके सेहत के लिए काफी लाभकारी साबित होते हैं.

साफ सफाई का उचित ध्यान रखें

पशुशाला जहां पशुओं को बांधा जाता है. उस स्थान को सूखा एवं स्वस्थ बनाए रखना चाहिए. पशुशाला में पुआल या कोई नरम चीज जरूर डाल कर रखें. जिससे फर्श के गीलापन को सुखा जा सके. गीलेपन से पशुओं में कई तरह के संक्रमण हो सकते हैं. इसके अलावा पशुओं को अधिक ठंडा पानी ना पिलाए और ना ही अधिक गर्म पानी.

अफारा से बचाना चाहिए

ठंड के इस मौसम में पशुओं को अफारा होने की अधिक संभावना रहती है. इसलिए हरा चारा खिलाने से पहले थोड़ा सा सूखा चारा जरुर खिलाना चाहिए. फिर भी यदि पशु को अफारा की शिकायत हो, तो उसे अलसी या सरसों के तेल का प्रयोग करना चाहिए. और नजदीकी पशु चिकित्सालय में जरूर संपर्क करें.

पशुओं को पहनाये बोरी

अभी ठंड होने पर अपने पशुओं को टाट या जूट की बोरी जरूर पहनाएं. जिससे पशुओं को ठंड से बचाया जा सके. इसके अलावा सुरक्षित देने पर अलावा जरूर जलाएं. इससे पशुओं को ठंड से बचाया जा सकता है.

ठंड में अन्तः परिजीवियों से बचाव

ठंड में अन्तः परिजीवियों सभी पशुओं को बचाना चाहिए. क्योंकि यह पशुओं को काफी नुकसान पहुंचाते हैं. जिससे पशुओं की दुग्ध उत्पादन क्षमता प्रभावित होती है. साथ ही नवजात बच्चों को दस्त, निमोनिया होने का खतरा भी बना रहता है. अक्टूबर तक पैदा होने वाले ज्यादातर भैंस के बच्चे बड़ी तादाद में सर्दियों का मौसम खत्म होने तक वो के गाल में चले जाते हैं. जिसकी मुख्य वजह अंतर परजीवी का होना होता है. इसलिए इन पशुओं को अन्तः परिजीवियों से बचाने के लिए शरीर के भार के अनुसार कब नाशक दवाई देनी चाहिए. साथ ही अब चिकित्सक की सलाह जरूर लें.

ठंड में वाह्य परिजीवियों से पशुओं का बचाव

ठंड के दिनों में अधिक जाड़ा लग जाने के डर से ज्यादातर पशुपालक अपने पशुओं को लहराते नहीं है. इसीलिए जाड़े के मौसम में पशुओं का शरीर की ज्यादा साफ सफाई नहीं होने के कारण पशुओं के शरीर में वाह्य परजीवी का प्रकोप हो जाता है. जो पशुओं का खून चूस कर बीमारी का कारण बन जाते हैं. इसलिए जाड़े के मौसम में पशुओं की साफ सफाई का काफी ध्यान रखना चाहिए. और धूप निकलने पर सप्ताह में दो से तीन बार पशुओं को नहलाना चाहिए.वाह्यपरजीवीयों से रक्षा के लिए पशु चिकित्सक की सहायता से कोई उपयुक्त दवा लेकर पशु को लगानी चाहिए.

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पशुओं को खिलाएं अधिक ऊर्जा युक्त आहार

सर्दियों के शुरू होते ही दुधारू पशुओं को ऊर्जा प्रदान करने के लिए समय-समय पर गुण अथवा शीरा अवश्य खिलाते रहना चाहिए. इस मौसम में गाय और भैंस के बच्चों  को 30 से 60 ग्राम गुड़ जरूर खाने को देना चाहिए. इसके अलावा पशुओं को 200 ग्राम तक मेथी सर्दियों के मौसम में खिलाने से जाने से बचाव होता है. और साथी दूध का उत्पादन भी अच्छा हो जाता है.

पशुओं  को नमी वाले अस्थान से बचाएं

ठंड का मौसम शुरू होते ही गाय भैंस और नवजात बच्चे बच्चियों को जाड़े से बचाने की जरूरत होती है. इसीलिए पशुओं को बांधने वाली जगह पर नमी नहीं होनी चाहिए. अगर नमी होती है तो स्वास्थ संबंधी रोग और निमोनिया हो सकता है. नमी वाले स्थानों की साफ सफाई करने के बाद चुनाव चूने का छिड़काव जरूर कर दें. पशुशाला को दिन में दूध निकालने के बाद खुला छोड़ देना चाहिए. जिससे उसने हवा का संचार हो और नमी दूर हो जाए.

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