आम की बागवानी में कीट नियंत्रण
देश के अधिकतर राज्यों में आम को प्राचीन काल से उगाया जा रहा है. क्योंकि इसका फल काफी स्वादिष्ट एवं पौष्टिक होता है. इसीलिए आम के सीजन में इसकी जबरदस्त मांग रही है. जिससे आम की खेती करने वाले किसानों को काफी अच्छी आमदनी होती है.
लेकिन कभी-कभी आम की खेती में कीटों का प्रकोप हो जाता है. जिससे इसकी फसल को काफी नुकसान होता है. इससे किसानों को काफी नुकसान उठाना पड़ता है. इसीलिए आज गांव किसान के इस लेख में आम में लगने वाले कीटों के बारे में पूरी जानकारी दी जाएगी. कि किसान भाई इन कीटों का नियंत्रण कैसे करें. जिससे वह अपनी आम की उपज को सुरक्षित रख सकें. तो आइए जानते हैं आम की बागवानी में कीट नियंत्रण कैसे करें-
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आम की बागवानी में लगने वाले कीट एवं नियंत्रण
आम का भुनगा अथवा लस्सी कीट (MANGO HOPPER)
आम का यह कीट छोटा व भूरे स्लेटी रंग का होता है. इसका प्रकोप बसंत ऋतु में फूल आने के समय अधिक होता है. इस कीट के छोटे-छोटे से शुरू झुंड में आम के फूलों का रस चूस लेते हैं. जिससे फूल मुरझाने लगते हैं और असमय पेड़ से ही झड़ जाते हैं.
इस कीट के वयस्क पत्तों से रस चूस पत्तियों को चिपचिपा बनाते हैं. जो कि बाद में फफूंद के आक्रमण से काली पड़ जाती है. फल कम लगते हैं और छोटे फल गर्मी में हवा से झड़ जाते हैं.
कीट नियंत्रण कैसे करे ?
- आम में फूल खिलने से पहले और फल स्थापना के बाद मोनोक्रोटोफॉस 0.036 प्रतिशत (एक मि0ली0 न्यूवाक्रोन/मासक्रोन/मैकोफ़ॉस/मोनोसिल 36 डब्लू०एस०सी०) प्रति लीटर पानी का छिड़काव करना चाहिए इस दवाई का एक छिड़काव अगस्त में भी किसानों द्वारा किया जाना चाहिए.
- इसके अलावा किसान भाई जिनके बाग पुराने हो चुके हैं. वह अपने पुराने घने बागों की हल्की काट-छांट शीत ऋतु में कर ले, ताकि सूर्य का प्रकाश पौधों के सभी भागों तो अच्छी तरह पहुंच सके.
आम का कढ़ी कीट ( MANGO MEALY BUG)
आम का यह कीट फरवरी माह में बढ़ती हुई शाखाओं व फूलों से रस चूस कर नुकसान पहुंचाते हैं. जिससे प्रभावित भाग मुरझाने लगता है. इससे फूलों से फल नहीं बन पाते हैं और असमय ही फल झड़ जाते हैं. यह कीट आम के तौलिए में तने के आसपास 5 से 12 सेंटीमीटर गहराई तक मिट्टी में रहते हैं. इन अंडों से जनवरी-फरवरी माह में छोटे भूरे की पौधों के ऊपरी भाग की ओर चलने लगते हैं.
कीट नियंत्रण कैसे करें?
- किसान भाई गर्मी के मौसम में अपने बगीचे के पेड़ों की अच्छी प्रकार गुड़ाई एवं बाग की गहरी जुताई कराएं जिससे कीट के अंडे नष्ट किए जा सके.
- शिशुओं के ऊपर चढ़ने से रोकने के लिए दिसंबर महीने में जमीन से करीब 50 सेंटीमीटर ऊपर ऊंचाई तक तने पर 15 से 20 सेंटीमीटर चौड़ी एल्काथीन की पट्टी लपेटकर फिसलने वाला बंद लगाएं.
- इसके अलावा आम के तने के खुरदरे भाग को खरोच कर समतल कर उस पर 5 से मी चौड़ी फुट ट्री ग्रीस की पट्टी लगाएं किसान भाई इस बात की सावधानी रखें, कि शीट के नीचे खुरदरे तने को चिकनी मिट्टी के लेप से समतल कर ले. पेड़ के पत्तों को जमीन से छूने न दें.
आम का तना बेधक कीट (MANGO STEM BORER)
आम का यह कीट तने और शाखाओं में छेद करके अंदर सुरंगे बनाता है. बाहर से इस कीट के प्रकोप का पता नहीं चलता है. जबकि छोटे-छोटे छिद्रों से रस की बूंदे निकलने लगती हैं तथा ज्यादा नुकसान होने पर ही पता चलता है और बुरादा निकलने लगता है.
कीट का नियंत्रण कैसे करें?
- इस कीट के नियंत्रण के लिए किसान भाई पेड़ से बुरादे को हटा लोहे की तार से कुरेद कर रुई के फाहे को पेट्रोल या मिट्टी के तेल या मिथाइल पैराथियान 0.2% (4 मि०ली० मेटासिड 50 ईसी प्रति लीटर पानी) से भिगोकर छिद्रों में डाल गीली चिकनी मिट्टी से बंद कर दें.
- वयस्क कीटों की रोकथाम के लिए रोशनी के ट्रैप लगाकर एकत्र करके नष्ट कर देना चाहिए.
आम का शाखा बेधक कीट
आम के इस कीट की सूड़ियां अंडे से निकलकर मुलायम पत्तियों की मध्य शिरा के अंदर छेद करके घुस जाती हैं. उसके बाद मध्य शिरा से निकलकर मुलायम टहनियों के अग्रभाग से यह कीट अधिक हानि पहुंचाता है. तथा इसका प्रकोप मार्च-अप्रैल तथा अगस्त से अक्टूबर तक रहता है.
कीट का नियंत्रण कैसे करें?
- इस कीट के नियंत्रण के लिए एंडोसल्फान 35 ई०सी० 15 मि०ली० अथवा कार्बेकिल 50 डब्ल्यू०पी० 2 ग्राम प्रति लीटर पानी में बनाए गए गोल का दो से तीन बार छिड़काव 15 से 20 दिन के अंतराल पर करना चाहिए.
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आम का शल्क कीट (MANGO SCALE INSECT)
इस कीट की कई प्रजातियां पाई जाती हैं. जो आम को अत्यधिक हानि पहुंचाती है. इस कीट के शिशु एवं प्रौढ़ मुलायम टहनियों व पत्तियों की निचली सतह पर सैकड़ों की संख्या में चिपके रहते हैं तथा रस चूसकर वृक्ष की पत्तियों पर एक प्रकार का चिपचिपा पदार्थ (हनीड्यू) छोड़ते हैं. जिस पर काली फफूंदी (सूटीमोल्ड) उग जाती है.
कीट का नियंत्रण कैसे करें?
- किसान भाई इस कीट की रोकथाम के लिए क्यूनालफास 25 ई०सी० प्रति लीटर पानी में उपयोग कर सकते हैं.
- इसके अलावा मोनोक्रोटोफॉस 40 ई०सी० को 1.5 मिली प्रति लीटर पानी में उपयोग कर सकते हैं.