बकरी पालन शेड निर्माण कैसे करे ? | Goat farming shed structure

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बकरी पालन शेड निर्माण
बकरी पालन शेड निर्माण (Goat farming shed structure)

बकरी पालन शेड निर्माण (Goat farming shed structure)

नमस्कार किसान भाई-बहनों, हमारे देश में बकरियां प्रायः सामाजिक व आर्थिक रूप से पिछड़े वर्ग द्वारा रखी जाती है. शुष्क क्षेत्रों को छोड़कर देश में अधिकांश बकरी समूह स्थान-बध्द रहते है. तथा इनका विषम जलवायु व परिस्थितियों से बचाव आवश्यक है. इसके लिए बकरी पालन में समुचित आवास की आवश्यकता होती है. बकरी पालकों द्वारा अच्छा आवास प्रबंधन नही होने के कारण बकरियों में अनेको रोग लग जाते है. जिसके फलस्वरूप 50 प्रतिशत से अधिक नवजात मेमनों की मृत्यु हो जाती है. बारिश का मौसम बकरियों के लिए सबसे अनुपयुक्त होता है. क्योकि बारिश के पानी से बकरियां भयभीत हो जाती है.

बकरियों को विशेषकर नवजात मेमनों को कुत्तों, जंगली जानवरों और चोरों से बचाने के लिए संरक्षण की जरुरत होती है. खराब मौसम से वयस्क बकरियों के उत्पादन और उत्पादकता में कमी आ जाती है. इसलिए गाँव किसान (Gaon Kisan) आज अपने इस लेख में बकरी पालन शेड निर्माण कैसे करे ? की पूरी जानकारी देगा. जिससे बकरी पालक किसान भाई-बहन अच्छा मुनाफा कमा सके. तो आइये जानते है बकरी पालन शेड निर्माण कैसे करे –

आवास के प्रकार के लिए महत्वपूर्ण बातें 

  • बकरियों के लिए आवास बनाते समय ऊँचे, जल जमाव क्षेत्र से दूर एवं समतल जगह का चुनाव करना चाहिए, जहाँ पर सड़क, बिजली एवं पानी आसानी से शुलभ हो सके.
  • बकरियों के आवास की दिशा पूर्व से पश्चिम होनी चाहिए.
  • इनके आवास की अधिकतम चौड़ाई 20 फीट (9 मीटर) होनी चाहिए.
  • आवास की लम्बाई की कोई अधिकतम सींमा नही है. लेकिन प्रत्येक 30 फीट पर वर्गीकृत कर अलग-अलग उम्र, लिंग एवं उत्पादन अवस्था हेतु अलग-अलग आवास बनाना चाहिए.
  • इनके आवास में केंद्र की उंचाई 12 फीट, किनारे पर 8 फीट एवं धूप व बरसात से बचाव हेतु छत को दोनों तरफ अतरिक्त 3 फीट अवश्य रखे.
  • पूर्व एवं पश्चिम (लम्बाई) के तरफ धरातल से दीवार की उंचाई 3 से 4 फीट रखनी चाहिए. इसके ऊपर लोहे अथवा बांस की जाली लगानी चाहिए. उत्तर एवं दक्षिण दिशा की तरफ से जाली न लगाए और दीवार को छत में लगाएं.
  • अगर भारतीय परिस्थित के अनुसार बकरी आवास की सतह मिटटी की रखनी चाहिए. परन्तु जहाँ अत्यधिक बहिश होती हो अथवा नमी रहती हो वहां बांस अथवा लकड़ी अथवा प्लास्टिक की सतह, जमीन से ऊँची उठाकर बनाना चाहिए.
  • बकरियों के आवास की छत के लिए घास-फूस, टाइल्स, खप्पल, टीन की चादर इत्यादि उपलब्धता एवं सुविधा के हिसाब से उपयोग करना चाहिए.
  • बकरी आवास में चारा-दाना उपकरण एवं पेयजल उपकरण उचित स्थान पर ही लगाना चाहिए.
  • बकरी आवास परिसर के चारो ओर अधिक संख्या में पेड़-पौधे लगाएं, जिससे वहां का वातावरण स्वच्छ बना रहेगा, छाया मिलेगी एवं जरुरत पड़ने पर चारे के रूप में इनका उपयोग कर सकते है.

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बकरियों के लिए आवास के प्रकार  

मचान की भॉति आवास

लाभ :

  • इसमें ज्यादा/ कम संख्या में भी बकरियाँ रख सकते है।
  • पर्याप्त हवादार।
  • आसानी से सफाई हो जाती है और मजदूर ज्यादा नही लगते।
  • मूत्र और मल आसानी से इक्कठा किये जा सकते है।
  • मजबूत और टिकाऊ आवास।
  • मचान बकरियों को शिकार से बचाता है।

हानिः

  • बनाने में महंगा चूंकि सामान अधिक लगता है।

स्थानीय तौर पर उपलब्ध सामग्री से बने आवास

छत :-

  • बकरियों के आवास में छत होना आवश्यक है।
  • छत लोहे की लहरदार चादर/पटेराघास/पाली विनाइल सामग्री से बनी होनी चाहिए।
  • ढलायुक्त छत हो ताकि पानी न ही रूके और न ही रिसाव हो।
  • बकरी के आवास के चारो तरफ बरामदा अथवा चबूतरा हो, जिससे की बारिश का पानी अन्दर न जाये और नींव कमजोर न हो।

कोठे के अंदर लगने वाली सामग्री –

खाने के लिए बर्तन – ऊपर रखना चाहिए, क्योंकि बकरियां ऊपर पैर रखकर गर्दन ऊंची करके खाना पसंद करती है। खाने की कमी न हो, इस प्रकार बर्तनों व खद्यान्नों की योजना बनानी चाहिए।

पानी के बर्तन – अस्वच्छ पानी से संक्रामक रोग हो सकते हैं। अतः पानी कीटाणु नाशक दवा का प्रयोग करना चाहिए। पानी, खाने के बर्तन रोज साफ होने चाहिए।

ईटों से बना पक्का आवास

लाभ:-

  • ढॉचा स्थायी होता है।
  • जानवरों के द्वारा क्षति नही पहुँचायी जा सकती है।
  • ईंटें मंहगी होती है।

हानिः

  • आवास पर्याप्त हवादार नहीं होती।
  • फर्श की सफाई में अधिक ध्यान हेने की आवश्यकता होती है।

कच्चा आवास

लाभः

  • निर्माण सस्ती होती है।
  • अधिक समय तक टिकाऊ नही होता है।
  • स्थानीय तौर पर उपलब्ध सस्ती सामग्री से तैयार होता है।

हानिः

  • अक्सर पर्याप्त हवादार नही होता है।
  • फर्श की सफाई करने में मुश्किल होती है।
  • अधिकतर कच्चे मिट्टी के आवास की छप्पर घासफूस से बनी होती है, जिसके कारण बारिश में रिसाव होता है।

स्थानीय तौर पर उपलब्ध सामग्री से बना हुआ आवास पर्याप्त होता है। इसका मुख्य उद्देश्य बकरियों को बारिश से बचाना होता है। नीलगिरी के दूर-दूर रखे हुये, खम्भे से बनी साधारण दीवारें बकरियों को आसानी से एक स्थान पर रखती है, जो कि पर्याप्त हवादार है। विकसित आवास भी प्रदर्शित है, जिसमें आवासीय स्तर को जमीन से ऊँचा रखा गया है ताकि लकड़ी की पट्टी के बीच दरार से अवशिष्ट पदार्थ सीधे जमीन पर गिरे और उसका सरलता से संग्रह किया जा सकें।

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बकरी के आवास संबंधित सामान्य सुझाव

  • यदि बकरियों को आवास में घूमने-फिरने के लिए पर्याप्त जगह न मिलने से उनकी गतिविधि सीमित होने के कारण बकरी के उत्पादन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।
  • आवास में बकरियों की संख्या अधिक होने के कारण श्वसन संबंधी बीमारियों की संभावना बढ़ जाती है।
  • बकरी के आवास की सफाई प्रतिदिन होनी आवश्यक है, क्योंकि वहां पर एकत्र होने वाले अवशिष्ट पदार्थों में आकामक और परजीवी अन्य बीमारियों के पनपने के कारण रोगों के संकमण की संभावना बढ़ जाती है।
  • गंदगीयुक्त आवास में कम उम्र के बकरियों में परजीवी अन्य बीमारियों और वयस्कों में त्वचा एवं खुर से संबंधित बीमारियों के फैलने की आशंका अधिक होती है।
  • लोगों को अपने साथ पशुओं को नहीं रखना चाहिये।

10 बकरी और 1 बकरे के लिए आवासीय व्यवस्था

एक छोटे स्तर बकरी के आवास की व्यवस्था के लिए इस प्रकार का मॉडल अपनाएं। दस बकरियों में यदि आठ बकरियां साल में बच्चे देती हैं तो फिर 12 बच्चों के हिसाब से बकरीपालक को अधिकतम 9 मीटर की चौड़ाई रखनी चाहिए। जबकि लंबाई 3 मीटर की रखें। जबकि बच्चों के लिए अलग आवास व्यवस्था उसी बाड़े में सुनिश्चित करनी चाहिए।

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