जेट्रोफा की खेती कैसे करे ? – Jatropha farming

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जेट्रोफा की खेती
जेट्रोफा की खेती कैसे करे ? - Jatropha farming

जेट्रोफा की खेती कैसे करे ? – Jatropha farming

नमस्कार किसान भाईयों, जेट्रोफा की खेती देश के कई राज्यों में की जाती है. इसे रतनजोत के नाम से जाना जाता है. इसके बीजों में तेल की मात्रा बहुत अधिक होती है. जिसका उपयोग इंजन, कार आदि में किया जा सकता है. इसलिए इसकी खेती किसानों के लिए काफी लाभकारी हो सकती है. गाँव किसान (Gaon Kisan) आज अपने इस लेख में जेट्रोफा की खेती की पूरी जानकारी देगा. जिससे किसान भाई इसकी अच्छी उपज प्राप्त कर सके. तो आइये जानते है जेट्रोफा की खेती की पूरी जानकारी-

जेट्रोफा के फायदे

सजावट में 

जेट्रोफा का पौधा शीघ्र वृध्दि वाला झाड़ीनुमा होता है. अतः लोग इसके सजावट के लिए अपने बगीचे में तथा खेत के चारों ओर या वेस्टलैंड को हरा भरा करने के लिए लगाते है.

चारदीवारी के रूप में 

इसे खेत के चारों ओर लगाया जाता है. इसके नजदीक-नजदीक लगाने से यह एक चारदीवारी का काम करता है. इसके बीच में किसान फसल बोकर जानवरों से तथा तेज हवाओं से फसल की रक्षा कर सकते है.

उद्योग में 

जेट्रोफा के बीज से प्राप्त तेल को साबुन बनाने, जलाने, लुब्रीकेंट बनाने तथा मोमबत्ती बनाने में उपयोग में लाया जाता है. इसके तेल से प्लास्टिक तथा सिंथेटिक फाइबर के लिए रामेटेरियल भी तैयार किया जाता है.

औषधि में 

जेट्रोफा में “जेट्रोफिन” नामक तत्व पाया जाता है. जिसमें कैंसर प्रतिरोधी क्षमता होती है. अतः इसका उपयोग तेल दस्तावर होता है. इसके तेल का उपयोग कैंसर सम्बन्धी औषधियों में किया जाता है. इसका उपयोग त्वचीय रोगों (दाद, खाज, खुजली, गठिया, लकवा) आदि में भी किया जाता है.

डीजल के रूप में

जेट्रोफा के बीजों से तेल साधारण स्पेलर द्वारा निकाला जाता है. तेल को फ़िल्टर करने के बाद डीजल द्वारा चालित सभी प्रकार के इन्जनो जैसे ट्रैक्टर, जनरेटर, रेल व सभी प्रकार के डीजल वाहन आदि में किया जा सकता है. अतः किसान इसकी खेती से लाभ प्राप्त कर सकता है.

भूमि व जलवायु 

जेट्रोफा की खेती के लिए रेतीली, पथरीली, बलुई व कम गहराई वाली भूमि उपयोगी होती है. जहाँ जल भराव न हो, तथा शुष्क व अर्ध्द शुष्क जलवायु इसके लिए उपयुक्त पाई गयी है.

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खेत की तैयारी

इसके लिए खेत की 3 से 4 जुताई वर्षा प्रारंभ होने के बाद जुलाई माह में की जाती है. तथा भूमि को पाटे की सहायता से समतल कर दिया जाता है. पौध रोपण हेतु सम्पूर्ण खेत में 2 मीटर x 2 मीटर की दूरी पर गड्ढे बनाए जाते है. जिनका आकार 45 x 45 x 45 सेमी० होता है. व प्रत्येक गड्ढे में एक टोकरी कम्पोस्ट की खाद व 200 ग्राम नीम की खली का पाउडर मिलाकर भर देना चाहिए.

नर्सरी की तैयारी व पौध रोपण का समय 

जेट्रोफा का रोपण बीज, कटिंग व पौध से किया जाता है. नर्सरी बीजों की बुवाई मई-जून के महीने में की जाती है. जब पौधा 6 से 8 इंच का ऊँचा हो जाय. तो उसे जुलाई माह में खेत में बने गड्ढों में रोपाई कर देना चाहिए. पौधे से पौधे व पंक्ति से पंक्ति की दूरी 2 मीटर रखते है. इस प्रकार एक हेक्टेयर प्रक्षेप के लिए 10 किग्रा० बीज की आवश्यकता पड़ती है.

उर्वरक 

पौधों की रोपाई के समय प्रत्येक गड्ढे में लगभग 20 ग्राम यूरिया + 120 ग्राम सुपर फास्फेट + 15 ग्राम म्यूरेट ऑफ़ पोटाश को गड्ढों में मिला देना चाहिए.

सिंचाई 

चूँकि यह फसल वर्ष आधारित है. किन्तु वर्षा न होने पर 15 से 20 दिनों के अंतराल पर सिंचाई करते रहना चाहिए. फूल व फल आने की स्थिति में पानी देना आवश्यक होता है.

निराई-गुड़ाई 

खरपतवार को नियंत्रण करने के लिए प्रारंभिक काल में निराई-गुड़ाई की आवश्यकता पड़ती है. तथा एक वर्ष बाद पौधों की अधिक बढ़वार हो जाने के पश्चात इसकी कम आवश्यकता पड़ती है.

अन्तः फसले 

जेट्रोफा की दो पंक्तियों के बीच में कौच, करेला, कलिहारी, अश्वगंधा, अदरक, हल्दी आदि की खेती की जा सकती है. क्योकि एक वर्ष तक दो पंक्तियों के बीच के खाल स्थान में अन्तः फसलें सरलता पूर्वक उगाई जा सकती है. जिसमें किसान को अतरिक्त लाभ मिल सकता है.

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कटाई व संग्रह 

पौधों की दो वर्ष आयु होने के उपरांत फूल व फल गुच्छे में आना प्रारंभ होता है. कटिंग द्वारा लगाए गए पौधे में उसी वर्ष फल आ जाता है. पके हुए फल का रंग काला होता है. जो दिसम्बर व जनवरी माह में पक जाता है. प्रत्येक फल से 3 से 4 बीज प्राप्त होता है. बीजों की तुड़ाई श्रमिकों के द्वारा की जाती है. जो कि गुच्छो में होती है. उनसे गुच्छों को धूप में सुखाकर डंडे की सहायता से फलों से बीज को आसानी से अलग कर लिया जाता है. बीजों को छाया में सुखाकर टाट के बोरों में भरकर स्टोर करना चाहिए. मार्च महीने में पौधों को 2 से 3 फुट की ऊँचाई से काट देना चाहिए. ताकि अगले वर्ष पौधों से अच्छी फसल मिल सके. एक बार रोपित पौधे से लगभग 30 से 40 वर्षों तक फसल मिलती रहती है.

उपज 

जेट्रोफा से दुसरे वर्ष लगभग 25 से 30 कुंटल, तीसरे वर्ष 40 से 50 कुंटल, चौथे वर्ष 60 से 80 कुंटल व पांचवें वर्ष 100 से 120 कुंटल होता है.

निष्कर्ष 

किसान भाईयों उमीद है गाँव किसान (Gaon Kisan) के इस लेख से आप सभी को जेट्रोफा की खेती कैसे करे ? की पूरी जानकारी मिल पायी होगी. फिर भी इस लेख से सम्बंधित आपका कोई प्रश्न हो तो कमेन्ट बॉक्स में कमेन्ट कर पूछ सकते है. इसके अलावा यह लेख आपको कैसा लगा कमेन्ट कर जरुर बताएं, महान कृपा होगी.

आप सभी का बहुत-बहुत धन्यवाद, जय हिन्द. 

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