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चने की पांच उन्नत किस्में | Five improved varieties of gram

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चने की पांच उन्नत किस्में | Five improved varieties of gram

चने की पांच उन्नत किस्में | Five improved varieties of gram

 नमस्कार किसान भाइयों-बहनों, चने की खेती देश के लगभग सभी राज्यों में की जाती है. यह रबी सीजन की प्रमुख दलहनी फसलों में से एक है. अन्य फसलों में चने का विशिष्ट स्थान है. बाजार में इसकी मांग काफी रहती है. इसका बाजार मूल्य भी काफी अधिक रहता है. इसलिए गाँव किसान (Gaon kisan) आज अपने इस लेख में चने की पांच उन्नत किस्में जिनकी पैदावार काफी अधिक है की जानकारी देगा. जिससे किसान भाई अच्छा मुनाफा प्राप्त कर सके. तो आइये जानते है चने की पांच उन्नत किस्मों के बारे में पूरी जानकारी –

चने की प्रमुख उन्नत किस्में 

देश में इसकी की खेती मुख्य रूप से उत्तर प्रदेश, कर्नाटक, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान तथा बिहार आदि राज्यों में की जाती है. देश के कुल चना क्षेत्रफल का लगभग 90 प्रतिशत भाग तथा कुल उत्पादन का लगभग 92 प्रतिशत इन्हीं राज्यों से प्राप्त किया जाता है. देश में चने की खेती 7.54 मिलियन हेक्टेयर क्षेत्र में की जाती है, जिससे 7.62 क्विं./हे. के औसत मान से 5.75 मिलियन टन उपज प्राप्त होती है. भारत में सबसे अधिक चने का क्षेत्रफल एवं उत्पादन वाला राज्य मध्यप्रदेश है तथा छत्तीसगढ़ प्रांत के मैदानी जिलो में चने की खेती असिंचित अवस्था में की जाती है. चने की प्रमुख पांच उन्नत किस्में निम्नवत है –

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चने की उन्नत किस्म जे० जी०-16

चने की इस किस्म को सिंचित और असिंचित दोनों तरह की भूमि में आसानी से उगाया जा सकता हैं. इस किस्म के पौधे रोपाई एक लगभग 130 दिन के आसपास पककर तैयार हो जाती हैं. इस किस्म की औसतन पैदावार 20 कुंटल प्रति हेक्टेयर है. इसके पौधे ऊंचाई सामान्य होती है. तथा पौधों पर उख्टा रोग का प्रभाव कम होता है.

चने की उन्नत किस्म पूसा – 256

चना की यह किस्म सिंचित और असिंचित दोनों जगहों पर पछेती रोपाई के लिए उपयुक्त होती है. इस किस्म के ज्यादतर पौधे लम्बे और सीधे होते हैं. जो बीज रोपाई के लगभग 130 दिन के आस-पास पककर तैयार हो जाते हैं. इस किस्म की औसतन उपज लगभग 27 कुंटल प्रति हेक्टेयर है. तथा इस किस्म के पौधों में अंगमारी की बीमारी कम होती है.

चने की उन्नत किस्म वरदान 

इस किस्म को भी सिंचित और असिंचित दोनों जगहों पर आसानी से बुवाई की जा सकती है. इस किस्म के पौधे सामान्य ऊंचाई के होते हैं. इस किस्म के पौधे रोपाई के लगभग 150 दिन बाद उपज तैयार हो जाती हैं. इस किस्म पौधे पर गुलाबी बैंगनी रंग के फूल होते हैं, जबकि इसके दानो का रंग गुलाबी भूरा होता है. इस किस्म के चने का उत्पादन लगभग प्रति हेक्टेयर 20 से 25 क्विंटल तक हो है. यह किस्म झुलसा का रोगरोधी होती है.

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चने की उन्नत किस्म जाकी 9218

चने की यह किस्म एक मध्यम समय में उपज देने वाली किस्म है. यह किस्म के लगभग 110 से 115 दिन में तैयार हो जाती हैं. चने की इस किस्म की खेती सिंचित और असिंचित दोनों जगहों पर की जा सकती है. इसके पौधों का फैलाव कम होता है. इस किस्म का प्रति हेक्टेयर औसतन उत्पादन 20 क्विंटल के लगभग हो जाता हैं. इस किस्म को मध्य प्रदेश राज्य में अधिक उगाया जाता है.

चने की उन्नत किस्म जी० एन० जी० -146

चने की यह किस्म मध्यम समय में उपज देने के लिए जाती हैं. इस किस्म के पौधों की ऊंचाई सामान्य होती है. इस किस्म के पौधे पर गुलाबी रंग के फूल होते है. इस किस्म का पौधा रोपाई के लगभग 140 दिन बाद कटाई के लिए तैयार हो जाती है. इसके पौधों पर झुलसा रोग का प्रभाव नही होता. इस किस्म के दानो का आकार काफी बड़ा होता है. इस किस्म का प्रति हेक्टेयर औसतन उत्पादन 25 क्विंटल के आसपास पाया जाता है.

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