उद्यान विज्ञान क्या है ? आइये जानते है इसके विभिन्न भागों को

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उद्यान विज्ञान क्या है
उद्यान विज्ञान क्या है ? जानते है बुनियादी जानकारी 

उद्यान विज्ञान क्या है ? जानते है बुनियादी जानकारी 

नमस्कार दोस्तों, आज गाँव किसान के इस लेख में उद्यान विज्ञान क्या है ? इस बारे में आप सभी बुनियादी जानकारी देने वाला हूँ, जिससे आप सभी को उद्यान सम्बन्धी जानकारी हो सके.

दोस्तों उद्यान विज्ञान कृषि विज्ञान की ही शाखा है. जिसमें फल, सब्जी, फूल, मसाले, औषधीय एवं सुगन्धित तथा रोपण फसलों तथा उनके परिक्षण एवं मूल्य संवर्धन का विस्तृत अध्ययन किया जाता है. कृषि विज्ञान की यह शाखा अन्य शाखाओं से नई है.

उद्यान शब्द का वर्णन हमारे वेद, पुराणों, महाराज, रामायण आदि ग्रंथों में की गयी है. फलों, सब्जियों एवं फूलों की खेती हमारे देश में पुरातन समय से की जा रही है.

परन्तु खाद्य एवं पोषण सुरक्षा की आवश्यकता के मद्दे नजर इसके उत्पादन के सैध्दान्तिक पहलु की आवश्यकता समझी गई. वस्तुतः कृषि पर रॉयल कमीशन के प्रतिवेदन (1929) (Royal commission on Agriculture-1929) के प्रकाशित होने के बाद ही इसके विकास की आवश्यकता समझी गई.

उद्यान विज्ञान या “Horticulture” दो लैटिन शब्दों से “हॉर्टज” (Hortus) और “कोलेर” (Colure) से बनते है. हार्टज का अर्थ है घिरा हुआ क्षेत्र तथा कोलेर  का अर्थ है सावधानी पूर्वक लगाना. इस तरह Horticulture का शाब्दिक अर्थ है घेरे के अन्दर पौधों को अच्छी तरह लगाना.

उद्यानिकी फसलों को एक निशचित क्षेत्र में लगाने की प्रक्रिया को बागवानी अथवा उद्यानिकी तथा जिस क्षेत्र में ये फसलें लगाई जाती है. उसे उद्यान या गार्डन (Garden) कहते है. जैसे आम का बाग़, अमरुद का बाग़ आदि.

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उद्यान विज्ञान के भाग 

उद्यान विज्ञान को मुख्यतः 5 भागों में बांटा गया है.

फल विज्ञान (Pomology)

फल विज्ञान या Pomology उद्यान विज्ञान की वह शाखा है. जिसके अंतर्गत फल उत्पादन के सिध्दांत एवं उत्पादन तकनीकों का अध्ययन किया जाता है.

Polology लैटिन के दो शब्दों Pomum जिसका शाब्दिक अर्थ फल एवं Logus/Logic जिसका तात्पर्य है सैध्दांतिक विवरण.

फल विज्ञान (Pomology) में फल उत्पादन के विभिन्न पहलुओं यथा पौध प्रबन्धन एवं नर्सरी प्रबंधन, उत्पादन तकनीकि शस्यन क्रियाओं, तुड़ाई एवं उसके उपरांत प्रबन्धन एवं विकास के उपायों आदि के सैध्दांतिक एवं व्यवाहारिक पहलूओं का अध्ययन करते है.

वह स्थान जहाँ फलदार पौधे लगाए जाते है. उसे बाग़ (Orchard) तथा फलों की विधिवत उत्पादन करने वाले को Orchardist या Fruit Grower कहते है. इस शाखा के अंतर्गत हम अमरुद, केला, अनानास, सेब, लीची, नारियल, नाशपाती, अंगूर आदि फलों का अध्ययन करते है.

सब्जी विज्ञान (Olericulture)

उद्यान विज्ञान की इस शाखा में शाक सब्जी के उत्पादन के सिध्दांत तथा तकनीकों का अध्ययन किया जाता है. Olericulture लैटिन के दो शब्दों से बना है. Olere तथा Culture. जिसका मतलब होता है गोभी वर्गीय फसलों की खेती बारी.

चूँकि पहले गोभी वर्गीय सब्जियों का ही सुनियोजित एवं अद्यतन विधि से खेती की शुरुवात की गई है अतः अब सम्पूर्ण सब्जी विज्ञान को ही Olericlture कहा जाता है. इसमें लतर वाली सब्जियों, टमाटर, आलू, बैंगन, हरी पत्तियों वाली सब्जियों आदि की उत्पादन तकनीक का अध्ययन करते है.

पुष्प विज्ञान (Floriculture) 

उद्यान विज्ञान की यह शाखा जिसमें फूलों, शोभाकारी, पौधे एवं भूद्रश्य बागवानी सिध्दांत एवं तकनीकों का अध्ययन करते है. पुष्प विज्ञान यानि Floriculture अंग्रेजी के दो शब्द Flowis एवं Culturea से बना है. जिसका शाब्दिक अर्थ है फूलों का लगाना.

पुष्प विज्ञान में सभी तरह के एक वर्षीय, द्विवर्षीय एवं बहुवर्षीय पुष्पीय एवं शोभाकारी पौधों एवं वृक्षों की खेती करने तथा उसके माध्यम से किसी भी स्थान के सजावट के बारे में विस्तृत जानकारी प्राप्त करते है. इस पौधों में पुष्प जैसे गुलाब, गेंदा, रजनीगंधा, डहेलिया, शोभाकारी पौधे, हेज, कैक्टस आदि का अध्ययन किया जाता है.

औषधीय एवं सुगन्धित पौधे (Medicinal and aromatic plant)

उद्यान विज्ञान की इस शाखा को हाल के वर्षों में शामिल किया गया है. जिसमें औषधीय एवं सुगन्धित पौधों की उत्पाद तकनीक उनके वानस्पतिक पहलू तथा उनके उत्पाद के प्रसंस्करण की विस्तृत जानकारी प्राप्त करते है. इस शाखा के अंतर्गत सफ़ेद मुसली, सतावर, अश्वगंधा, इसबगोल, पुदीना, सिट्रोनेला, तुलसी, खस आदि के प्रसंस्करण की विस्तृत जानकारी प्राप्त करते है.

उद्यानिक फसलों का परिरक्षण (Fruit Preservation)

उद्यानिक फसलों में जैसे फल, सब्जी एवं पुष्प का उपयोग मुख्यतः कच्चे उत्पाद के रूप में किया जाता है. जिसमें फल का प्रतिशत ज्यादा होने के कारण तेजी से खराब होता है. अतः इन फसलों के उत्पादन को खराब होने से बचाने, उनके लम्बे समय तक उपलब्धता सुनिश्चित करने तथा उनसे विभिन्न प्रकार के खाद्य एवं पेय पदार्थ तैयार करने के मूल सिध्दांतों एवं तकनीको का अध्ययन, इस शाखा के अंतर्गत किया जाता है. इस लिए नामकरण की द्रष्टि से इस शाखा को फल परिक्षण (Fruit preservation) भी कहा जाता है.

आजकल इस शाखा के अंतर्गत सभी उद्यानिकी फसलों जैसे फल, फूल एवं औषधीय फसलों, मशरूम एवं अन्य रोपण फसलों की तुड़ाई के उपरांत प्रबंधन (Post Harvest Management) जैसे श्रेणीकरण (Grading) पैकिंग, भण्डारण, प्रसंसकरण (Processing) एवं मूल्य संवर्धन (value addtion) का अध्ययन इस शाखा के अंतर्गत किया जाता है. आजकल इस विषय का अध्ययन फल प्रोद्योगिकी (Fruit technology) या सस्थोयर प्रौद्योगिकी (Postharvest Technology) के अंतर्गत भी किया जाता है.

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उद्यानिकी फसलों के आर्थिक एवं पोषण पहलू को देखते हुए इस शाखा का तेजी से विकास हुआ है तथा आज हमारा देश फल एवं सब्जी उत्पादन में विश्व में द्वितीय स्थान रखता है.

इसके अलावा उद्यान विज्ञान की शाखा में रोपण फसल (plantation crops) जैसे नारियल, काजू, चाय, कॉफ़ी, रबर, कहवा, पान, सुपारी आदि का भी अध्ययन किया जाता है. इस फसलों का घरेलू बाजार के साथ-साथ विदेशों में भी बहुत मांग है. इसके विकास की संभावना को देखते हुए फसल आधारित बोर्ड, एवं संस्थानों की भी स्थापना की गयी है. जैसे नारियल विकास बोर्ड, कॉफ़ी एवं चाय प्राधिकरण, मसाला एवं सुपारी विकास बोर्ड आदि. इसके स्थापना के बाद इन फसलों में तेजी से विकास हुआ है. इसके अलाव इसकी उन्नत किस्में भी विकसित की गयी है. एवं बाजारीकरण भी तेजी से हुआ है. चाय, नारियल एवं काजू, पान, सुपारी के उत्पादन में भारत विश्व का अग्रणी देश है. भारत में इस रोपण फसल के उत्पादन एवं निर्यात की अपार संभावनाएं मौजूद है.

मसाला फसलें (Spices) भी बागवानी फसल का एक महत्वपूर्ण घटक है. ये फसल उच्च मूल्य वाले होते है. तथा कम मात्रा में उत्पादन कर इनसे अधिक धन अर्जित की जा सकती है. भारतवर्ष को मसाला फसलों के लिए सदियों से जाना जाता है. मसाला फसलों में मुख्यतः धनिया, जीरा, हींग, सौफ, मंगरैला, काली मिर्च, मेथी, इलायची, हल्दी, अदरक, दाल चीनी, लौंग आदि. वर्तमान में कुल मसला उत्पादन का लगभग 10 प्रतिशत भाग निर्यात होता है. जिसे बढाने की आवश्यकता है. इस प्रकार हम कह सकते है कि उद्यान विज्ञान कृषि विज्ञान की महत्वपूर्ण शाखा है.

दोस्तों उम्मीद है गाँव किसान (Gaon Kisan) के इस लेख में उद्यान विज्ञान की जानकारी मिल पायी होगी. फिर अगर आपका कोई प्रश्न हो तो कमेन्ट बॉक्स में कमेन्ट कर सकते है. इसके अलावा यह लेख आपको कैसा लगा कमेन्ट कर जरुर बताएँ, महान कृपा होगी. इसके अलावा आप गाँव किसान (Gaon Kisan) को Facebook page और Instagraam पर भी fallow कर सकते है.

आप सभी का बहुत-बहुत धन्यवाद, जय हिन्द.

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