Home चारा फसलें रोड्स घास (Chloris gayana) – चारे की एक पौष्टिक फसल

रोड्स घास (Chloris gayana) – चारे की एक पौष्टिक फसल

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रोड्स घास (Chloris gayana) चारे की एक पौष्टिक फसल

रोड्स घास (Chloris gayana) चारे की एक पौष्टिक फसल

नमस्कार किसान भाईयों, रोड्स घास चारागाह के लिए एक उत्तम घास मानी जाती है. यह पशुओं के लिए बहुत ही पौष्टिक चारा फसल है. इसलिए गाँव किसान (Gaon Kisan) आज अपने इस लेख में रोड्स घास की पूरी जानकारी आप सभी को देगा. तो आइये जानते है रोड्स घास की पूरी जानकारी-

रोड्स घास के फायदे 

यह एक बहुवर्षी घास है. जो पशु चारे के लिए काफी पौष्टिक है. इसमें नमी 66.3 प्रतिशत, प्रोटीन 2.9 प्रतिशत, ईथर निष्कर्ष 0.7 प्रतिशत, रेशा 10.6 प्रतिशत, राख 2.6 प्रतिशत, नाइट्रोजन रहित निष्कर्ष 16.9 प्रतिशत, कैल्सियम 0.42 प्रतिशत, फ़ॉस्फोरस 0.23 प्रतिशत, कुल पाचनशील तत्व 13.7 प्रतिशत पाया जाता है.

यह पशुओं के लिए काफी फायदेमंद घास है. इसके चारा काफी पाचनशील होता है. साथ ही पशुओं के चरने से सामान्य रूप से इसकी उत्पादकता पर कोई बुरा प्रभाव नहीं पड़ता है.

उत्पत्ति एवं क्षेत्र 

रोड्स घास का वानस्पतिक नाम क्लोरिस गयाना (Chloris gayana) है. रोड्स घास की उत्पत्ति दक्षिण अफ्रीका में हुई है. इस घास का पता लगाने वाले वैज्ञानिक सेसिल रोड्स थे. जिन्होंने अपने घास को अपने प्रदेश के समीप केपटाउन नामक स्थान में लोकप्रिय बनाया यह घास सन 1802 में सं० रा० अमेरिका में लाइ गई. भारत में इसको तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, महाराष्ट्र, गुजरात, गुजरात तथा उत्तर भारत के कुछ भागों में उगाया जाता है.

जलवायु एवं भूमि 

यह घास लम्बे समय तक शुष्क दशा को सहन कर सकती है. यह कम तापमान वाले भागों में उगाई जा सकती है. इसे उष्ण (Tropical) एवं समशीतोष्ण (sub-tropical) कटिबंधीय दशाओं में उगाया जा सकता है.

इसकी सबसे अच्छी खेती गर्म तथा निचली भूमि में की जा सकती है. इसकी वृध्दि दोमट भूमि में सबसे अच्छी होती है. मटियार भूमि या चिकनी मिट्टी, जिसमें जल शोषण शक्ति बहुत अधिक हो, में यह घास नही उगाई जा सकती है. यह क्षारीय भूमि में उगाई जा सकती है.

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फसल-चक्र 

रोड्स घास की बुवाई करके 4 से 5 वर्ष तक चारा लिया जा सकता है. इसके साथ सर्दियों में रिजका उगाकर पूरे वर्ष हरा चारा प्राप्त किया जा सकता है.

रोड्स घास उन्नत किस्में

इस घास की उन्नत किस्मों में बमरा घास, क्लोरिक इनकम्प्रिटा (Chloris incompleta), गंडी या छोटी जारगी, क्लोरिस इनफ्लैटा (Chloris inflata), क्लोरिस टेनेला (Chloris tenella) और क्लोरिस वैरिगेटा (Chloris varigata) मुख्य है.

खेत की तैयारी 

खेत की एक जुताई तथा 2 से 3 हैरो चलाकर अच्छी प्रकार तैयार कर लेना चाहिए. इससे खेत की मिट्टी भुरभुरी हो जाती है. फिर पाटा चलाकर खेत को समतल कर लिया जाता है. इस प्रकार से खेत में बुवाई की जानी चाहिए.

रोड्स घास की बुवाई

इसकी बुवाई बीज या जड़दार टुकड़ों द्वारा की जाती है. अच्छी प्रकार से तैयार खेत में बीज की बुवाई कतारों में करनी चाहिए. बुवाई के समय खेत में नमी की कमी नही होनी चाहिए. अनुकूलतम दशा में 4.5 से 8 किलोग्राम तक बीज प्रति हेक्टेयर लगता है. अधिक वर्षा वाले भागों में 12 से 13 किलोग्राम तक बीज लग जाता है. अच्छे अंकुरण के लिए एक समान बुवाई की जानी चाहिए. इसलिए बीजों में उसकी मात्रा से 7 से 8 गुना भुरभरी मिट्टी मिला देनी चाहिए.

फिर कतार में या खेत में छिड़ककर बीज बोना चाहिए. छिटकवां विधि से बोने के पश्चात हल्का हैरों चलाकर बीजों को मिट्टी में मिलाना आवश्यक होता है. बुवाई कतारों में प्रायः उथले कूडों में करनी चाहिए. बीज बोने के पश्चात कूडों को अच्छी प्रकार से ढक कर उसे दबा देना चाहिए, ताकि मिट्टी और बीज का सम्पर्क अच्छा हो जाय और अंकुरण में कोई समस्या न रहे. प्रायः अनुकूल वातावरण की दशा में अंकुरण 7 से 10 दिन के अन्दर हो जाता है.

तने के टुकड़े द्वारा बुवाई करने की विधि में टुकड़े 60 सेमी० की दूरी पर कूंडों में लगाना चाहिए. इसके पश्चात सिंचाई करनी आवश्यक होती है. इसके लिए लगभग 25,000 टुकड़े प्रति हेक्टेयर की आवश्यकता पड़ती है.

इसकी बुवाई वर्ष के किसी महीने में की जा सकती है. परन्तु फरवरी का महीना इसके लिए सबसे अच्छा माना जाता है. जहाँ सिंचाई के साधन हो, वहां बुवाई जून-जुलाई या वर्षा के आरम्भ में करनी चाहिए.

खाद एवं उर्वरक 

इसकी अच्छी उपज के लिए नाइट्रोजन की अधिक आवश्यकता पड़ती है. यदि गोबर की खाद उपलब्ध हो, तो कम से कम 200 कुंटल गोबर की खाद तथा 40 से 50 किलोग्राम नाइट्रोजन प्रति हेक्टेयर देना आवश्यक होता है. नाइट्रोजन की मात्रा चारा कटाई के तुरंत बाद देने से पुनर्व्रध्दी अच्छी होती है.

सिंचाई एवं जल-निकास 

यह समुचित जलनिकास वाली भूमि में उगाई जाती है. वर्षा में इसे सिंचाई की आवश्यकता नही पड़ती है. परन्तु गर्मियों में इसको 2 से 3 सप्ताह के अंतर पर पानी देना चाहिए. इससे वृध्दि तथा उपज अच्छी होता है.

फसल सुरक्षा 

खरपतवार नियंत्रण के लिए एक या दो बार निराई-गुड़ाई करना अति आवश्यक है. कतारों में बोई गई फसल में निराई-गुड़ाई आसानी से की जा सकती है. इसमें कीटों एवं रोगों का कोई विशेष प्रकोप नही होता है.

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कटाई प्रबन्धन एवं उपज 

बीज द्वारा बुवाई करने पर यह घास पहली कटाई के लिए 3 माह के अन्दर तैयार हो जाती है. इस फसल की बुवाई वानस्पतिक भागों द्वारा की जाय, तो इसकी पहली चारा कटाई बुवाई के 60 दिन के बाद की जा सकती है. दोनों दशाओं में पहली कटाई के बाद वाली कटाईयां 30 दिन के अन्दर पर लेनी चाहिए. समशीतोष्ण जलवायु वाले भागों में इसकी 7 से 8 कटाईयां तक ली जा सकती है. उष्ण जलवायु या दक्षिण भारत में इसकी 11 से 12 कटाईयां भी ली जा सकती है. इसकी पैदावार 300 से 500 कुटल (हरा चारा) प्रति हेक्टेयर होता है.

निष्कर्ष 

किसान भाईयों उम्मीद है गाँव किसान (Gaon Kisan) के रोड्स घास से सम्बंधित इस लेख से सभी जानकारियां मिल पायी होगी. फिर भी इससे सम्बंधित कोई आपका कोई प्रश्न हो तो कमेन्ट बॉक्स में कमेन्ट कर पूछ सकते है. इसके अलावा गाँव किसान (Gaon Kisan) का यह लेख आपको कैसा लगा कमेन्ट कर जरुर बताये, महान कृपा होगी.

आप सभी का बहुत-बहुत धन्यवाद, जय हिन्द.

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